अमरावती

छोटे- छोटे प्रयासों से कर सकते हैें पर्यावरण की सुरक्षा: किशोर रीठे

विश्व पर्यावरण दिवस पर आईआईएमसी में विशेष व्याख्यान

अमरावती/ दि. 6- आम आदमी भी पर्यावरण को बचाने में काफी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. अगर म सिर्फ इतना ही संकल्प ले लें कि हम प्लास्कि के कैरीबैग की बजाय कपडे के बने बैग कैरी करेंगे तो इससे ही बहुत बडा फर्क पैदा हो सकता है. पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर व्यापक प्रयास हो रहे है. बावजूद इसके हम पर्यावरण संकट और चुनौतियों से पूरी तरह निपट नहीं पाए है. इससे निपटने के लिए सभी को मिलकर छोटे- छोटे प्रयास करने होंगे. इन्ही प्रयासों और पहल से हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते है. यह विचार पर्यावरणविद किशोर रीठे ने व्यक्त किए.
सोमवार को भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पश्चिम क्षेत्रीय परिसर अमरावती में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया. इस अवसर पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईएमसी के पश्चिम क्षेत्रीय निदेशक प्रो.(डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती ने की. विशेष वक्ता के रूप में किशोर रीठे उपस्थित रहे. .
रीठे ने कहा कि समुद्र हमसे जो लेता है, वहीं हमें लौटाता है, हम जब समुद्र को प्लास्टिक का कचरा देते है तो वह में वही लौटाता है और जब हम उसे नारियल देते हैं, तो वह नारियल लौटाता है. इसका प्रमाण है दक्षिणी राज्यों में समुद्र तटीय इलाकों में नारियल के पेडों की विशाल श्रृंखला पर्यावरण को बचाने के लिए जैवविविधता का संरक्षण करना जरूरी है.
पश्चिम क्षेत्रीय निदेशक प्रो. (डॉ. )वीरेंद्र कुमार भारती ने कहा कि पचास साल पहले पर्यावरण के सामने जो चुनौतियां थी, आज वे कई गुना बढ चुकी है. इन चुनौतियों का सामना संभव है, समाधान भी संभव है. आठ अरब की यह आबादी पर्यावरण की समस्या नहीं है. पर्यावरण की समस्या है इस आबादी के बडे हिस्से में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का अभाव. हमने बीते कुछ दश्कोां में सिर्फ उपभोग करना सीखा है. इस उपभोग के लिए हमने न सिर्फ जल, वायु, वन संपदा, जैव विविधता जैसे प्राकृतिक स्त्रोतों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया है, बल्कि उन्हें लगातार विकृत और प्रदूषित भी करते गए है. हमारे लालच की वजह से पूरी धरती का ग्रीन कवर लगातार सिकुडता जा रहा है. पशु, पक्षियों ओर जलजीवों , वनस्पतियों की लाखों प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं और लाखों लुप्त होने के कगार पर है. आज जरूरत है कि पर्यावरण को वैश्विक चिंतन का विषय बनाया जाए. ताकि लोग एक साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने सामूहिक प्रयास करें.
विद्यार्थियों द्बारा निर्मित पर्यावरण आधारित प्रायोगिक समाचार पत्र का विमोचन किया गया. डॉ. राजेश सिंह कुशवाहा, प्रभातकुमार, संदीप अग्रवाल, संजय पाखोडे उपस्थित थे. प्रस्तावना सिल्की शौर्य ने रखी. संचालन प्रीतम यादव और मानसी शर्मा ने किया. स्वागत भाषण डॉ. आशीष दुबे ने किया. अतिथि परिचय अनिल जाधव ने दिया. आभार डॉ. विनोद निताले ने व्यक्त किया.

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