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योगिनी करेगी महाराष्ट्र सार्थक

साध्वी देवप्रिया जी का दावा

* पतंजलि का महिला सम्मेलन सुपर हिट, सांस्कृतिक भवन खचाखच
अमरावती/ दि. 10-योग महर्षि स्वामी रामदेव के पतंजलि महिला योग समिति की प्रमुख डॉ. साध्वी देवप्रिया जी ने कहा कि महिलाओं का योग को अपनाना राष्ट्र की चौमुखी प्रगति के लिए आवश्यक है. योगिनी बनना आवश्यक है. योगिनी ही महाराष्ट्र को सही अर्थो में महा राष्ट्र बना सकती है. वे सांस्कृतिक भवन में आयोजित महिला महा सम्मेलन में मार्गदर्शन कर रही थी. यह आयोजन चंद्रकुमार जाजोदिया उर्फ लप्पीसेठ और अनीता जाजोदिया की पहल से किया गया. मंच पर राज्य प्रभारी प्रा. दिनेश राठोड, सुधा अलीमोरे, संजीवनी माने, कल्पना शेटे, माया चव्हाण, स्मिता रिबनकर, शोभा जी, दत्तात्रय, प्रल्हाद, संजय भी विराजित थे. अपने धारा प्रवाह संबोधन से साध्वी जी ने खचाखच भरे सांस्कृतिक भवन में श्रोताओं को बांधे रखा. संपूर्ण परिसर में भारत स्वाभिमान के परचम, झंडों के साथ ही योग करने के लाभ के पोस्टर, भित्ती पत्रक, तख्तियां लगाई गई थी.् जिससे वातावरण योगमय हो गया था.
* बच्चों को बनाना हैं संस्कारवान
डॉ. देवप्रिया ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चों में सहनशीलता का अभाव परिलक्षित हो रहा है. इसके लिए उन्हें अध्यात्म, योग साधना से जोडना आवश्यक है. उनका मन स्थिर रहेगा. ऐसे ही साध्वी ने कहा कि प्रत्येक महिला अगर सोचे तो अनेक को योग सिखला सकती है. योग में अदभूत शक्ति है. इससे ऊंचे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं. बच्चों को संस्कारवार बनाने में योग बडा उपयोगी है. योग करने से मन मस्तिष्क को स्थिर कर पायेंगे. अपने लक्ष्य हम प्राप्त कर सकते हैं. देवप्रिया जी ने कहा कि छोटी-छोटी बातों को नजर अंदाज कर बडे लक्ष्य प्राप्त करने पर योग उपयोगी है. नकारात्मक और बेकार विचारों को जगह नहीं देता.
* सुंदर व्यवस्था, उमडी महिलाएं
सांस्कृतिक भवन में लगभग 18 जिलों की महिलाएं उमडी. गांव-गांव से आयी महिलाओं हेतु वहां सुंदर प्रबंध थे. भारत स्वाभिमान जिला ्रप्रभारी योगेश राठी, महिला प्रभारी राजेन आडतिया, अशोक मुंधडा, दत्तात्रय काले, शंकर नागापुरे, सदानंद आखरे, प्रल्हाद सुलताने, अथर्व गान, प्रदीप काटेकर, दादाजी फुंदे, अक्षय धनोरकर, सुधीर आसटकर, नरेंद्र गावंडे, ज्ञानेश्वर मोरे, अरविंद परदेसी, गिरधर देशमुख, मोहन जोशी, अशोक बोबडे, अशोक कुकडे, अशोक वर्रेहकर, पांडुरंग बहाड, संजय शिरभाते, संजय चाफले, शोभा भाटिया, सुनील वसु, नंदा पंजाबी, पूनम वाकडे, सपना कोंडे, मोहोड ताई, वर्षा शेकार, सीमा टेकाडे, वैशाली वैद्य, धरती तरारे, चंदा कोकाटे, सुनीता कंकाडे, उज्वला शेकार, शीतल मानकर, रोशनी काले, हर्षा देशमुख, गायधने ताई, कांचन जाधव, अर्चना कडू, संगीता गावनेर, प्रगति देशमुख, अर्चना खरबडे, जयश्री ठाकरे, वंदना शेकार, मोना कान्हेरकर, विजया निंभोरकर, नंदा टिवलकर, सुनीता ठाकरे, संगीता निंघोट, मीना टाक, अर्चना अढाउ, वर्षा काले, ज्योति धुले,रेखा माखीजा, मीना पाटिल, पारू निमकरदे, वंदना राउत, रेखा वानखडे, मीरा घुगे, डॉ. लीना अग्रवाल, मनीषा कुलकर्णी, सरिता मोटे, श्रध्दा, रेखा मनवानी, कोमल माखीजा, अंकिता सावलानी, मीना परवानगी, नंदा निचल, संगीता मोटे, पल्लवी पटेल, मनीषा भुसारी, रेणुका साबले, सविता ठाकरे, तेजस्विनी पाटिल, मौसमी भडक, अलका खापरे, रसिका विंचुरकर, पूनम कदम, संगीता राउत, वर्षा दहीकर, गीता बोरकर, ममता बजाज, शुभांगी जवंजाल, शुभांगी लाउरकर, वंदना राउत, सुरेखा जेउघाले, भावना रामखनी, पूनम पौराणिक, तारा राठी, डॉ. माधुरी सोनी, पार्वती निमकरदे, शिल्पा लहेरिया, सविता शेट्टी, मीना पाटिल, सुनीता आकोडे, उषा नाठे, प्रतिभा पाटिल, चंद्रकला जाधव, चित्रा पाटिल, सुषमा चक्रे, चंदा गुरूदेव, मनीषा चव्हाण, नलिनी राउत, वेणु कोकणे, अरूणा कोकणे, ज्योति डेंगेकर, नीता करंजकर, वनिता पातरे, जयलक्ष्मी राची, साधना गावंडे, पल्लवी साबले, किरण वानखडे, जयमाला खेडकर, रजनी भगवते, माया भुईभार, मीना पाटिल, वंदना राउत आदि अनेक का योगदान और उपस्थिति रही. भोजन और एकादशी के लिए फराल की अच्छी व्यवस्था प्रमोद देवडिया ने की थी.

 

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