निधी खर्च करने में असफल रही जिप, वापिस लौटाने पडे 24 करोड रुपए
विकास निधी मिलने के बावजूद विकास कामों पर खर्च नहीं हुआ पैसा
* तकनीकी वजहें रही मुख्य दिक्कत, सरकारी तिजोरी में लौटी निधी
अमरावती/दि.6– विविध विकास कामों के लिए जिला परिषद को सरकार से प्राप्त हुई निधी तय समय के भीतर खर्च नहीं हो पाई. जिसके चलते जहां एक ओर विविध विकास कामों पर इसका परिणाम पडा. वहीं दूसरी ओर अखर्चित निधी भी सरकारी तिजोरी में वापिस जमा करानी पडी. जो करीब 24 करोड रुपए के आसपास थी. इसका सीधा मतलब है कि पैसा मिलने के बाद भी स्थानीय जिला प्रशासन इसे विविध कामों पर खर्च करने के मामले में असफल रहा. इस संदर्भ में प्रशासन का कहना है कि, आर्थिक वर्ष के अंतिम चरण में निधी मिलने के चलते उसे खर्च करते समय प्रशासन को काफी दिक्कतें हुई. जिसकी वजह से निधी अखर्चित रह गई और वापिस लौट गई.
उल्लेखनीय है कि जिला परिषद को सरकार की ओर से मिलने वाली निधी से ग्रामीण क्षेत्र में विविध विकास कार्य किए जाते है. केंद्र एवं राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली निधी प्रतिवर्ष मार्च माह के अंत तक खर्च करना अनिवार्य होता है. लेकिन जिला परिषद के चार विभागों में आर्थिक वर्ष 2020-21 के दौरान अखर्चित रहे 24 करोड 58 लाख 91 हजार 749 रुपए सरकार की तिजोरी में वापिस भेजने पडे हैं.
आर्थिक वर्ष 2020-21 में सरकार की ओर से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उपकेंद्र की इमारत का निर्माण् करने हेतु निधी प्राप्त हुई. लेकिन इसके लिए जगह उपलब्ध नहीं हो सकी. वहीं अन्य तांत्रिक कारणों के चलते कुछ विभागों की निधी 2 वर्ष की अवधि में खर्च नहीं हो सकी. ऐसे में इस तरह की पुर्नावृत्ति दोबारा न हो इस हेतु सभी आवश्यक जांच पडताल करते हुए, निधी की मांग व खर्च का नियोजन किया जा रहा है.
– अविश्यांत पंडा,
मुख्य कार्यकारी अधिकारी
* अधिकांश निधी खर्च
-पूरे साल भर विविध विकास काम जारी रहने के चलते जिला परिषद की अधिकांश निधी तय समय के भीतर खर्च हुई है.
-अंतिम चरण में निधी प्राप्त होने के चलते कुछ विकास काम लटके रहे और 24.48 करोड रुपए की निधी को सरकारी तिजोरी में वापिस जमा करना पडा. जिसे दुबारा हासिल किया जा सकता है.
-अखर्चित निधी के वापिस चले जाने की वजह से विकास कामों पर कोई विशेष परिणाम नहीं होगा, ऐसा जिला परिषद प्रशासन व्दारा साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है.
* जारी आर्थिक वर्ष में विकास कामों पर ब्रेक
महाविकास आघाडी सरकार के सत्ता से हटने के बाद उस सरकार के कार्यकाल में मंजूर कामों को राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार ने स्थगति दे दी थी. जिसके चलते जारी आर्थिक वर्ष में जारी विकास कामों में ब्रेक लगा. साथ ही प्रशासकीय मान्यता मिलने में विलंब भी हुआ. इसके अलावा सरकार से मिलने वाली निधी भी समय पर प्राप्त नहीं हुई, ऐसे में निधी अखर्चित रह गई. जिसे वापिस सरकारी तिजोरी में जमा करना पडा.