अमरावती

35 की उम्र के बाद अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहे महिलाएं

परिवार की ओर ध्यान देने के चक्कर में अपनी स्वास्थ्य को लेकर की जाती है अनदेखी

अमरावती /दि.20– अपने परिवार की जरुरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात लगी रहने वाली महिलाओं की नजर में अपने खुद के स्वास्थ्य का मुद्दा हमेशा दुय्यम स्थान पर रहता है. क्योंकि वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को काफी अधिक महत्वपूर्ण मानती है और अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की अनदेखी करती है. जिसके लिए महिला द्वारा अक्सर की अपने पास समय नहीं रहने की बात को आगे किया जाता है. परंतु ऐसा करना आगे चलकर काफी खतरनाक व महंगा भी साबित हो सकता है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, 35 वर्ष की आयु पार करते ही महिलाओं ने अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी हद तक सजग व सतर्क रहना चाहिए. साथ ही नियमित तौर पर अपनी स्वास्थ्य जांच भी कराना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि, महिलाएं अक्सर डॉक्टर के पास उस समय पहुंचती है, जब उनकी तबीयत अच्छी खासी खराब हो जाती है, या फिर उनकी बीमारी काफी गंभीर रुप धारण कर लेती है. इसकी बजाय महिलाओं ने शुरु से ही अपनी स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना चाहिए और नियमित स्वास्थ्य जांच कराते हुए अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक व सतर्क रहना चाहिए. जिसके लिए समय-समय पर कुछ आवश्यक जांच व परीक्षण कराये जाने की सख्त जरुरत होती है.

* कौन सी टेस्ट कराना जरुरी?
– विटामिन-डी
35 वर्ष की उम्र पार करने के बाद महिलाओं में विटामिन-डी से संबंधित टेस्ट जरुर करवानी चाहिए. विटामिन-डी बोनमैरो में घुलने वाले एक प्रो-हार्मोन का घटक है, जो आंत से कैल्शियम को ग्रहण करते हुए हड्डियों तक पहुंचाता है.
– थायरॉईड
35 पार की उम्र वाली महिलाओं में थायरॉईड टेस्ट भी जरुर करवानी चाहिए. यदि बिना किसी वजह से काफी अधिक थकान महसूस होती है, मांस पेशियों में दर्द रहता है, भूख अचानक घटती या बढती महसूस होती है, तो यह थायरॉईड की बीमारी का लक्षण है.
– बॉडी मांस इंडेक्स
महिलाओं ने बीएमआई यानि बॉडी मांस इंडेक्स की भी नियमित तौर पर जांच करवानी चाहिए. बीएमआई टेस्ट के जरिए ही यह पता चलता है कि, शरीर का वजन शरीर की उंचाई की तुलना में बराबर है अथवा नहीं.
– हिमोग्लोबिन
थकान आना, चक्कर आना अथवा सिर दुखना, जैसी शिकायतों की ओर महिलाओं द्वारा अमुमन अनदेखी की जाती है और यह सब तो चलता रहता है कहकर बात को टाल दिया जाता है. साथ ही कभी-कभी अपने मन से ही किसी दवाई का सेवन कर अथवा कोई बाम लगाकर समय निकाल लिया जाता है. लेकिन ऐसा करना समस्या का स्थायी समाधान नहीं है.
– मधुमेह
35 वर्ष की आयु पार कर चुकी महिलाओं का वजन यदि थोडा अधिक है और यदि परिवार में डायबिटीज की मेडिकल हिस्ट्री है अथवा गर्भवती रहते समय महिला में डायबिटीज के लक्षण दिखाई दिये है, तो ऐसी महिलाओं ने नियमित तौर पर अपनी डायबिटीज टेस्ट करवानी चाहिए. जिसके लिए भूखे पेट और भोजन के बाद ऐसे दो बार रक्त के सैंपल लेकर रक्त शर्करा की जांच की जाती है.
– पैप स्मिअर टेस्ट
35 की आयु पार कर चुकी प्रत्येक महिला ने गर्भाशय से संबंधित रहने वाली पैप स्मिअर टेस्ट जरुर करवानी चाहिए. गर्भाशय की कैंसर की निदान करने हेतु यह टेस्ट की जाती है. यदि इस बीमारी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता है, तो इसे इलाज के जरिए पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

* 35 वर्ष की आयु गुट वाली महिलाओं का अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरुक व सतर्क रहना बेहद जरुरी है. परंतु कई बार महिलाएं इसकी ओर अनदेखी करती है. इन दिनों कई महिलाओं द्वारा घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ ही नौकरी व व्यवसाय की जिम्मेदारी उठाई जाती है और दोहरी जिम्मेदारियों के बीच फंसकर वे अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान ही नहीं देती. जोकि पूरी तरह से गलत है और ऐसा करने के परिणाम आगे चलकर घातक व खतरनाक भी हो सकते है. ऐसे में 35 वर्ष की आयु पार करते ही महिलाओं ने समय-समय पर अपने स्वास्थ्य को लेकर नियमित जांच व परिक्षण कराने चाहिए. ताकि समय रहते बीमारियों का निदान किया जा सके.
– डॉ. सुयोगा पानट (देशपांडे)
स्त्रीरोग व प्रसूतितज्ञ

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