अमरावती

जिप ने शासन को वापस भेजे 24.48 करोड

निधि खर्च करने में विफलता

* विविध तकनीकी कारण भी साबित हुई दुविधा
अमरावती/दि.23– एक तरफ विकास काम के लिए निधि न मिलने की गूंज होती है, दूसरी तरफ आई हुई निधि खर्च न होने से शासन को वापस लौटने की नौबत जिला प्रशासन पर आन पडी है. जिला परिषद को विविध हेड पर शासन की तरफ से निधि मिलती है. लेकिन खर्च न हो पाने से निधि वैसी ही पडी है. इसमें अखर्चित रही रकम शासन के पास जमा करने के आदेश शासन के वित्त विभाग व्दारा दिए गए थे. इसके मुताबिक जिला परिषद के चार विभाग के वर्ष 2020-21 इस वित्तिय वर्ष की अखर्चित 24 करोड 58 लाख 91 हजार 749 रुपए निधि शासन की तिजोरी में वापस जमा करनी पडी है.
कोरोना संकट के कारण राज्य शासन की आर्थिक परिस्थिति काफी कमजोर हुई रहते, शासन ने अखर्चित निधि का आधार दिया था. लॉकडाउन के कारण राज्य के कर में और राजस्व में गिरावट आकर इसका राज्य के वित्तिय व्यवस्थापक परिणाम हुआ है. इस परिस्थिति से बाहर निकलने के बाद जिला परिषद को शासन की तरफ से वर्ष 2020-21 इस वित्तिय वर्ष में विविध विकास काम के लिए करोडों रुपए निधि उपलब्ध कर दी थी. इसमें 143 करोड 56 लाख 25 हजार रुपए की निधि मिली थी. इसमें से 118 करोड 97 लाख 33 हजार 377 रुपए की निधि खर्च की गई है. जिला परिषद को निधि खर्च करने के लिए 2 साल का समय है. इस कालावधि में निधि खर्च न होने पर वह शासन की तिजोरी में जमा करवानी पडती है. वर्ष 2020-21 में पीएचसी, उपकेंद्र इमारत निर्माण के लिए करीबन 16 करोड 28 लाख रुपए निधि निश्चित समय में खर्च नहीं की जा सकी. इसके अलावा महिला व बाल कल्याण विभाग को अंगनवाडी इमारत निर्माण के लिए 37.82 लाख रुपए मिले थे. वह अखर्चित रहे.

* पांच विभाग की निधि रही अखर्चित
जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग के सर्वाधिक 16 करोड 28 लाख 46 हजार 144 रुपए की सर्वाधिक निधि अखर्चित रही है. पश्चात महिला बाल कल्याण के अंगनवाडी निर्माण के 37.82 लाख रुपए, शिक्षा विभाग की कक्षाओं के निर्माण के लिए 66 लाख 63 हजार की निधि तिजोरी में ही पडी थी. इसके अलावा तृतीय श्रेणी के तीर्थक्षेत्र के 1 करोड 24 लाख और म्हाडा, मिनी म्हाडा की 1 करोड 32 लाख रुपए निधि अखर्चित रही है.

* निर्माण कार्य के लिए जगह उपलब्ध नहीं हुई
वर्ष 2020-21 में शासन की तरफ से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उपकेंद्र इमारत निर्माण के लिए निधि मिली. लेकिन इसके लिए जगह उपलब्ध नहीं हो पाई. इसके अलावा अन्य तकनीकी कारणों से कुछ विभाग की निधि 2 वर्ष की समयावधि में खर्च नहीं हो पाई. लेकिन अब ऐसा न होने के लिए सभी तरह की जांच कर निधि की मांग और खर्च का नियोजन किया जा रहा है.
– अविश्यांत पंडा,
मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिप

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