अमरावती/दि.14– दीपावली का त्यौहार चार दिन का रहता है. उसमें लक्ष्मी पूजन महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन घर- घर में लक्ष्मी मूर्ति की पूजा की जाती है. स्थानीय महापुरूषों के पथ पर चलनेवाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्नी, मां व बेटी को लक्ष्मी मानकर उनकी पूजा कर आरती उतारते हुए दर्शन किए व उन्हें साडी-चोली भेंट देकर 12 नवंबर को अनोखा लक्ष्मी पूजन किया.
गत 17 वर्षो से सत्यशोधक कार्यकर्ताओं ने यह कथा शुरू की. इस पत्नी पूजन कार्यक्रम की सर्वत्र सराहना तथा व्यापक तौर पर यह प्रथा प्रचलित हुई है. मराठा सेवा संघ, संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ता पत्नी की पूजा करते है. तहसील के भटउमरा निवासी सत्यशोधक समाज के पेंटर केशवराज काले गत 17 वर्षो से लक्ष्मी पूजन के दिन पत्नी का पूजन करते है. जिले के अनेक परिवारों में उनका अनुकरण किया जाता है.
सत्यशोधक समाज के जिलाध्यक्ष गजानन धामणे ने उनकी पत्नी सौ. मालती का पूजन कर साडी चोली भेंट दी. रिसोड तहसील के येवती निवासी गणेश शिंदे ने पत्नी अंजली, मां व बेटी का पूजन किया. रिसोड ेके संभाजी ब्रिगेड के तहसील अध्यक्ष गोपाल खडसे ने पत्नी रूपाली रिसोड के मराठा सेवा संघ के तहसील अध्यक्ष शिवाजी कव्हर ने उनकी पत्नी, मां व बेटी का पूजन किया. वाशिम निवासी समणक जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष अजय सोनुनकर ने पत्नी शुभांगी, रिसोड तहसील के लोणी निवासी शाहिर पंडितराव देशमुख ने पत्नी जयश्री, स्थानीय ड्रीमलैंड सिटी निवासी सिंधुताई सोनुने ने अपनी बहू रेखा व पल्लवी सोनूने को पूजा घर में बिठाकर पूजन करने के बाद दोनों के पति व बच्चों ने उनके दर्शन किए. मंगरूलपीर निवासी अशोक राउत ने पत्नी सोनल तथा और भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्नी पूजन का उपक्रम पूर्ण किया. आमतौर पर परिवार के किसी भी निर्णय में महिलाओें को शामिल नहीं किया जाता. शादी में पूजा व सम्मान के पश्चात उनका कभी भी पूजन नहीं होता. गृहलक्ष्मी को लक्ष्मी का सामान नहीं दिया जाता. इसलिए संत तथा महापुरूषों द्बारा दिया गया स्त्री-पुरूष समानता का संदेश सर्वत्र फैलानेवाले का काम सत्यशोधक कार्यकतार्र् कर रहे है. पत्नी पूजन कार्यक्रम के फोटो व वीडियो सोशल मीडिया पर बडे पैमाने पर वायरल हो रहे है. गलत रूढी परंपराओं को छेद देकर सत्य का मार्ग दिखानेवाले इस उपक्रम की सर्वत्र चर्चा चल रही है.