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फेडरेशन कप नैशनल कबड्डी के सफल आयोजन पश्चात बोले यश खोडके

अभी तो केवल शुरुआत, आगे लंबा सफर बाकी

* खेल के जरिए राजनीति नहीं, खिलाडियों के लिए अवसर उपलब्ध कराने की बात कही
* कबड्डी महासंघ व कबड्डी एसो. से मिले सहयोग को दिया सफल आयोजन का श्रेय
* अन्य क्रीडा संगठनों से सहयोग मिलने पर और भी क्रीडा स्पर्धाएं आयोजित करने का जताया मानस
अमरावती/दि.5 – महाराष्ट्र सहित देश के इतिहास में अब तक कभी भी महिला व पुरुष राष्ट्रीय कबड्डी स्पर्धा का एक साथ आयोजन नहीं हुआ था. ऐसे में विगत 2 से 4 मई के दौरान अमरावती में आयोजित चौथी राष्ट्रीय फेडरेशन कप महिला व पुरुष कबड्डी स्पर्धा के आयोजन को अभूतपूर्व व ऐतिहासिक कहा जा सकता है और सबसे बडी बात यह रही कि, यह आयोजन पूरी तरह से सफल भी रहा. जिसका पूरा श्रेय भारतीय कबड्डी महासंघ तथा विदर्भ व अमरावती कबड्डी एसो. की एकजुटता से मिले सहयोग तथा शोध प्रतिष्ठान के सहयोगियों द्वारा किए गए परिश्रम को दिया जा सकता है, इस आशय का प्रतिपादन करते हुए शोध प्रतिष्ठान के अध्यक्ष यश खोडके ने कहा कि, यद्यपि वे एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, लेकिन क्रीडा स्पर्धा के आयोजन की आड लेकर अपना कोई राजनीतिक हित साधना उनका उद्देश कतई नहीं था. बल्कि वे अमरावती को कबड्डी जैसे देशज खेल का भव्यदिव्य आयोजन दिखाते हुए स्थानीय कबड्डी प्रेमियों व क्रीडा प्रेमियों से मिट्टी से जुडे इस खेल के साथ जोडना चाहते थे तथा उनका यह प्रयास पूरी तरह से सफल भी रहा.
अमरावती जैसे छोटे शहर में राष्ट्रीय फेडरेशन कप महिला व पुरुष कबड्डी स्पर्धा का शानदार व सफल आयोजन संपन्न होने के बाद दैनिक अमरावती मंडल ने इस आयोजन के मुख्य मेजबान रहे यश खोडके से विस्तार के साथ चर्चा की. इस चर्चा के दौरान उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही यश खोडके ने आयोजन की मेजबानी मिलने से लेकर इसके संदर्भ में की गई विभिन्न तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारियां दी. यश खोडके के मुताबिक वे इससे पहले अमरावती में जिलास्तरिय क्रिकेट व फूटबॉल स्पर्धाओं का भी आयोजन कर चुके हैं तथा उनकी मंशा राज्यस्तरीय व राष्ट्रस्तरीय क्रीडा स्पर्धा आयोजित करने की थी. इसी दौरान उनका संपर्क भारतीय कबड्डी महासंघ के जितेंद्रसिंह ठाकुर के साथ हुआ, जिनसे हुई चर्चा के बाद कबड्डी महासंघ सहित विदर्भ एमेच्युअर कबड्डी एसो. व अमरावती जिला कबड्डी एसो. के पदाधिकारी भी अपनी एकजुटता दिखाते हुए एक साथ आए, जिसके चलते अमरावती में राष्ट्रीय फेडरेशन कप कबड्डी स्पर्धा का आयोजन करने का नियोजन किया गया और देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय पुरुष व महिला कबड्डी स्पर्धा आयोजित करने की योजना तय की गई, जिसे अमलीजामा पहनाने के लिए तमाम छोटी-बडी तैयारियां करते हुए खेल प्राधिकरण से मंजूरी भी हासिल की गई और मंजूरी मिलते ही अमरावती में जमीनी स्तर पर काम करना शुरु किया गया.
* तीन-चार माह पहले से शुरु हुई थी तैयारियां
इस बातचीत के दौरान शोध प्रतिष्ठान के अध्यक्ष यश खोडके ने बताया कि, भारतीय कबड्डी महासंघ व खेल प्राधिकरण द्वारा हरी झंडी दिखाए जाते ही अलग-अलग राज्यों व सरकारी महकमों की महिला व पुरुष कबड्डी टीमों से संपर्क का दौर शुरु हुआ तथा विभिन्न राज्यस्तरिय कबड्डी स्पर्धाओं में विजेता रहनेवाली तथा वर्ल्ड कप व एशियायी कप जैसी कबड्डी स्पर्धाओं में खेल प्रदर्शन कर चुके खिलाडियों का समावेश रहनेवाली कबड्डी टीमों को आमंत्रित करने के साथ ही तीन-चार माह पूर्व ही उनके भोजन व आवास हेतु होटल बुक करने तथा उन्हें अलग-अलग स्थानों से आयोजन स्थल पर लाने ले जाने के लिए वाहनों व्यवस्था करने का काम शुरु किया गया. वहीं करीब एक माह पहले से गाडगेबाबा समाधि मंदिर के सामने स्थित मैदान पर राष्ट्रीय कबड्डी स्पर्धा के लिहाज से अत्याधुनिक क्रीडांगण तैयार करने का काम शुरु किया गया. जिसकी बदौलत 2 से 4 मई के दौरान हुआ यह आयोजन बेहद सफल रहा.
* 100 लोगों की टीम दिन-रात लगी रही काम में
यश खोडके ने बताया कि, शोध प्रतिष्ठान के सदस्य रहनेवाले 100 समर्पित लोगों की टीम इस आयोजन को सफल बनाने हेतु विगत एक माह से दिन-रात काम में लगी हुई थी. इस टीम के सदस्यों की एक माह पहले हुई नियोजनपूर्व बैठक में तमाम तैयारियों की रुपरेखा तय करते हुए अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग समितियां बना दी गई थी और हर समिति में 4 से 5 लोगों का समावेश करते हुए उन्हें उनके कामों से संबंधित सभी साधन भी उपलब्ध करा दिए गए थे. ताकि ऐन समय पर किसी भी तरह की दौडभाग या असमंजस वाली स्थिति न बने. विगत एक माह से लगातार किए जा रहे इस नियोजन की बदौलत ऐन आयोजन के समय सभी कार्य समितियों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियां का बखूबी नियोजन किया. जिसके चलते पूरा आयोजन निर्विघ्न एवं शानदार तरीके से संपन्न हो गया.
* खेल को राजनीति से अलग रखे जाने की सख्त जरुरत
इस बातचीत के दौरान यश खोडके ने कहा कि, खेल और राजनीति दोनों अलग-अलग क्षेत्र हैं. अत: किसी ने भी अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए खेलों को अपनी राजनीति का अखाडा नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे खेलों के साथ-साथ खिलाडियों का भी बहुत बडा नुकसान होता है. अत: क्रीडा क्षेत्र के लिए काम करते समय राजनीति को इससे बिलकुल अलग रखा जाना चाहिए. यश खोडके के मुताबिक देश के उत्तरी राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र, विशेषकर पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में खेलों को लेकर जागरुकता काफी हद तक कम है. इसके पीछे सबसे मुख्य वजह खेल के क्षेत्र में राजनीतिक दखल को कहा जा सकता है. यदि खेलों से राजनीति को अलग कर दिया जाए तो शायद क्रीडा क्षेत्र का सही अर्थो में विकास हो सकता है और इसका सीधा फायदा अलग-अलग क्षेत्रों के खिलाडियों को मिल सकता हैै.
* खेलों के जरिए भी बन सकता है आकर्षक करिअर
इस बातचीत के दौरान यश खोडके ने कहा कि, जीवन में आगे बढने और करिअर बनाने के लिए पढाई-लिखाई का अपना एक महत्व तो है ही, साथ ही साथ जीवन में आगे बढने के लिए खेलों का भी सहारा लिया जा सकता है और किसी भी खेल प्रकार में शानदार सफलता व उपलब्धि हासिल कर जीवन में सफलता प्राप्त करने के साथ-साथ पैसा, प्रसिद्धी व सम्मान हासिल किया जा सकता है. यश खोडके के मुताबिक देश के उत्तरी राज्यों में खेलों के जरिए सरकारी नौकरी प्राप्त करने या करिअर बनाने को लेकर जागरुकता काफी अधिक है. यही वजह है कि, अमरावती सहित महाराष्ट्र के क्रीडा प्रशिक्षण संस्थाओं में उत्तरी राज्यों के विद्यार्थियों की संख्या काफी अधिक होती है, जो यहां से खेलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने राज्यों में वापिस जाने के बाद उन्हीं खेलों के प्रमाणपत्रों के दम पर सरकारी नौकरियां हासिल करते है. वहीं हमारे यहां के युवाओं में क्रीडा क्षेत्र को लेकर काफी हद तक उदासीनता देखी जाती है. ऐसे में यह जरुरी हो चला है कि, स्थानीय युवाओं को क्रीडा क्षेत्र के साथ जोडने हेतु अमरावती में विभिन्न क्रीडा प्रकारों के राज्यस्तरीय व राष्ट्रस्तरीय टुर्नामेंटस् का आयोजन किया जाए.
* मौका मिला तो अन्य क्रीडा प्रकारों की स्पर्धाएं भी लेंगे
अमरावती में नैशनल फेडरेशन कप महिला व पुरुष कबड्डी स्पर्धा का आयोजन सफल रहने पर अपनी प्रसन्नता जाहीर करते हुए यश खोडके ने कहा कि, इस आयोजन के सफल रहने से वे जितने उत्साही थे उससे कहीं अधिक अपने आप को उर्जावान महसूस कर रहे है. साथ ही उन्हें अब यह भरोसा भी है कि, जिस तरह से उन्हें कबड्डी महासंघ व कबड्डी एसोसिएशन की ओर से एकजुट साथ व सहयोग मिला. यदि उसी तरह का साथ व सहयोग उन्हें अन्य क्रीडा संगठनों की ओर से भी मिलता है तो वे अन्य क्रीडा प्रकारों की भी राज्यस्तरीय व राष्ट्रीय स्पर्धाएं आयोजित करने का प्रयास करेंगे.
* अमरावती में क्रीडा प्रतिभाओं की कमी नहीं, इच्छाशक्ति का होना जरुरी
इस बातचीत के दौरान कई बार धीर-गंभीर होते हुए बेहद युवा रहनेवाले यश खोडके ने कहा कि, अमरावती में खेल प्रतिभाओं की कभी कोई कमी नहीं रही. बल्कि ऐसी खेल प्रतिभाओं को तराशने व निखारने के अवसर यहां बेहद कम रहे और इस दिशा में काम करने की राजनीतिक व सामाजिक इच्छाशक्ति भी बेहद कम रही. इसकी वजह से अमरावती के खिलाडियों को आगे बढने हेतु अपने खुद के दम पर और व्यक्तिगत स्तर पर काफी अधिक संघर्ष करना पडा. यदि ऐसी खेल प्रतिभाओं को समय रहते पहचान कर तराशे व निखारने का काम किया गया होता, तो अमरावती के कई खिलाडी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जरुर चमके रहते. इसके साथ ही यश खोडके ने इस बात पर भी चिंता जताई कि, अमरावती सहित विदर्भ क्षेत्र से निकलकर जिन खिलाडियों ने अपनी जीवन में थोडीबहुत सफलता व मानसम्मान हासिल किया, तो उसके बाद वे उसी मानसम्मान तक सीमित होकर रह गए और उनका खेल काफी पीछे छूट गया. जबकि देश के अन्य राज्यों के कई खिलाडी बडे-बडे सरकारी ओहदों पर पहुंच जाने के बाद भी अपने खेल को पीछे नहीं छोडते, एवं अपने भीतर के खिलाडी को जिंदा रखते है, यह बात हाल ही में संपन्न नेशनल फेडरेशन कप कबड्डी स्पर्धा में भी साबित हुई. जब सर्विसेस व इंडियन रेलवे के साथ ही कई राज्यों की टीमों में शामिल खिलाडियों के बारे में पता चला कि, वे बडे-बडे सरकारी पदों पर पदस्थ है. लेकिन खेल के मैदान में उतरते ही वे अपने पद व ओहदे का रुतबा बाजू में रखकर केवल खिलाडी के तौर पर ही भूमिका में आ जाते है, इस बात को हमारे यहां के खिलाडियों ने भी आत्मसात करना चाहिए.
* फिलहाल सक्रिय राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं
इस बातचीत के दौरान जब यश खोडके से यह जानने का प्रयास किया गया कि, क्या वे निकट भविष्य में अपने माता-पिता की तरह राजनीति के क्षेत्र में भी सक्रिय होते दिखाई देंगे, तो यश खोडके का कहना रहा कि, उन्होंने इस बारे में फिलहाल कोई विचार नहीं किया है. साथ ही यदि उन्हें उनके नेता अजीतदादा पवार तथा मार्गदर्शक पिता संजय खोडके व मां सुलभा खोडके द्वारा इस बारे में कोई निर्देश दिया जाता है और यदि अमरावती की जनता ऐसा कुछ चाहती है, तब वे इस बारे में जरुर विचार करेंगे. लेकिन फिलहाल उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है.

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