पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था विषय पर कार्यशाला
विविध प्रश्न पूछकर खुली चर्चा की गई
* मान्यवरों ने सभी प्रश्नों के उत्तर देकर उपस्थितों की समस्या का निराकरण किया
अमरावती/ दि. 23– संगाबा अमरावती विद्यापीठ में प्रोफेशनल डेवलपमेंट अंतर्गत पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था इस विषय पर कार्यशाला संपन्न हुई. इस कार्यशाला की अध्यक्षा प्राचार्य डॉ. आराधना वैद्य, कार्यशाला की प्रमुख वक्ता सिध्देश सुशील जैन चार्टर्ड एकाउंटंट, दूसरे वक्ता सुशील जैन आर्थिक कर सलाहकार तथा जैन इन्व्हेस्मेंट्स तथा प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ. विजय भांगे, डॉ. सुमेध आहटे मंच पर उपस्थित थे. कार्यक्रम के आयोजक डॉ. प्रशांत विघे ने प्रास्ताविक किया.
इस अवसर पर पुरानी कर व्यवस्था विरूध्द नई कर व्यवस्था कैसी है, इसमें क्या बदलाव हुआ है इस विषय पर कार्यशाला में चर्चा हुई.
कार्यशाला के प्रमुख वक्ता सिध्देश जैन ने कहा कि नया टैक्स स्लॅबननुसार अब तीन लाख तक की आय पर कोई भी कर नहीं लगेगा. यदि तुम्हारी वार्षिक आय 3-6 लाख तक हो तो तुम्हे आय पर 5 % टैक्स भरना पडेगा. जिनकी वार्षिक आय 6 से 9 लाख रूपए है. ऐसे करदाताओं को 10 प्रतिशत टैक्स भरना पडेगा. जिनकी वार्षिक आय 9-12 लाख रूपए है. उन्हें 15 % टैक्स लगेगा. 12 से 15 लाख वार्षिक आय रहनेवाला 20 % दर से टैक्स भरना पडेगा. वार्षिक 15 लाख से अधिक आय रहनेवाले 30 प्रतिशत तक टैक्स भरना पडेगा. तुम्हारी वार्षिक आय 15. 5 लाख रूपए तक होने पर तुम्हे 52000 रूपए का लाभ मिलेगा.
आगे कहा कि पुरानी टैक्स कर प्रणाली कितनी आय पर शून्य टैक्स ? 2023-24 के बजट प्रस्ताव में केंद्र सरकार ने नई कर प्रणाली में टैक्स सहूलियत बढी है. अब यह मर्यादा दो लाख रूपए की गई है. यानी करदाताओं ने नई टैक्स प्रणाली का चयन करने उसे 5 लाख के ऐवज में 7 लाख रूपए तक की वार्षिक आय पर कोई भी आयकर नहीं भरना पडेगा. इसके साथ ही वेतनधारक को इस वर्ष नई टैक्स प्रणाली में 50,000 रूपए की मानक कपाती का लाभ भी मिलेगा. इस प्रकार यदि तुम्हारी कुल वार्षिक आय 7.5 लाख रूपए होने पर वे नई टैक्स प्रणाली का चयन कर वे करमुक्त होंगे.
* पुरानी कर व्यवस्था विरूध्द नई कर व्यवस्था
नई कर प्रणाली कोे प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने चालू वर्ष के बजट में स्टैडर्ड डिडक्शन की भेट जारी की है. उसी प्रकार कर सहूलियत मर्यादा दो लाख रूपए की गई है. पुरानी कर प्रणाली जैसे थे है. ऐसी स्थिति में नई कर प्रणाली अधिक अच्छी है क्या ? ऐसा सवाल उपस्थित होता है. इसका उत्तर आसान नहीं है. कारण पुरानी कर प्रणाली अंतर्गत 80 से प्राप्ति कर कानून के विविध प्रावधाननुसार निवेश की रकम निर्धारित करेगी की नई कर व्यवस्था विशिष्ट करदाताओ के लिए योग्य है कि पुरानी कर छूट देनेवाली आयकर कानून के प्रावधान का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना आवश्यक है नई कर प्रणाली की तुलना में पुरानी कर व्यवस्था लाभदायक रहेगी. यदि तुमने गृह कर्ज लिया हो अथवा बच्चों की स्कूल की फीस भर रहे हो तो. उसी प्रकार एखाध व्यक्ति ने अपनी वृध्द माता-पिता के लिए अलग स्वास्थ्य बीमा किया हो तभी पुरानी पध्दती का आर्थिक फायदा मिलेगा, ऐसा प्रतिपादन किया. दूसरे वक्ता सुशील जैन ने कहा कि नई कर प्रणाली की पुरानी कर प्रणाली । ऐसी स्थिति में एक बडा सवाल सामने आया है कि नई कर प्रणाली का पर्याय चुने या पुरानी पध्दति के साथ रहे? यदि तुम आयकर कानून अंतर्गत विविध कर बचत साधन उपयोग करते हो तो तुम्हारे लिए यह पुरानी कर व्यवस्था बहुत अच्छी है.