गर्मी में मिर्च की पैदावार से हो सकती है कमाई
मल्चिंग पद्धति से उपज हेतु मिलता है अनुदान

* कम खर्च में होती है जोरदार आय, फसल भी शानदार
अमरावती /दि.18– गर्मी के मौसम दौरान फसलों की ओर अच्छा-खासा ध्यान देना पडता है, परंतु मल्चिंग पद्धति का प्रयोग करने पर जहां फसलों की उपज को गति मिलती है, वहीं इस जरिए उत्पादन खर्च में भी अच्छी-खासी बचत की जाती है और इस पद्धति से गर्मी के मौसम दौरान मिर्च की बुआई करना काफी फायदेमंद भी साबित होता है.
पूर्व हंगामी मिर्च की पैदावार हेतु मल्चिंग पद्धति का प्रयोग किया जाता है. साथ ही कई साग-सब्जियों की बुआई भी इसी पद्धति से की जाती है. समय के अनुसार अब खेती किसानी की पद्धति में भी बदलाव हो रहा है और किसान अब आधुनिक पद्धति का प्रयोग अपने खेतो में फसल उगाने हेतु करने लगे है. इसके चलते कम खर्च वाली तकनीक का प्रयोग कर ज्यादा उपज लेने हेतु इन दिनों मल्चिंग पद्धति का उपयोग बढ गया है. इस पद्धति के तहत फसलों के आसपास घासफूस नही उगती और फसलों की वृद्धि भी जमकर होती है. साथ ही कम पानी में मिर्ची का ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है और वाष्पीकरण की वजह से होनेवाला पानी का नुकसान भी टाला जा सकता है. इसके अलावा इस तंत्रज्ञान का प्रयोग करने से फसलों पर कीडों व रोगों का प्रभाव भी कम होता दिखाई देता है.
* बेड डालने व वाफे तैयार करने को गति
इस समय कई क्षेत्रों के खेतो में बेड डालने एवं वाफे तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है. जिसके बाद इस पर मल्चिंग की जाती है. जिसके जरिए फसलों में पानी को टिकाए रखा जा सकता है.
* मल्चिंग से वाष्पीभवन रुकता है, घास सूखती है
मल्चिंग पेपर फसल के आसपास घास के बढने में बाधा निर्माण करता है. जिससे घासफूस नष्ट हो जाती है. साथ ही पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है. जिससे फसल की उपज अच्छी होती है. ऐसे में इन दिनों मल्चिंग पद्धति का प्रयोग अच्छा-खासा बढ गया है.
* गर्मी में किन फसलों की पैदावार
गर्मी के मौसम दौरान किसानों द्वारा मिर्ची, भिंडी, पालक व बैगन सहित अन्य साग-सब्जियों की फसलों की पैदावार की जाती है. जिसके साथ ही कई किसानों द्वारा ग्रीष्मकालिन ज्वार व ग्रीष्मकालिन मूंगफल्ली आदि फसलों को भी अपने खेतो में उगाया जाता है.
* वाष्पीकरण की रफ्तार तेज
इस समय जिले में तापतान 40 डिग्री सेल्सीअस के आसपास जा पहुंचा है. जिससे पानी का वाष्पीकरण बडी तेजगति के साथ होता है, ऐसी स्थिति में मल्चिंग पद्धति का प्रयोग करने पर जमीन में गीलापन लंबे समय तक टिका रहता है, क्योंकि वाष्पीकरण की रफ्तार कम हो जाती है और फसल पर अन्नद्रव्य भी जल्दी पहुंचते है.
* ग्रीष्मकालिन मिर्ची जल्दी दिलाती है नकद रकम
मल्चिंग पद्धति के जरिए कम पानी में ग्रीष्मकालिन मिर्ची का जबरदस्त उत्पादन किसानों को मिलता है. जिसके जरिए किसानों को अच्छी-खासी आय भी होती है. गर्मी के मौसम दौरान मिर्ची को अच्छे दाम मिलने के चलते किसानों को अच्छे-खासे पैसे भी मिलते है.
* मल्चिंग के लिए प्रति हेक्टअर 17 हजार का अनुदान
खेतो में मल्चिंग पद्धति हेतु प्रति हेक्टेअर साधारण तौर पर 35 हजार रुपए का खर्च आता है. जिसमें से 50 फीसद यानी 17 हजार रुपए का अनुदान किसानों को सरकार की ओर से दिया जाता है. यह अनुदान 2 हेक्टेअर की मर्यादा में मिल सकता है.