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अमरावती/दि.11– घर, फ्लॅट खरीदते समय धोखाधड़ी की घटनाएं हमेशा होती है. कई बार बिल्डर व प्रमोटर द्वारा दिए गए आश्वासनों की पूर्ति नहीं की जाती. कागजपत्र बराबर नहीं व आवश्यक नाहरकत प्रमाण पत्र नहीं होने से ग्राहकों को घर खरीदने के बाद मनस्ताप सहन करना पड़ता है. ऐसी घटना न घटे, इसके लिए महारेरा ने संबंधित दस्तावेज पब्लिक डोमेन यानि सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है. जिसके चलते ग्राहक-बिल्डर के बीच व्यवहार पारदर्शक व विश्वासपूर्ण रहने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है. सार्वजनिक किये जाने वाले कागज पत्रों में प्रोजेक्ट आर्किटेक्चर ने प्रकल्प के पंजीयन के समय दिए गए प्रमाण पत्र, प्रोजेक्ट इंजीनियर का प्रमाण पत्र, साइट सुपरवाइजर का ना हरकत प्रमाणपत्र, प्रकल्प पूरा होने का आर्किटेक्चर द्वारा दिया गया प्रमाणपत्र, बिल्डर-प्रमोटर की कंपनी का ऑडिट करने वाले चार्टर्ड अकाउंटंट का प्रमाण पत्र, प्रकल्प के बेचे गये सदनिका की जानकारी, सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्युरिटायझेशन अॅसेट रिकन्स्ट्रक्शन एंड सिक्युरिटी इंटरेस्ट ऑफ इंडिया द्वारा दी गई रिपोर्ट का समावेश रहेगा. ग्राहकों से धोखाधड़ी न हो, इसके लिए महारेरा कार्यरत होकर गत कुछ वर्षों में विविध आदेश द्वारा बिल्डर-प्रमोटर पर नियंत्रण रखा जा रहा है. अवधि खत्म होने पर भी प्रकल्प का निर्माणकार्य पूरा न करने वालों को काली सूची में डालने, पुनर्विकास करने हेतु इच्छुक प्रकल्पों को रेका पंजीयन अनिवार्य करने इन निर्णयों के कारण ग्राहकों में समाधान का वातावरण है.
* बढ़ रही है शिकायतें
अब तक पंजीकृत प्रकल्प के खिलाफ 15 हजार 319 शिकायतें रेरा को प्राप्त हुई है. वहीं पंजीयन न होने वाले प्रकल्पों के खिलाफ 831 शिकायतें है. पंजीकृत प्रकल्प के खिलाफ प्राप्त हुई शिकायतों में से 9 हजार 877 मामले हल किये जाने के साथ ही 5 हजार 442 अब तक प्रलंबित है.वहीं पंजीकृत न होने वाले प्रकल्पों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों में से 784 मामले हल हुए हैं, वहीं 47 प्रलंबित है. शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ रही है.