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नारी शक्ति का उत्सव है महिला दिवस

नगर की गणमान्य कार्यकर्ताओं का विचार

अमरावती/ दि. 3- इस नगरी का नाम ही देवी अंबा के नाम से हैं. यह पौराणिक और पवित्र नगरी है. यहां महिलाओं का यथोचित सम्मान होता आया है. ऐसे में महिला दिवस 8 मार्च के अवसर पर विभिन्न क्षेत्र की कार्यकुशल महिलाओं की इस अवसर पर प्रतिक्रिया और विचार अमरावती मंडल अपनी सुंदर परंपरा के अनुसार प्रकाशित कर रहा है. महिलाओं ने महिला दिवस को नारी शक्ति का उत्सव बताया. उसी प्रकार यह भी कहा कि दौर बदल गया है. महिलाएं अब प्रत्येक क्षेत्र में पुरूषों के बराबर और संपूर्ण प्रतिभा, मेधा से कार्यरत है. राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं की भागीदारी भी प्रभावी है.

नारी शक्ति का उत्सव
महिला दिवस नारी शक्ति और उनके योगदान को सम्मान देने का पर्व है. समाज में महिलाओं की उपलब्धि पहचानने तथा उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढाने संदेश महिला दिवस देता है. प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी छाप छोडी है. शिक्षा हो या राजनीति अथवा तकनीक, विज्ञान जगत में भी महिलाएं पुरूषों से कहीं पीछे नहीं है. महिलाओं के उत्थान से ही समाज की प्रगति संभव है. आज के दौर को देखते हुए लगता है कि महिला दिवस के अवसर पर प्रत्येक भगिनी को एक दूसरे की सुरक्षा और सफलता का संकल्प देना चाहिए.


* आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य
महिलाएं अमूमन सभी क्षेत्र में अपनी योग्यता सिध्द कर रही है. महिला दिवस उनके संघर्ष को बयां करने के साथ- साथ उपलब्धियों का जश्न मनाने का भी दिन है. देखा जाए तो बुरा लगता है कि देश के कुछ भागों में आज भी महिलाएं भेदभाव और अत्याचार का शिकार होती है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य होना चाहिए. प्रत्येक महिला को आगे बढने का समान अवसर मिलना चाहिए. बेशक शिक्षा से महिलाओं की समस्या का काफी हद तक निदान हो सकता है. महिला दिवस हमें यह सीख देता है कि जब महिलाएं सशक्त होगी, तभी समाज और देश सशक्त होगा.
– सरला जगदीश कलंत्री

* सुखोई तक उडा रही नारियां
महिलाओं ने अलग अलग क्षेत्र में अपने कार्य की छाप छोडी है. वे विशेषज्ञ चिकित्सक होने के साथ ही अब तो आर्मी में भी कमाल दिखा रही है. यूपी की अरूणासिंह को लडाकू विमान सुखोई की स्क्वाड्रन लीडर बनाई गई है. यह अत्यंत शुभ समाचार है. विविध क्षेत्र में मेधा और परिश्रम के बूते अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी करते हुए महिलाओं ने परिवार की जिम्मेदारियां भी निभाई है. उन्हें अभी भी शिक्षा, रोजगार में अवसर देना आवश्यक है. देखा गया है कि कई तरह की बाधाओं का मुकाबला उन्हें करना पडता है. महिला दिवस हमें याद दिलाता है कि एक सशक्त समाज के लिए महिलाओं को सम्मान तथा स्वतंत्रता देना अनिवार्य है. महिला दिवस पर उनके योगदान को नमन.
– माधवी करवा,
अध्यक्ष माहेश्वरी महिला मंडल

* परिश्रम से बनाई पहचान
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं के संघर्ष और उनके द्बारा हासिल को याद करने का अवसर है. अनेक नाम है. जिससे सिध्द होता है कि महिलाओं ने अथक परिश्रम से विविध क्षेत्र में नाम कमाया है, पहचान बनाई है. आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर महिला विराजमान है. यह आधी आबादी के लिए गौरव की बात है. अभी भी नारी जगत के लिए काफी कुछ करना शेष है. महिलाओं का पुरूषों के बराबर खडा रहना समाज को सही अर्थो में आगे ले जाना होगा. महिलाओं को उनके अधिकार देकर निर्णय करने की स्वतंत्रता भी दी जानी चाहिए. आज भी देश में अधिकांश शालाओं में मुख्याध्यापक के रूप में महिलाएं ही कार्य कर रही है.
– पूजा तापडिया
उपाध्यक्ष माहेश्वरी महिला मंडल


* जहाँ नारी का सम्मान होता है….
हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं के सम्मान, समानता और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है. यह दिवस उन संघर्षों और उपलब्धियों को याद करने का अवसर है, जिन्होंने महिलाओं को समाज में एक सशक्त स्थान दिलाने में मदद की है. महिला दिवस का इतिहासअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई, जब न्यूयॉर्क में कामकाजी महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया. इसके बाद, 1911 में पहली बार इसे जर्मनी, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में मनाया गया. 1977 में संयुक्त राष्ट्र (णछ) ने इसे आधिकारिक मान्यता दी और तब से यह दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है. महिलाओं की उपलब्धियां-आज महिलाएं राजनीति, विज्ञान, खेल, कला, शिक्षा और व्यवसाय जैसे हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं. कल्पना चावला, किरण बेदी, मैरी कॉम, लता मंगेशकर, सानिया मिर्जा, पी.वी. सिंधु, निर्मला सीतारमण, फाल्गुनी नायर जैसी अनेक महिलाओं ने अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है. आज भी चुनौतियाँ बरकरार हालांकि महिलाओं ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन आज भी लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, वेतन असमानता और शिक्षा की कमी जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके विकास के लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे. महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास- सरकार और समाज दोनों को मिलकर महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करना होगा. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ’उज्ज्वला योजना’, ‘सेल्फ हेल्प ग्रुप’ जैसी योजनाएँ महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं. हमें भी अपने घर, कार्यस्थल और समाज में महिलाओं को समान अवसर देने का संकल्प लेना चाहिए.
निष्कर्ष- महिला दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प है कि हम महिलाओं के अधिकारों, सम्मान और समानता के लिए निरंतर प्रयास करेंगे. नारी शक्ति को पहचानें, उनका सम्मान करें और उनके सपनों को उड़ान देने में सहायक बनें. तभी एक सशक्त और समानता से भरा समाज संभव होगा. जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं.
-रानी जितेन्द्र करवा
पूर्व अध्यक्ष, माहेश्वरी महिला मंडल

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