
* ओलंपिक पदक को बनाया है लक्ष्य
अमरावती/दि.22 – धामणगांव के छोटे से कसबे जलगांव आर्वी के मूल निवासी यशदीप संजय भोगे ने तीरंदाजी के माध्यम से नाम तो कमाया ही, साथ ही अपना करियर भी बनाने की दिशा में मजबूत कदम रखा है. यश भोगे पूर्वोत्तर में रेलवे में कार्यरत है. अमरावती का यह तीरंदाज 2028 के ओलंपिक खेलो में पदक लाने की लालसा रखता है. अमरावती मंडल से विशेष वार्तालाप में यश ने बताया कि, वह कोरीयन प्रशिक्षक कीम हाग योंग से ट्रेनिंग ले रहे हैं. उनकी ट्रेनिंग हरियाना के सोनीपत स्थित साईं के खेल संस्थान में चल रही है. साथ ही यश अपनी रेलवे की ड्यूटी भी कर रहे हैं.
* बालेवाडी में हुआ राज्यपाल के हस्ते गौरव
दो रोज पहले पुणे के बालेवाडी में यशदीप भोगे को प्रदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार शिव छत्रपति अवॉर्ड से राज्यपाल राधाकृष्णन ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं एकनाथ शिंदे, खेल मंत्री दत्ता मामा भारणे की उपस्थिति में सम्मानित किया. यह अत्यंत गौरव के क्षण रहने की बात यश ने अमरावती मंडल से फोन पर बातचीत में बडे अभिमान और हर्ष से कही. यश ने बताया कि, उनके पिता विधि महाविद्यालय से सेवानिवृत्त लायब्ररीयन है. वहीं मां सुवर्णा भोगे गृहिणी है. उनका बडा भाई राजदीप रिलायंस में प्रबंधक है, तो भाभी आरती भोगे डीएचएल में प्रबंधक हैं.
* पहला प्रशिक्षण विश्वकर्मा से
यश भोगे तीरंदाजी में अमरावती क्षेत्र का प्रमुख नाम बन चुके हैं. उन्होंने बताया कि, उनके पहले अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण गणेश विश्वकर्मा रहे. उन्होंने अमरावती के फसाटे और ठाकरे सर से भी तीरंदाजी के गुर सीखे. उपरांत कोरियाई कोच लिम चाई वुंग से भी प्रशिक्षण प्राप्त यश भोगे ओजीक्यू कंपनी से 2021 से प्रायोजकत्व प्राप्त है. उनका लक्ष्य 2028 के ओलंपिक खेलो में पदक लाना है.
* बना सकते हैं करियर
यश भोगे ने कहा कि, लक्ष्य बडा रखना अच्छा रहता है, वे आज के युवाओं से कहना चाहते हैं कि, खेलों के माध्यम से भी करियर बन सकता है. बल्कि खेल क्षेत्र से जुडे रहे तो फिटनेस की ओर बराबर ध्यान रहता है. यश ने कहा कि, छात्र जीवन में अपनी पढाई के साथ-साथ किसी न किसी अलग विधा में हाथ आजमाना चाहिए. अपने भीतर की प्रतिभा को अवसर देना चाहिए, परिश्रम के बल पर सामान्य श्रेणी के लोग भी कमाल के खिलाडी सिद्ध हुए हैं. औसत समझे जानेवाले लोगों ने ही दुनिया में करिष्मे कर बतलाए हैं.
* उतार-चढाव आते रहते
शिव छत्रपति अवॉर्ड प्राप्त होने से हर्षित यश भोगे ने कहा कि, उन्होंने फिलहाल अपना संपूर्ण ध्यान अगले ओलंपिक खेलों की तैयारी हेतु केंद्रीत किया है. वे हरियाना के सोनीपत में परिश्रम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, खेलों में भी जीवन की तरह उतार-चढाव आते हैं. किंतु खेल भावना ही है जो मनुष्य को मानसिक रुप से सुदृढ रखती है. उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि, जब कोई बाघ एक कदम पीछे लेता है तो समझ जाना चाहिए कि वह अगला और तगडा वार करनेवाला है. ऐसा ही मामला ताजा जिंदगी का है. अमरावती मंडल से बातचीत में यश ने बताया कि, 2013 से वे तीरंदाजी का अभ्यास कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने बीएएलएलबी की उपाधि प्राप्त कर रखी है.
* अनेक बडी अचिवमेंट
यश भोगे की उपलब्धि की बात करें तो वह 150 से अधिक मेडल्स विविध खेल प्रतियोगिताओं में जीत चुके हैं. पिछले दिनों संपन्न राष्ट्रीय खेलों में यश ने स्वर्णपदक प्राप्त किया. एशिया कप बैंकॉक में यश चांदी का मेडल जीतकर आए, उन्होंने चीन और इटली में हुई 2019 और 2023 के विश्व विद्यापीठ खेलों में भाग लिया और खूब तीर निशाने पर लगाए.