पत्थरबाजी व आपत्तिजनक को शेअर करने पर नहीं मिलेगी नौकरी
पुलिस थाने में दर्ज होता है अपराध, बनता है क्राइम रिकॉर्ड
अमरावती/दि.12 – इन दिनों अधिकांश युवा सोशल मीडिया व जमकर प्रयोग करते है. जिसके तहत इधर-उधर से प्राप्त होने वाली कई तरह की पोस्ट व लिंक को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की नियत से धडाधड शेअर किया जाता है. जिसमें कई बार कुछ ऐसी पोस्ट व लिंक का समावेश होता है, जो धार्मिक व जातिय भावनाओं को भडकाने का काम करती है. साथ ही कई बार धार्मिक व जातिय तनाव के साथ-साथ राजनीतिक प्रतिद्बंदता के चलते सडकों पर टकराव वाली स्थिति बन जाती है और समय युवाओं के गुट सडक पर उतरकर तोडफोड, पत्थरबाजी व आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम देने में भी आगा-पीछा नहीं देखते. लेकिन क्षणिक आवेग में आकर युवाओं द्बारा किया जाने वाला इस तरह का कोई भी कृत्य उनकी आगे की पूरी जिंदगी पर भारी पड सकता है और ऐसी किसी भी हरकत की वजह से उनका भविष्य भी बर्बाद हो सकता है. ऐसे में युवाओं को चाहिए कि, वे अपने भविष्य को लेकर संजीदा रहे तथा हाथ में पत्थर उठाने से पहले और सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की आपत्तिजनक या भडकाउ पोस्ट शेअर करने से पहले एक-दो बार नहीं बल्कि हजार बार सोच लें.
बता दें कि, इन दिनों किसी भी तरह की सरकारी अथवा निजी क्षेत्र की नौकरी के लिए युवाओं को पुलिस विभाग से चरित्र जांच प्रमाणपत्र प्राप्त करना होता है और इसी प्रमाणपत्र पर उनका भविष्य निर्भर रहता है. यह प्रमाणपत्र नियुक्ति पत्र प्राप्त करते समय अथवा नौकरी में नियुक्त होते समय यह प्रमाणपत्र प्रस्तूत करना अनिवार्य होता है. ऐसे में यह प्रमाणपत्र जारी करने से पहले संबंधित पुलिस विभाग द्बारा इस बात की जांच की जाती है कि, कहीं आवेदक के खिलाफ किसी भी तरह का कोई गंभीर अथवा सामान्य किस्म का अपराधिक मामला दर्ज है तो नहीं है और इस तरह की पडताल के बाद ही संबंधित व्यक्ति को प्रमाणपत्र देना है अथवा नहीं, इस पर विचार किया जाता है. साथ ही यदि किसी आवेदक के खिलाफ किसी भी तरह का अपराधिक मामला दर्ज है, तो उसे चरित्र प्रमाणपत्र दिया ही नहीं जाता. ऐसे में पुलिस की ओर से चरित्र प्रमाणपत्र नहीं मिलने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को हाथ आयी नौकरी से हाथ धोना पड सकता है और उसका भविष्य भी बर्बाद हो सकता है. ऐसे में हाथ में पत्थर उठाने से पहले, किसी लिंक को शेअर करने से पहले तथा जातिया व धार्मिक तनाव निर्माण करने वाली किसी भी घटना में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर सहभागी होने से पहले इस बात पर जरुर विचार करना चाहिए कि, कहीं हम अपने ही हाथों अपना करियर तो खत्म नहीं कर रहे.
ज्ञात रहे कि, किसी भी तरह के दंगे, हिंसा, उत्पात, उपद्रव, पत्थरबाजी, आगजनी व तोडफोड जैसी घटनाओं में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सहभाग पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज किए जाते है. साथ ही सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की आपत्तिजनक पोस्ट शेअर या फारवर्ड करने पर भी साइबर पुलिस अपराधिक मामला दर्ज किया जाता है. इस तरह के अपराधिक मामले दर्ज रहने वाले व्यक्ति को आगे चलकर पुलिस से चरित्र प्रमाणपत्र मिलने में काफी दिक्कत आती है और अधिकांश मामलों में पुलिस द्बारा चरित्र प्रमाणपत्र दिया ही नहीं जाता. ऐसे में यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी तरह का कोई अपराधिक मामला दर्ज है, तो उसे पुलिस की ओर से चरित्र प्रमाणपत्र नहीं मिलने के चलते आगे चलकर किसी भी तरह के सरकारी अथवा निजी नौकरी मिलने में मुश्किल आ सकती है.
* कई वर्ष काटने पडते है अदालतों में चक्कर
यदि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी तरह का कोई अपराधिक मामला दर्ज होता है, तो उसे आगे चलकर कई वर्षों तक पुलिस थाने सहित अदालत के चक्कर काटने पड सकते है.
* नौकरी मिलना हो जाता है मुश्किल
यदि किसी के खिलाफ गंभीर स्वरुप का कोई अपराधिक मामला दर्ज है, तो उसे सरकारी अथवा निजी नौकरी मिलना काफी मुश्किल हो जाता है. क्योंकि अपराधिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति को कोई भी संस्थान नौकरी नहीं देना चाहता.
* इन धाराओं के तहत दर्ज होता है मामला
– धारा 353
यह धारा किसी भी सार्वजनिक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से परावृत्त करने से किए गए प्राणघातक हमले के अपराध से संबंधित है.
– धारा 427
जो कोई उत्पात करते हुए 50 रुपए से अधिक रकम की हानि अथवा नुकसान करता है, उसके खिलाफ धारा 427 के तहत अपराधिक मामला दर्ज होता है.
– धारा 188
इस धारा के तहत आदेशों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को एक माह के कारावास या 200 रुपए दंड अथवा दोनों तरह की सजाएं मिल सकती है.
– धारा 109
फौजदारी प्रक्रिया के अंतर्गत धारा 109 के तहत कार्रवाई की जाती है. इसमें संदेहित व्यक्ति को जमानतदार देने के साथ ही ब्रॉन्ड पत्र भी देना पडता है.
– धारा 144
शांती व व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने हेतु इस धारा को लागू किया जाता है. जिसके तहत 5 अथवा इससे अधिक लोगों के एक ही स्थान पर जमा होने पर पाबंदी लगाई जाती है.
– धारा 153
यदि कोई व्यक्ति अपने किसी कृत्य अथवा बयान से लोगों को उकसाता है और ऐसी किसी वजह के चलते दंगे जैसी घटना होती है, तो ऐसे समय धारा 153 लगाई जाती है.
बॉक्स/फोटो- सीपी रेड्डी
* किसी भी दंगे अथवा जातिय तनाव वाली घटना को लेकर बेहद संगीन किस्म की धाराओं के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया जाता है. आपत्तिजनक पोस्ट को अपलोड करने के साथ ही शेअर व फारवर्ड करने वाले लोग भी कानूनी धाराओं के भीतर आते है. ऐसे में यदि युवाओं को अपना भविष्य खराब नहीं करना है, तो उन्हें चाहिए कि, वे पत्थरबाजी, हिंसा, तोडफोड, आगजनी व दंगे जैसी बातों से दूर रहे. साथ ही सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक प्रयोग करते हुए आपत्तिजनक व भडकावू पोस्ट को अपलोड, शेअर व फारवर्ड करने से बचे. सोशल मीडिया पर शेअर व फारवर्ड की जाने वाली प्रत्येक पोस्ट सोशल मॉनिटरिंग सेल की कडी नजर रहती है. इस बात को सभी ने ध्यान रखना चाहिए.
– नवीनचंद्र रेड्डी,
शहर पुलिस आयुक्त