अमरावती

वाह री महापालिका : कुत्तों की नसबंदी पर लाखों खर्च

फिर भी जनता को रात के समय घर से निकलना दूभर

अब नई निविदा प्रक्रिया : आवारा कुत्तों का होगा सर्वे
अमरावती/ दि. 4- अमरावती महापालिका क्षेत्र के हर परिसर में आवारा कुत्तों का झूंड दिखाई देना आम बात हो गई. महापालिका की लापरवाही के चलते बढ रही कुत्तों की संख्या तेजी से बढने के कारण शहरवासी परेशान हो गए है. इस वर्ष महापालिका के अनुसार 2 हजार कुत्तों की नसबंदी की गई है. लाखों रूपए नसबंदी पर खर्च करने के बाद भी रात के समय लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है. पैदल या वाहन चालक के वहां से गुजरते ही कुत्ते पैरों पर झपट्टा मारने के लिए दौडते है. इससे डर के मारे कई लोगों ने रात के वक्त वॉक पर निकलना भी बंद कर दिया है. महिलाएं भयभीत है. बच्चों को स्कूल भेजने में कुत्तों के काटने का खतरा बना रहता है. पिछले कई माह से आवारा कुत्ते पकडनेवाले महापालिका के वाहन दिखाई ही नहीं दिए. दूसरी तरफ मनपा द्बारा केवल दस्तावेजों पर ही कार्रवाई किए जाने का दावा किया जाता है. परंतु सच्चाई इससे ठीक विपरित है.
गली, मोहल्ले यहां तक की मुख्य रास्ते से भी आवारा कुत्ते अचानक दौडते हुए दिखाई देते है. कभी भी डिवायडर से छलांग लगाकर रोड पर कूद जाते है. जिसके कारण वाहन चालकों को काफी सावधानी के साथ वाहन चलाना पड रहा है. आए दिन सडक दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है. कुत्तों का झूंड यदि कहीं दिखाई दिया तो समझ लो कि वाहन चालको पर टूट पडेंगे, ऐसी कई घटनाएं देखने में आयी है. इसका उदाहरण कई शहरवासी बता सकते है. आवारा कुत्तों के कारण सामान्य दुर्घटनाएं आम दिन की बात हो गई है. महापालिका क्षेत्र में जुलाई 2017 के बाद वर्ष 2023 में आवारा कुत्तों की नसबंदी की गई. ऐसा महापालिका का कहना है. परंतु लगातार कुत्तों की बढती जनसंख्या शहरवासियों के लिए सिरदर्द बन गई है. हर गली मोहल्लों में शहरवासियों के लिए हर दम खतरा बना हुआ है. लोगों को तो यहां तक देखा गया है कि उन्होंने नियमित आवागमन के रास्ते ही कुत्तों के कारण बदल दिए है. यह समस्या केवल किसी एक विशेष क्षेत्र की नहीं बल्कि शहर के हर परिसर के मोहल्लों में देखने को मिल रही है. इस बारे में कई बार शिकायत करने के बाद भी महापालिका का पशु स्वास्थ्य विभाग ध्यान देने को राजी नहीं है. केवल दस्तावेजों पर कार्रवाई दिखाई जाती है. इससे पहले भी आवारा कुत्ते पकडने वाले ठेकेदारों ने महापालिका द्बारा बिल अदा नहीं किए जाने के कारण उन्होंने कुत्ते पकडने का काम छोड दिया था. साईनगर से आगे म्हाडा कॉलोनी के पास महापालिका ने कुत्तों की नसबंदी के लिए लाखों रूपए खर्च कर अस्पताल बनाया. सारे साजोसामान लाए गए. परंतु आज की स्थिति में केवल कबाडा है. इससे पहले भी अखबारों में यह मामला कई बार उठाया गया. मगर प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. महापालिका की इस कार्रवाई पर जनता द्बारा सवालिया निशान उठाया जा रहा है.
* कुत्तों की नसबंदी पर 10 लाख का खर्च
मई 2016 से जुलाई 2017 के बीच 10, 870 कुत्तों की नसबंदी की गई. जिसमें प्रति कुत्ते पर 745 रूपए खर्च किया गया. इस तरह कुत्तों की नसबंदी पर महापालिका की ओर से 80 लाख रूपए खर्च किए गए.
* जिला अस्पताल में 15,361 लोगों ने कराया इलाज
जिला सामान्य अस्पताल में दर्ज मामलों के अनुसार 22 अप्रैल से 31 मार्च 2023 के बीच कुत्तों के काटने के कारण 15 हजार 361 लोगों ने इलाज करवाया.
* रोजाना कुत्ते की काटने की घटना
शहर में रोजाना किसी न किसी मोहल्लों में कुत्ते के काटने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है. कई रास्तों पर कुत्तों का झूंड मोटर साइकिल चालकों के पीछे दौडता हुआ दिखाई देता है. शहर के शारदानगर, राजापेठ, अंबापेठ, चौरेनगर, गोपाल नगर, शंकर नगर, यशोदानगर, दस्तुरनगर, मंगलधाम कॉलोनी, दशहरा मैदान झोपडपट्टी, लालखडी परिसर जैसे अन्य क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के काट खाने, सामूहिक रूप से झुंड में वाहन चालकों के पीछे दौडने जैसी घटनाएं रोजाना देखने को मिल रही है. खासतौर पर जिस क्षेत्र में मांस बिक्री का व्यवसाय किया जाता है. उस परिसर में कुत्तों के झुंड ज्यादा दिखाई देते है. इसके अलावा सामान्य बस्ती में भी कुत्तों के आतंक से जनता परेशान है. महापालिका के पशु स्वास्थ्य विभाग द्बारा कार्रवाई किए जाने का दावा केवल दिखावे का साबित हो रहा है.
* कुत्तों के लिए दल गठित किया
इससे पहले 2 हजार कुत्तों की नसबंदी का ऑपरेशन किया गया है. शिकायत के अनुसार कुत्ते पकडे जाते है. इसके अलावा महापालिका ने दल भी गठित किया है.
डॉ. सचिन बोंद्रे,
पशु शल्य चिकित्सक , महापालिका अमरावती

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