अमरावती

आंबेडकरवादी साहित्य गतिविधि में युवाओं को मोडने की जरूरत

डॉ.भास्कर पाटिल का प्रतिपादन

लक्ष्यभेदी परिसंवाद और साहित्यकारों का सम्मान
अमरावती/ दि. 15- आंबेडकरवादी साहित्य गतिविधियों से युवापीढी दूर है. लेख का स्तर काफी कम है. इसीलिए युवापीढी को साहित्य की ओर कैसे मोडा जाए, इस पर विचार करना जरूरी है. आंबेडकरवादी साहित्य गतिविधि और गतिमान कर युवाओं को ज्यादा संख्या में शामिल करना है, ऐसा प्रतिपादन प्रा.डॉ. भास्कर पाटिल ने व्यक्त किया.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर संस्कार भवन भीमटेकडी अमरावती में शब्द विचारमंच, बैरिस्टर राजाभाउ खोब्रागडे, मेमोरियल ट्रस्ट द्बारा राजर्षी छत्रपति शाहू महाराज स्मृति दिन के अवसर पर क्रांतिवीर सुखदेवराव तिडके की जयंती पर दूसरे परिवर्तनवादी आंबेडकर साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस समय बतौर अध्यक्ष के रूप में वे बोल रहे थे. परिसंवाद का विषय आज की युवापीढी, आंबेडकरी साहित्य के प्रवाह में रखा गया था. इस विषय पर प्रमुख वक्ता डॉ. रविकांत महिंदकर, प्रा. हंसराज रंगारी ने प्रस्तुत किया. इसके बाद क्षण गौरव का, साहित्यकारों का सम्मान, सत्कार, समारोह कार्यक्रम टी. एफ. दहिवाड़े की अध्यक्षता में हुआ.
मुख्य अतिथि पद्माकर मांडवधरे, देवानंद पाटिल, प्रो. पंचशील मैप्स, शब्दास्त्र प्रमुख विद्रोही प्रवीण कांबले, अविनाश गोंडाने, पी. इ. गोसावी, भाग्यश्री गाडगे, मंगला मेश्राम, डोंगरे, देवीलाल राउराले, थावरे गुरुजी, चरणदास नंदगावली को कवि शिव प्रधान, रत्नाकर शिरसाट, प्रेमानंद तिड़के, सुरेश मेश्राम, नलिनी नागदिवे, पंकज मेश्राम, प्रवीण सरोदे, मधु हिरेकर को शाल, बैज और बुके देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन राजेश्वरी नंदगावली ने किया और धन्यवाद प्रस्ताव अर्चना गोसावी ने दिया. साहित्य सम्मेलन में काफी भीड़ थी.

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