अमरावती

मध्यवर्ती कारागार में महिला कैदी बना रही है राखियां

रक्षाबंधन को लेकर चल रही तैयारियां

  • जेल के वस्तु विक्री केंद्र पर है उपलब्ध

अमरावती/दि.7 – रक्षाबंधन को भाई-बहन के अटूट रिश्ते को और अधिक मजबूत करनेवाला पवित्र त्यौहार माना जाता है. इस दिन बहने अपने भाईयों के हाथ पर राखी बांधकर उनके दीर्घायू जीवन की कामना करती है. किंतु कठोर पत्थरों से बनी जेल की मजबूत दीवारों के भीतर विविध आरोपों के तहत सजा भुगत रही महिलाएं रक्षाबंधन के पर्व पर अपने भाईयों को राखी बांधने से वंचित रहेगी. इस बात के मद्देनजर जेल प्रशासन ने रक्षाबंधन का औचित्य साधते हुए महिला कैदियों के लिए एक विशेष उपक्रम आयोजीत किया है. जिसके तहत महिला कैदियों के हाथों से राखियां तैयार की जा रही है. जिन्हें जेल के साहित्य व वस्तू विक्री केंद्र पर बिक्री हेतु उपलब्ध कराया जायेगा.
इसके अलावा आगामी 22 अगस्त को रक्षाबंधन के पर्व पर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सेंट्रल जेल में महिला कैदियों के हाथों पुरूष कैदियों को राखी बांधी जायेगी. ऐसे में सेंट्रल जेल में रहनेवाली महिला कैदियों द्वारा विगत पंद्रह दिनों से राखियां तैयार की जा रही है. इसके लिए महिला कैदियों को कुछ सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से पहले ही राखियां तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया है और कारागार प्रशासन द्वारा इन महिला कैदियों को राखी तैयार करने के लिए साहित्य लाकर उपलब्ध कराया गया है. महिला कैदियों द्वारा तैयार की गई राखियां काफी सुंदर व आकर्षक है. यहीं राखियां रक्षाबंधनवाले दिन महिला कैदियों द्वारा पुरूष कैदियों को बांधी जायेगी. साथ ही कारागृह के बिक्री केंद्र पर भी राखी का स्टॉल लगाया जायेगा. जहां पर महिला कैदियों द्वारा तैयार की गई राखियों को बिक्री हेतु उपलब्ध कराया जायेगा. इस जरिये जेल में बंद महिला कैदियों को रोजगार प्राप्त होगा.

सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी रक्षाबंधन कार्यक्रम

प्रतिवर्ष अमरावती सेेंट्रल जेल में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जिसके तहत शहर की कई स्वयंसेवी व सामाजिक महिलाएं जेल में बंद पुरूष बंदीजनों को राखियां बांधती है. जिसके लिए कारागार के वस्तु बिक्री केंद्र से ही राखियां खरीदी जाती है. जिसके चलते कारागार की आय में इजाफा होता है. इस कार्यक्रम में महिला बंदीजनों द्वारा पुरूष बंदीजनों को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई माना जाता है और उन पर अपनी रक्षा का दायित्व सौंपा जाता है.

कोरोना के चलते परिवार से मुलाकात बंद

ज्ञात रहे कि, कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए जून-2020 से कैदियों कि उनके परिजनों के साथ मुलाकात बंद करा दी गई है. यह नियम अब भी लागू है. ऐसे में जेल में बंद कैदी अब सप्ताह में केवल एक बार अपने रिश्तेदारों के साथ जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये जानेवाले मोबाईल फोन के जरिये वॉटसऍप या फोनकॉल के माध्यम से बातचीत कर सकते है.

  • कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों के चलते रक्षाबंधनवाले दिन कैदियों के भाई-बहन जेल में नहीं आ सकते है. ऐसे में जेल में बंद पुरूष कैदियों को यहां की महिला कैदियों के हाथों राखियां बांधकर यह पर्व मनाया जाता है, ताकि पुरूष कैदियों को बहनोें की और महिला कैदियों को भाई की कमी महसूस न हो.
    – रमेश कांबले
    अधिक्षक मध्यवर्ती कारागार

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