अमरावती

शिक्षण सेवक से मजदूर का पगार अधिक

ज्यादा पढ-लिखकर फायदा ही क्या

* 2017 से शिक्षक भरती ही पडी है बंद
* टीईटी के अत्यल्प रिजल्ट से अभ्यर्थी भी हो रहे दूर
अमरावती/दि.21- शिक्षकों के हजारों पद रिक्त रहने के बावजूद वर्ष 2017 से शिक्षक भरती की प्रक्रिया प्रलंबित है. वहीं शिक्षक पात्रता परीक्षा का परिणाम भी अत्यल्प रहने के चलते अब कई विद्यार्थी डी. एड. करने की बजाय अन्य पाठ्यक्रमों की ओर मूड रहे है. ऐसे में डी. एड. महाविद्यालय की विद्यार्थी संख्या घट गई है और विद्यार्थियोें का अभाव रहने के चलते 21 डी. एड. कॉलेजों में से 11 कॉलेजों को बंद कर दिया गया. वहीं फिलहाल शुरू रहनेवाले 10 डी. एड. कॉलेजों में प्रवेश लेनेवालों की संख्या कुल क्षमता की तुलना में आधे से भी कम है.
अधिकांश विद्यार्थियों का मानना है कि, व्यवसाय कौशल्य पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर पढाई पूरी होने के बाद निश्चित तौर पर कुछ रूपयों की कोई नौकरी तो मिल जाती है. वहीं डी. एड. की पढाई के लिए हजारों रूपये का खर्च करने और समय भी देने के बाद शिक्षक की नौकरी मिलने की कोई पक्की गारंटी नहीं रहती. इसके साथ ही शिक्षक सेवक की तुलना में मजदूरों को अधिक वेतन मिल रहा है. जिसके चलते अब कई युवा विद्यार्थी शिक्षक नहीं बनना चाहते.

* भविष्य में कौन शिक्षक बनना चाहेगा
सरकार द्वारा पद भरती के निर्णय को लेकर उदासिनता बरते जाने के चलते वर्ष 2017 में चलाई गई भरती प्रक्रिया अब तक अधूरी पडी है. वहीं दूसरी ओर शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा को अनिवार्य किया गया है. जिसके रिजल्ट का प्रतिशत काफी अल्प है. साथ ही इससे पहले टीईटी परीक्षा को लेकर कई गडबडियां भी सामने आयी थी. इन तमाम बातों के मद्देनजर शिक्षकोें के हजारों पद रिक्त पडे है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, यदि ऐसा ही चलता रहा, तो आगे चलकर कौन शिक्षक बनकर काम करना चाहेगा.

* डी. एड. करने के बाद भी कई लोग बेरोजगार
डी. एड. पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद शिक्षक बनने हेतु शिक्षक पात्रता परीक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है और इस परीक्षा का परिणाम केवल 2 से 3 फीसद ही होता है. ऐसे में नौकरी की प्रतीक्षा में रहनेवाले हजारों डी. एड. पदविका धारक बेरोजगार बैठे है तथा समय व पैसा खर्च होने के चलते वे जो काम मिल रहा है, वह काम करते हुए अपना खर्च चला रहे है.

* कोई कंपनी में काम कर रहा, तो कोई खेती कर रहा
हजारों रूपयों का खर्च करते हुए दो साल की पढाई के बाद डी. एड. की पदवी प्राप्त करनेवाले कई विद्यार्थी इस समय बेरोजगार घुम रहे है. साथ ही अपना घर खर्च चलाने के लिए इनमें से कई युवक किसी कंपनी में काम कर रहे है, या फिर खेती-बाडी के काम में लग गये है. इसमें से कई युवक तो ऐसे भी है, जो सरकारी नौकरी के लिहाज से अधिकतम आयुमर्यादा को भी पार कर चुके है. यानी अब उन्हें शिक्षक के तौर पर सरकारी नौकरी भी नहीं मिलनेवाली है. इन तमाम बातों के मद्देनजर शिक्षक भरती प्रक्रिया को तुरंत शुरू करने तथा टीईटी परीक्षा की शर्त को थोडा शिथिल करने की मांग की जा रही है.

– क्या कहते हैं सन 2021-22 के आंकडे
21 – डी. एड. कॉलेज
1,167 – कुल प्रवेश क्षमता
427 – प्रवेश हेतु आवेदन
308 – प्रवेश हुए

 

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