मतदाता सूची में नाम रहने पर भी निकाय चुनाव में नहीं मिलेगा वोट डालने का हक

विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची का ही होगा प्रयोग, नवमतदाताओं को मतदान करने का नहीं मिलेगा मौका

मुंबई /दि.4- विधानसभा चुनाव के लिए तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची का ही स्थानीय स्वायत्त निकायों के आगामी चुनाव हेतु प्रयोग किए जाने की संभावना रहने के चलते नवमतदाताओं को निकाय चुनाव में वोट डालने का अधिकार व अवसर नहीं मिलेगा, ऐसी स्थिति व संभावना फिलहाल दिखाई दे रही है.
बता दें कि, आगामी अक्तूबर माह में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव होने की संभावना है. इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयारी शुरु कर दी गई है. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव हेतु केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मतदाता सूची हासिल की जाती है. जिसके अनुसार राज्य आयोग ने विधानसभा चुनाव हेतु उपयोग में लाई गई मतदाता सूची मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मांगी है और इसी सूची के नुसार स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव होंगे. ऐसे में विधानसभा चुनाव के उपरांत जिन लोगों के नाम बतौर मतदाता दर्ज हुए है, वे निकाय चुनाव में अपना वोट नहीं डाल सकेंगे.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसके पहले भी ऐसा हो चुका है. जब विधानसभा चुनाव के बाद मतदाता सूची में नाम दर्ज करानेवाले नए मतदाताओं को मनपा चुनाव में वोट डालने का मौका नहीं मिला. इसके अलावा स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव हेतु आवश्यक रहनेवाली इवीएम मशीन की मांग भी राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई है. इसे लेकर जानकारी देते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा बताया गया कि, स्वायत्त निकायों के चुनाव हेतु राज्य निर्वाचन आयोग को पूरा सहयोग किया जाएगा और जल्द ही विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची राज्य निर्वाचन आयोग को हस्तांतरित कर दी जाएगी.
* विधानसभा चुनाव के उपरांत 7 लाख नए मतदाताओं का पंजीयन
– स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव में विशेष रुची रखनेवाले राजनीतिक दलों व उनके स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा अपने-अपने मतदाताओं का पंजीयन कराने हेतु अच्छी-खासी दौडभाग की जा रही है. जिसके चलते विधानसभा चुनाव के बाद लगभग 7 लाख नए मतदाताओं के नामों का पंजीयन हुआ है.
– परंतु विधानसभा चुनाव में प्रयुक्त मतदाता सूचीयों का ही स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव में प्रयोग किया जाएगा, इस आशय का अंतिम निर्णय होने पर ऐसे नवमतदाता निकाय चुनाव में मतदान करने से वंचित रह जाएंगे. साथ ही अपने मतदाता बढाने हेतु पूरे उत्साह के साथ काम पर लगे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की मेहनत भी पानी में चली जाएगी.
– राज्य निर्वाचन आयोग के विधानसभा की मतदाता सूचीयों के अनुसार ही निकाय चुनाव में मतदान कराए जाने की भूमिका को लेकर अडीग रहने पर कुछ राजनीतिक दलों द्वारा नवमतदाताओं को मताधिकार मिलने हेतु राज्य निर्वाचन आयोग पर दबाव भी लाया जा सकता है.
* मतदाता सूची में राज्य निर्वाचन आयोग नहीं कर सकता कोई बदलाव
स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव करवाने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग पर होती है. परंतु राज्य निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची में नए मतदाताओं को जोडने का अधिकार नहीं होता तथा केंद्रीय निर्वाचन आयोग से प्राप्त मतदाता सूची में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कोई बदलाव भी नहीं किया जा सकता.
विधानसभा चुनाव में मतदाता संख्या – 9.73 करोड
विधानसभा चुनाव पश्चात मतदाता संख्या – 9.80 करोड

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