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परीक्षा में शुन्य, और पुनर्मूल्यांकन में 31 अंक

विधि शाखा की अंक पत्रिकाओं में भारी गडबडी

* विद्यापीठ व परीक्षकों को लेकर विद्यार्थियों में रोष
अमरावती/दि.6 – संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के परीक्षा विभाग और इस विभाग के कामकाज में रहने वाली गडबडियां अब धीरे-धीरे एक दूसरे के पूरक होते जा रहे है. यह बात उस समय और अधिक स्पष्ट हुई. जब विधि शाखा के जिन विद्यार्थियों को परीक्षा में शुन्य अंक मिले थे, उन्हीं विद्यार्थियों द्वारा पुनर्मूल्यांकन हेतु आवेदन किये जाने के बाद सीधे 31 अंक बढा दिये गये. साथ ही कई परीक्षाओं को हुए 45 दिन से अधिक का समय बीत चुका है. इसके बावजूद भी उन परीक्षाओं का अब तक परिणाम ही घोषित नहीं किया गया है. जिसके चलते परीक्षा विभाग के कामकाज के चलते विद्यार्थियों द्वारा रोष प्रकट किया जा रहा है और कई विद्यार्थियों ने इस विषय को लेकर विद्यापीठ पर मोर्चा ले जाने की चेतावनी भी दी है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक विधि शाखा की परीक्षा का परिणाम विगत मार्च माह में घोषित हुआ था. जिसमें तृतीय वर्ष के कई विद्यार्थियों को शुन्य से लेकर 5 से 7 अंक मिले थे. जिसकी वजह से ऐसे विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हो गये थे. जिन्होंने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था और हाल ही में पुनर्मूल्यांकन का परिणाम संबंधित विद्यार्थियों के हाथ में आया. जिसमें सीधे 31 अंकों तक वृद्धि की गई. हालांकि उत्तीण होने के लिए कम से कम 32 अंकों की आवश्यकता होती है. जिसके चलते पुनर्मूल्यांकन में अंकों की वृद्धि होने के बावजूद भी संबंधित विद्यार्थियों की अंक पत्रिका पर अनुत्तीर्ण का ही ठप्पा लगा रहेगा.
जानकारी के मुताबिक लॉ ऑफ टॉर्टस् एण्ड कन्झ्यूमर प्रोटेक्शन विषय में वैभव हुद्दार नामक विद्यार्थी को शुन्य अंक प्राप्त हुए थे. जिसे पुनर्मूल्यांकन के बाद उसी विषय में 31 अंक दिये गये है. इसी तरह लॉ ऑफ क्राइम विषय में 7 अंक प्राप्त करने वाले मो. फरहान अब्दूल रहमान नामक विद्यार्थी को पुनर्मूल्यांकन के बाद इसी विषय में 33 अंक प्राप्त हुए. साथ ही साथ आकाश गेडाम, हिमांशू अढाउ व अन्य विद्यार्थियों की अंक पत्रिका में भी करीब 15 से 20 अंकों की वृद्धि हुई है. उल्लेखनीय है कि, मूल परीक्षा की प्रश्न पत्रिका के प्रथम मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन में अधिक से अधिक 10 से 12 अंकों की वृद्धि होना स्वाभाविक है. परंतु पहले सीधे शुन्य अंक देने के बाद पुनर्मूल्यांकन में 20 से 30 अंक बढाये जाने से स्पष्ट है कि, विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने वाले परीक्षक प्राध्यापकों मेें इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं है. जिसके चलते विद्यार्थियों को नाहक ही आर्थिक व मानसिक तकलीफों का सामना करना पडता है. ऐसे में विद्यार्थियों ने इसे लेकर विद्यापीठ प्रशासन का घेराव करने की बात कहीं है.

* पदव्युत्तर के विद्यार्थियों को अंकपत्र ही नहीं मिला
पदव्युत्तर के विद्यार्थियों की परीक्षा होकर करीब एक माह की कालावधि पूरी हो चुकी है. लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें अब तक अंकपत्रिका ही नहीं मिली है. जिसके चलते संबंधित विद्यार्थियों द्वारा कभी महाविद्यालय और कभी विद्यापीठ के चक्कर काटे जा रहे है.

* पदव्युत्तर के विद्यार्थियों हेतु गत वर्ष ही राष्ट्रीय शिक्षानीति को लागू किया गया. इस नीति पर पहली बार अमल हो रहा है. जिसके चलते अंकपत्रिका वितरीत करने में थोडा विलंब हुआ है. लेकिन अब अगले एक-दो दिनों में अंकपत्रिकाएं वितरीत कर दी जाएगी. वहीं पुनर्मूल्यांकन का विषय परीक्षकों से संबंधित है. जिसमें परीक्षा विभाग हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
– प्रा. डॉ. मोनाली तोटे,
संचालक, परीक्षा व मूल्यमापन मंडल,
संगाबा अमरावती विद्यापीठ.

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