चिखलदरा/ दि. 9- चिखलदरा तहसील के टेंब्रुसोंडा स्वास्थ्य उपकेंद्र में शनिवार के दिन आर्की गांव निवासी रूपेश तुकाराम भांडेकर के शरीर में दर्द होने के कारण इलाज के लिए लाया गया था. लेकिन लापरवाहीपूर्वक किए गए इलाज के कारण रूपेश के हाथपैर फूल गए. उसकी जान खतरे में आ गई. तब उसे तत्काल परतवाडा के निजी अस्पताल ले जाया गया. तब जाकर उसकी जान बच पायी. लापरवाही का आरोप लगाते हुए उसके परिजनों में काफी रोष दिखाई दिया.
मेलघाट में हमेशा स्वास्थ्य को लेकर बरती जानेवाली लापरवाही के कारण स्वास्थ्य महकमा हमेशा सूर्खियों में बना रहता है. इतना सब कुछ उजागर होने के बाद भी वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साधे हुए है. लापरवाही के कारण ही बालमृत्यु, मातामृत्यु की खबरे मेलघाट में आम बात हो गई है. संबंधित डॉक्टरों की लापरवाही पर वरिष्ठ अधिकारी पर्दा डालते हुए दिखाई देते है. ऐसी ही घटना टेंब्रुसोंडा स्वास्थ्य उपकेंद्र में फिर देखने को मिली. इसी तरह की गई लापरवाही के चलते रूपेश धांडेकर की जान खतरे में आ गई थी. वक्त रहते परतवाडा के निजी अस्पताल में इलाज मिलने के कारण उसकी जान बची. टेंब्रुसोंडा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ ही आसपास के गांव के अस्पतालों में भी यही आलम देखने को मिल रहा है. वक्त पर इलाज नहीं होने के कारण लोगों की जान के साथ खिलवाडा हो रहा है. उपकेंद्र से डॉक्टरों का गायब रहना कोई नई बात नहीं है. ऐसे लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर और नर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाए, ऐसी मांग परिजनों द्बारा की गई है.
* ध्यान देना बहुत जरूरी
प्र्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टेंबु्रसोंडा के आर्की उपकेंद्र में कई दिनों तक डॉक्टर उपस्थित नहीं रहते. हर बार इलाज के लिए निजी अस्पताल ले जाना पडता है. इस उपक्रेंद्र में एक माह भर में यह तीसरी घटना सामने आयी है. यहां लगातार बरती जा रही लापरवाही की ओर शासन को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. यहां सारी सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी आदिवासी नागरिकों को किसी तरह का लाभ नहीं मिलता. फिलहाल रूपेश पर निजी अस्पताल में इलाज जारी है.
– इंद्रायणी जामुंजकर,
सरपंच आर्की