अमरावती

युवाओं ने उठाया प्राणी संवर्धन का बीडा

वसा संस्था बनाकर हजारों घायल पशुओं का दर्द दूर किया

  • पिछले 18 वर्षों से लगातार सेवा जारी

अमरावती/दि.14 – विद्यार्थी रहते समय सर्प मित्र के रुप में काम करने की इच्छा से कुछ युवकों ने कई सांपों सहित अन्य जीवजंतुओं व वन्य प्राणियों को जीवनदान दिया. घायल पशुपक्षियों की पीडा दूर करने का कार्य लगातार जारी है. पशु, पक्षी, वन्य प्राणियों के लिए कुछ करने के उद्देश्य से इन युवाओं ने वसा संस्था की स्थापना की और प्राणी संवर्धन के कार्य में अपने आपकों झोंक दिया.
शुभम सायंके के अनुसार जब वे स्कूल में पढते थे, तब उन्होंने सबसे पहले सर्प मित्र के रुप में काम किया था. शहर में कही भी सांप निकलने के लिए उसे पकडने के लिए जाते थे. सांपों को पकडने और बचाने के बीच के अंतर को समझने में हमें देर नहीं लगी. उसमें सांप पकडने के लिए कई बार कक्ष से पलायन किया. घर पर मार भी सही, लेकिन सेवा जारी रखी. वसा के सदस्य घायल कुत्तों, बिल्लियों, गायों व अन्य मवेशियों को सडक पर पडे देखे थे. वे मदद करना चाहते थे,लेकिन उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन चार साल पहले राजापेठ रेलवे क्रॉसिंग के पास ट्रेन से हुई दुर्घटना में एक मादा कुत्ते के गंभीर रुप से घायल होने के बाद शुभम ने अपने दोस्त अक्षय चांबटकर, राहुल खोपे, शुभम झगडे, साहिल ढिक्याव की सहायता से पैर कटे श्वान को बचाया, लेकिन उस श्वान को अस्पताल ले जाने के लिए रुपए नहीं थे. इसलिए साहिल घर से कार लेकर आया और उसके बाद श्वान को अस्पताल ले जाया गया. डॉ.अनिल कलमकर ने उस श्वान पर इलाज किया. इसके बाद शुरु हुआ उनका डॉग रेस्क्यू का काम. जो आज भी जारी है. वसा संस्था ने आज तक हजारों श्वानों का दर्द दूर कर जीवनदान दिया हैं.

कई पशुओं को दिया जीवनदान

सर्प सुरक्षा संरक्षण का काम करते हुए इन छात्रों ने वसा नामक संगठना की स्थापना की. बाद में उन्होंने अमरावती वन विभाग के साथ घायल वन्य प्राणियों को बचाना शुरु कर दिया. शहर में पिछले 10 वर्षों से सर्प मित्र के रुप में काम करते हुए उन्होंने सांपों को लोगों से बचाया. घायल हुए मोर, बंदर, हिरन, निलगाय, गिलहरी, नेवले यहां तक की उल्लू, गौरय्या, कबुतर को भी जीवनदान दिया है. उनके इन काम के बदले सम्मान में वन विभाग ने उन्हें कई प्रशस्तीपत्र दिये है.

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