अमरावती

महिलाएं वात्सल्य व राष्ट्रप्रेम का अमृत प्राशन करें

विश्व मांगल्य सभा की सभाचार्य रेणुका माई का आशीर्वचन

* अमरावती जिला नारी शक्ति सम्मेलन में उमडी महिलाओं की भीड
* बडनेरा रोड स्थित सिपना अभियांत्रिकी कॉलेज में आयोजन
अमरावती / दि. 11-महिला का परिवार में महत्वपूर्ण स्थान होता है. परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए अष्टावधान होना जरुरी है. राष्टलीय स्वयंसेवक संघ का कार्य अमूल्य है, जिसमे महिलाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी गई है. आज हर क्षेत्र मे महिलाएं सक्षमता से कार्य कर रही हैं. किंतु समय के साथ अब वह घर से बाहर निकल कर कार्य कर रही हैं. फिर भी घर की जिम्मेदारी भी वह बखूबी निभा रही हैं. परिवार के किसी भी सदस्य को निराशा से बाहर निकालने की कोशिश करना, विचारों का मंथन करते हुए आधुनिकता का जहर घर मे प्रवेश न करे, वैचारिक मंथन से वात्सल्य व राष्ट्रप्रेम से मिलने वाले अमृत को ग्रहण करें, भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए महिलाओं के सामर्थ्य का इस्तेमाल किया जाये, यह आवाहन श्रीक्षेत्र अंजनगांव सुर्जी की विश्वमांगल्य सभा सभाचार्य प.पू. रेणुकामाई ने किया.

स्थानीय बडनेरा मार्ग पर स्थित सिपना इंजीनियरिंग कॉलेज मे रविवार को जिला स्तरीय नारीशक्ति सम्मेलन आयोजित किया गया. इस अवसर पर वे बोल रही थीं. सम्मेलन के उद्घाटन सत्र मे विशेष अतिथि उपअभियंता म्हाडा दीपमाला बद्र (साळुखे), चंद्रपुर सन्मित्र सैनिकी विद्यालय, बल्लारशाह प्राचार्य अरुंधतीताई कावडकर की उपस्थिति रही. दीपमाला साळुखे-बद्र ने कहा कि, महिलाओं को अपनी शक्ति पहचाननी होगी. उसका राष्टल निर्माण मे उपयोग करना होगा. हर महिला को संघर्ष करना पड़ता है. जिससे मार्ग निकालते हुए खुद को साबित करना आवश्यक है. महिला शक्ति का जागर ही समाज की उन्नति मे योगदान दे सकता है, इन शब्दों मे उपस्थित महिलाओं का उत्साह बढ़ाया. प्रमुख वक्ता अरुंधती कावडकर ने कहा कि, आध्यात्मिकता देश का स्वभाव है. फिलहाल इसका सर्वत्र प्रभाव दिखाई दे रहा है. इसके प्रभाव से हमें प्राप्त अधिकारों के कारण पद की प्राप्ति होती है. पद के कारण अधिकारों की प्राप्ति नहीं होती. देश मे  विविधता को सम्मानित किया जाता है. इस कारण विश्वगुरु की ओर भारत अग्रसर है. देश की संस्कृति ने जो स्वाधीनता प्रदान की है, उसका सदुपयोग करना चाहिए. वेद, पुराण के अध्ययन से विविध विषयों के संदर्भ मे ं चिंतन करना आसान होता है. रिश्तों से महिला का जीवन परिपूर्ण होता है. इसलिए वह खुद का विचार नहीं कर सकती. मातृशक्ति जब तक ठान न ले, तब तक सामाजिक परिवर्तन नहीं होगा. महिलाओं को खुद का स्वरुप पहचानना चाहिए. अपने ममत्व का उपयोग कर राष्ट्र निर्माण में सहायता करनी चाहिए. तपस्या के कारण ही अधिकार मिलता है और वह चिरंतन बना रहता है.

दूसरे सत्र में महिलाओं के सामाजिक विषयों पर खुली चर्चा, तीसरे व अंतिम सत्र मेंं माया केदार (गरकळ) सहायक आयुक्त, समाज कल्याण विभाग, मनीषाताई संत, नागपुर व शारीरिक प्रमुख राष्ट्र सेविका समिति ने उपस्थिति दर्ज कर महिलाओं को मार्गदर्शन किया. साल 2025 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष है. इस निमित्त विविध संगठन में कार्यरत महिलाओं को एकत्रित कर विचारों का आदान-प्रदान करने तथा विविध क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को मंच उपलब्ध करवाने देश मे 400 स्थानों पर सम्मेलन लिया जा रहा है. विदर्भ में कुल 14 स्थानों पर सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा. जिसमें हजारों महिलाओं को सहभागी कर नारीशक्ति को बढ़ावा दिया जायेगा. समाज के सभी प्रतिभावान, कर्तव्यशील, सृजनशील तथा गृहिणी को एकत्रित कर महिला सक्षमीकरण व राष्ट्र निर्माण में महिलाओं का योगदान बढ़ाने का प्रयास होगा. हर महिला उत्कृष्ट व हिंदवी राष्ट्र का निर्माण करें, नारीशक्ति के माध्यम से कर्तव्य व निष्ठा देश हित में इस्तेमाल करें, इन विषयों पर चर्चा की जायेगी. सम्मेलन के माध्यम से विविध विषयों पर आधारित प्रदर्शन, रंगोली प्रदर्शनी के साथ विविध विषयों पर आधारित स्टॉल लगाये गये थे. साथ ही किताबें भी उपलब्ध करवाई गई. एक दिवसीय आयोजन में 1 हजार से अधिक महिलाओं ने उपस्थिति दर्ज की. सम्मेलन की संयोजिका संगीता बुरंगे, सहसंयोजिका भावना जोशी, रश्मि गांधी के साथ गौरी लवाटे, अनीता व्यवहारे, मंजिरी महाजन, शुभांगी केसाले, जान्हवी पानट, अनुराधा पांडे, सावनी सामदेकर, नीता कलंत्री, एड. सुषमा भट, अंकिता वनवे, शुभांगी डगवाले, मीरा खडसे, जयश्री पंडागले, रेखा पोंदे, मानसी धर्माधिकारी, प्रतिभा राऊत, रजनी वानखडे, लतिका आसरकर, हंबर्डे, वैष्णवी देशपांडे, शीतल पर्बत, सविता मिरगे, शीतल छांगाणी, डेहनकर, किरणताई महल्ले, डॉ. मोनिका ढेले, प्रा. डॉ. दया पांडे, निवेदिता चौधरी, अर्चना बारब्दे, प्राचार्य डॉ. स्मिता देशमुख, प्राचार्य डॉ. दीप्ती रुईकर, गुंजन गोले, डॉ. शोभा गायकवाड, निशा भाराणी, प्रभा झंवर, डॉ. मंजूषा तांडेकर, मीना पाठक, एड. लीना चौधरी, डॉ. मोहना कुलकर्णी समेत अन्य उपस्थित थे.

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