अमरावती

चायना मांजे से कटा युवक का गला

डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बचाई जान

* मोटरसाइकिल से आते समय साई नगर की घटना, दो नस भी कटी
अमरावती/ दि. 28– बडनेरा की ओर से अमरावती की ओर आते समय साई नगर चौक पर पतंग के मांजे से गला कट जाने की सनसनीखेज घटना कल रविवार की सुबह 9 बजे घटी. गंभीर रुप से घायल वरुडा निवासी रमेश धर्वे को तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया गया. डॉक्टरों ने जटील ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई. रमेश को 12 सेंटीमीटर गला कट गया. जिसमें महत्वपूर्ण दो नस भी कट गई थी. फिलहाल उसकी हालत स्थिर है, ऐसा डॉक्टरों ने बताया.
कल रविवार की सुबह 9 बजे बडनेरा के वरुडा में रहने वाला रमेश अशोक धुर्वे (35) उसके दोस्त के साथ मोटरसाइकिल से अमरावती की ओर किसी काम से निकला. बडनेरा से साई नगर चौक के दौरान अचानक उसके गले में पतंग का मांजा फंस गया. जिससे उसका मोटरसाइकिल से नियंत्रण छूट गया और वह जमीन पर जा गिरा. मोटरसाइकिल पर बैठा रमेश का दोस्त के समझ में आया कि, नॉयलॉन मांजे के कारण उसका गला कट गया है. तब उसने उपस्थितों की सहायता से रमेश को इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया.
रविवार होने के कारण सरकारी अस्पताल के कुछ डॉक्टर्स व कर्मचारियों क छूट्टी रहती है. परंतु घटना की स्थिति और मरीज की हालत को देखते हुए उपस्थित कर्मचारियों ने तत्काल प्राथमिक इलाज किया और इर्विन के नाक, कान, गला के डॉ. श्रीकांत महिल्ले समेत जनरल सर्जन डॉ. संतोष राउत व डॉ. भूषण ठाकरे से संपर्क कर उन्हें जानकारी दी.
तत्काल तज्ञ डॉक्टरों की टीम इर्विन पहुंची. नॉयलॉन मांजे से गले का अगला भाग 10 से 12 सेंटीमीटर कट गया, यह बात समझ में आते ही तथा उसके थायलाइड ग्रंथी कट जाने की बात समझ आया. उस समय उसका खुन भी काफी बह चुका था. डॉक्टरों ने तत्काल इर्विन के ब्लड बैंक से खुन चढाया. उसके बाद डॉक्टरों की टीम ने 3 घंटे का जटील ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा कर रमेश धुर्वे को नया जीवनदान दिया. इस ऑपरेशन में डॉ. श्रीकांत महल्ले, डॉ. संतोष राउत, डॉ. भूषण ठाकरे, डॉ. जयश्री अंभोरे, डॉ. बालकृष्ण बागवाले साथ ही परिचारिका रितु बैस, गायत्री तुंबले, स्वास्थ कर्मी कृष्णा पिंपले, उदय काले, अशोक जाधव आदि दल का समावेश था.

रमेश की हालत स्थिर
रमेश धुर्वे को गंभीर घायल अवस्था में इर्विन लाया गया. इसके बाद क्षणभर की देरी न लगाते हुए तत्काल इलाज शुरु किया गया. युवक का गला 10 से 12 सेंटीमीटर कट जाने के कारण थायराईड की ग्रंथ व हृदय से मस्तिष्क को खुन की आपूर्ति करने वाली नस भी कट गई थी. जिसके कारण ऑपरेशन काफी जटील था. 3 घंटे ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी कर रमेश की जान बचाने में हमे सफलता मिली. अब उसकी हालत स्थित है. उसे आईसीयू में रखा गया है.
-डॉ. श्रीकांत महल्ले, नाक, कान, गला तज्ञ, इर्विन अस्पताल अमरावती

 

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