अमरावती

महिला कॉम्रेड्स अंतरराष्ट्रीय मैराथन स्पर्धा

मेन हेडिंग-अमरावती की दीपमाला सालुंके बनी विदर्भ की पहली महिला धावक

* 11 घंटे 50 मिनट में तय की 90 किमी की दूरी
अमरावती/ दि. 13– विश्व की दूसरे स्थान की सबसे कठिन कॉम्रेड्स मैराथन-2023 का आयोजन दक्षिण अफ्रिका में किया गया था. इस मैरॉथन स्पर्धा में सहभागी अमरावती की दीपमाला सालुंख-बद्रे विदर्भ की पहली महिला धावक बनी है. पिटरमॅरिट्जबर्ग शहर से 90 किलोमीटर पूरी पर स्थित डर्बन शहर तक दूरी तय की गई थी. 11 जून को मैराथन आयोजित की गई थी. पुरूष और महिला समूह में यह स्पर्धा ली गई. इसमें महीला समूह में अमरावती की दीपमाला सालुंखे-बद्रे और पुरुष समूह में दिलीप पाटील समेत यवतमाल के ललित वराडे ने हिस्सा लिया. दिलीप पाटील सेवानिवृत्त विक्रीकर उपायुक्त है. उन्होंने 10 घंटे 41 मिनट में यह स्पर्धा पूरी की. उनकी यह दसवीं कॉम्रेड स्पर्धा थी. यवतमाल के उपविभागीय अधिाकरी ललितकुमार वराडे ने 10 घंटे 42 मिनट में दूरी तक की तथा अमरावती के म्हाडा कार्यालय की अभियंता दीपमाला सालुंखे-बद्रे ने 11 घंटे 50 मिनट में यह पूरी करते हुए मेडल कमाया. देशभर से करीब 250 प्रतिभागी सहभागी हुए थे.

कॉमे्रेड्स स्पर्धा का स्वरूप
कॉमे्रेड्स मैराथन करीब 90 किलोमीटर की अल्ट्रा मैराथन है. दक्षिण अफ्रिका के क्वाझुलु-नताल प्रांत में हर साल डर्बन व पीटरमारिट्जबर्ग शहर तक स्पर्धा का आयोजन किया जाता है. इस स्पर्धा में 90 किमी दूरी तय करते समय 6 राउंड होते है. सभी राउंड निधारित समय में पूर्ण न करने पर स्पर्धक को उसी स्थान पर रेस रोकना पडता है. आयोजक उन्हें वाहन में बिठाकर वापस भेजते है. 90 किमी दूरी 12 घंटे में पूरी करने वालों को ही मेडल देकर सम्मानित किया जाता है. 12 घंटे के बाद फिनिश लाइन बंद की जाती है.

तहसीलदार काकडे व पति प्रदीप का मार्गदर्शन
कॉमे्रेड्स के लिए हर हफ्ते 80 से 120 किलोमीटर दौडने की प्रैक्टीस की थी. तैयारी करवाने के लिए दिलीप पाटील अमरावती में रुके थे. तहसीलदार संतोष काकडे का मार्गदर्शन व पति प्रदीप का मैराथन के लिए सहयोग मिला.

 

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