चिंताजनक तस्वीर: चार माह में 145 जन्मजात मौतें
124 शिशुओं की मृत्यु, मातृत्व के सुखद अहसास को स्टीलबर्थ का क्रैक
अमरावती/ दि.31-एक महिला के गर्भवती होने से लेकर मां बनने तक के सफर का हर पल एक सुखद अनुभव होता है. अगले नौ महीने तक वह सावधानी से अपने बच्चे को अपने गर्भ में रखती है. बच्चे के जन्म के दर्दनाक चरणों का सामना करता है. जिला स्वास्थ्य विभाग ने दी जानकारी के अनुसार इस वर्ष जनवरी से अप्रैल इन चार महिने में जिले में कुल 11242 महिलाओं की प्रसुती हुई. इनमें 6509 महिलाओं प्रसुति प्राकृतिक तथा 4733 महिलाओं की प्रसुति सिजेरियन से की गई. इस प्रसुति में 5759 लडके तथा 5509 लडकियां, ऐसे कुल 11268 शिशुओं का जन्म हुआ. वहीं दूसरी ओर 145 माताओं ने मृत बालकों को जन्म दिया. इसके अलावा इन चार महिने में 1 से 5 आयुवर्ग के 23 बालकों का तथा शून्य से एक वर्ष के 101 ऐसे 124 बालकों की मृत्यु हुई. प्रसुति दौरान पांच माताओं को अपनी जान गंवानी पडी. महिला को गर्भवती होने से लेकर तो मां बनने तक का हर पल सुखद अनुभूति का होता है. पूरे नौ महिने तक ध्यान रखते हुए वह अपने आने वाले बच्चे के लिए काफी वेदनाएं सहन करती है. फिरभी कुछ माताओं के हिस्से मेें दुख आता है. क्योंकि प्रसुति के बाद गोद में आया शिशु मृत होने का दुख वह सहन नहीं कर पाती. जिले में पिछले चार महिने में 145 महिलाओं के हिस्से में यह दुख आया है.
* जनवरी से अप्रैल तक के आंकडे क्या बताते है?
गर्भधारणा होने पर जल्द ही जांच के लिए जाएं
रक्तचाप होने पर औषधि लें और नियंत्रित रखें
अॅनिमिया के लिए औषधोपचार करें
घर पर नहीं, अस्पताल में प्रसुति कराएं
कुछ तकलीफ रहने पर स्त्रीरोग विशेषज्ञ की सलाह लें
गर्भधारणा के समय शिशु की कोई हलचल न होने की बात पता चलने पर तुरंज जांच कराएं
* संक्रमण के कारण हो रही मृत्यु
उपजत मृत्यु के कारण कई है. गर्भनाल मां और बच्चे के स्वास्थ्य के बीच की कड़ी है. इसलिए, गंभीर स्थिति वाले बच्चे की गर्भनाल कई गर्भवती माताओं से बच्चे को रक्त की आपूर्ति करती है. इस नाल में ही समस्या रहने पर शिशु का विकास नहीं होता. जिससे शिशु मृत जन्मता है. नाल में संक्रमण के कारण अथवा माता की गंभीर प्रकृति के कारण शिशु की मृत्यु हो सकती है.
* ग्रामीण में पर्याप्त सुविधा नहीं
जिले में ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं है. इसलिए गंभीर स्थिति में कई गर्भवती महिलाओं को जिला महिला अस्पताल डफरीन में रेफर किया जाता है. यात्रा दौरान गर्भवती व पेट में पल रहे शिशु की हालत गंभीर होती है. चार महिने में डफरीन में 70 उपजत मृत्यु की जानकारी डॉक्टरों ने दी.
पहली प्रसुती को सामान्यत: 12 से 24 घंटे का समय लगता है. गर्भवती महिला को मधुमेह, हाईपर टेंशन तथा अन्य बीमारी शिशु के स्वास्थ्य के लिए घातक होती है. इसलिए हायरिस्क गर्भवती को कम से कम पंद्रह दिन पूर्व ही अस्पताल में उपचार के लिए दाखिल होना आवश्यक है.
– डॉ.सुभाष ढोले, जिला स्वास्थ्य अधिकारी