लॉकडाउन व होटल बंद से महिलाओं की रोजी-रोटी रूकी
शहर के होटलों में कई महिलाएं करती है रोटी बनाने का काम

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मजदूरी के साथ ही होटलों से रोटी-सब्जी भी मिल जाती थी
अमरावती/दि.14 – कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा समूचे राज्य में आगामी 30 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित किया गया है. जिसकी वजह से कई लोगों के समक्ष अपनी रोजी-रोटी चलाने की समस्या आन पडी है. इस लॉकडाउन की वजह से सभी होटल बंद करा दिये गये है. ऐसे में होटलों में रोटी बनाने का काम करनेवाली महिलाओं का रोजगार ही खत्म हो गया है. इसमें भी यह बात ध्यान दिये जाने लायक है कि इन महिलाओं को होटलोें से काम का मेहनताना मिलने के साथ ही होटलों में बचनेवाली रोटी व सब्जी भी मिल जाया करती थी. जिससे वे अपना और अपने परिजनों का भरन-पोषण करती थी. किंतु अब होटल ही बंद रहने की वजह से आर्थिक आय के साथ-साथ रोजाना मिलनेवाली रोटी व सब्जी से भी ये महिलाएं वंचित है.
बता दें कि, अमरावती शहर में 125 से अधिक होटल है और हर होटल में रोटी बनाने के लिए कम से कम दो से तीन महिलाएं काम करती है. ऐसे में होटल बंद रहने की वजह से करीब 300 से 400 महिलाओं का रोजगार बंद पडा है और उन्हें अपने परिवार का खर्च चलाने में भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. इसमें से कई महिलाएं ऐसी भी है, जो अपने अकेले के दम पर अपने बीमार पति के इलाज सहित बच्चों की पढाई-लिखाई की जिम्मेदारी उठा रही है. किंतु इन दिनों लॉकडाउन की वजह से ऐसा करना काफी मुश्किल हो चला है.
विगत वर्ष भी मार्च माह में लॉकडाउन लागू होने की वजह से इन महिलाओं का रोजगार चला गया था और नये साल में जैसे-तैसे होटल शुरू ही हुए थे कि अब एक बार फिर 30 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. ऐसे में गरीब एवं सर्वसामान्य लोग अपनी आजीविका कैसे चलाये, यह इस समय सबसे बडा सवाल है.
- पूरा दिन घर संभालते हुए मैं शाम 5 बजे के बाद एक होटल में रोटी बनाने का काम करती हूं. किंतु विगत एक वर्ष से काम ही नहीं मिल रहा. महिलाओं को बाहर काम करते समय कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पडता है. लेकिन होटल में निश्चित समय का काम रहने की वजह से वह सुविधाजनक रहता है. किंतु इस समय होटल बंद है और हमारे पास कोई काम नहीं है. जिसकी वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है.
– पुष्पा मेश्राम, अमरावती - शराब की लत की वजह से तीन वर्ष पहले पति का निधन हो गया और अब मैं एक बेटी व एक बेटे सहित अपनी बुढी सास की जिम्मेदारी संभाल रही हूं. होटल में रोटी-सब्जी बनाने से हमें रोजगार तो मिलता ही है, साथ ही होटल में बचनेवाले भोजन से हमारे परिवार की भूख भी मिटती है, लेकिन इस समय न तो भोजन मिल रहा है और न ही पैसा.
– शैला मनवर, बडनेरा - घर में पति बीमार है और बेटी विवाहयोग्य हो गयी है. जिसके लिए पैसा जोडना है. ऐसे में उम्मीद है कि, आज नहीं तो कल होटल नियमित रूप से शुरू होंगे और एक बार फिर पहले की तरह रोजगार मिलेगा. किंतु कोरोना की वजह से यह इंतजार अब लंबा होता जा रहा है और जिंदगी काफी कठीन हो गयी है.
– सिंधु वानखडे, अमरावती.
कैसे जियें गरीब?
- होटल में रोटी-सब्जी बनाने के काम हेतु महिलाओं को रोजाना 250 से 300 रूपये की मजदूरी मिल जाती है, लेकिन विगत एक वर्ष से कोरोना के चलते होटल व्यवसाय बंद पडा है और होटलों में कुक, वेटर व हेल्पर सहित रोटी बनाने केा काम करनेवाली महिलाओें का रोजगार खत्म हो गया है. ऐसे में गरीब व श्रमजिवि महिलाओें के समक्ष अपने परिवार को संभालने के साथ ही बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य से संबंधित खर्च चलाने की भी चुनौती बनी हुई है.
- काम नहीं तो मजदूरी नहीं, यह होटल व्यवसाय का नियम है. ऐसे में लॉकडाउन काल के दौरान गरीब जिये अथवा नहीं, ऐसा सवाल होटल में रोटी बनानेवाली महिलाओें द्वारा उपस्थित किया गया है, क्योंकि जब से होटल बंद है, तब से उनके पास आय का कोई स्त्रोत नहीं है. ऐसे में घर-परिवार का खर्च कैसे चलाया जाये, यह इन महिलाओं के समक्ष सबसे बडा मसला है.