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हाईकोर्ट पहुंचा ‘जोन निहाय’ सफाई ठेका प्रकरण

पूर्व महापौर नरवणे, हिवसे, भुयार ने दायर की याचिका

* कोर्ट ने जारी की मनपा को नोटिस
* छह महीने पहले ही वर्क ऑर्डर देने का आरोप
अमरावती/दि.20-महानगर पालिका के पूर्व आयुक्त प्रवीण आष्टीकर के कार्यकाल में दिये गये ठेके तथा कुछ प्रमुख निविदा प्रक्रिया पहले से ही मैनेज होने का आरोप लगाते हुये. इस मामले में मनपा के 3 पूर्व पार्षदों संजय नरवणे, बालू भुयार, धीरज हिवसे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है. हाईकोर्ट की ओर से मनपा को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं. याचिका में आरोप किया गया कि दो-तीन ठेकेदारों का प्रभाग निहाय ठेका अवधि खत्म होने से छह माह पहले ही उन्हें वर्कऑर्डर दे दिए गए. यह राज्य में अपने आप में अनोखी घटना रहने का दावा भी उन्होंने किया.
जानकारी के मुताबिक, आष्टीकर के कार्यकाल के दौरान जोन निहाय साफसफाई के ठेके निकाले गये थे. अपने कुछ नजदीकी ठेकेदारों को ही यह जिम्मेदारी दिये जाने का आरोप लगाया गया है. एक-एक ठेकेदारों को 2-2 प्रभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. साथ ही निविदा की रकम की आधी ईएमडी रकम ठेकेदारों से वर्कऑर्डर से पहले मनपा ने यह रकम अपने पास जमा की और चंद दिनों बाद ही यह रकम उन ठेकेदारों को वापस लौटा दी गयी. नियमों के तहत जब तक ठेके की समयावधि पूर्ण नहीं होती, तब तक उक्त रकम मनपा की तिजोरी में जमा रखना अनिवार्य है. ऐसे में पूर्व मनपा आयुक्त आष्टीकर ने अपने पद का कथित रुप से दुरुपयोग करते हुये यह रकम उन ठेकेदारों को लौटा दी थी.
वहीं कुछ ठेकेदार मनपा की लिस्ट में ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद उन्हें साफसफाई का ठेका दिया गया था. ऐसे कई गंभीर आरोप लगाते हुये मनपा के पूर्व महापौर संजय नरवणे, पूर्व सभापति बालासाहब भुयार तथा पूर्व पार्षद धीरज हिवसे ने नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी, जो हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है. मनपा प्रशासन को तत्काल ही नोटिस जारी करते हुये अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश जारी किये हैं.
* साफसफाई ठेके में हेरा-फेरी
आरोप में यह भी बताया गया कि, साफसफाई व कचरे की योजना व प्रकल्प में कुछ कचरा माफिया सक्रिय हो चुके थे. जिन्होंने बायोमायनिंग, घनकचरा व दैनंदिन साफसफाई व्यवस्था में मनपा अपने बजट का अंदाजन 40 प्रतिशत खर्च करती है. बताया जाता है कि, 6 माह पहले ही साफसफाई जोन ठेके की निविदा निकालकर इससे पहले ही वर्कआर्डर जारी कर दी गयी है.
* मनपा का करोडों का नुकसान!
याचिका में उक्त तीनों पूर्व नगरसेवकों ने तत्कालीन आयुक्त का नाम लेकर मनपा का करोडों का घाटा का भी आरोप किया है. बताया गया कि मनपा ने जोन क्रमांक 1 और जोन क्रमांक 5 के काम 27 करोड रुपए में और जोन क्रमांक 2, 3, 4 के काम 21 करोड 60 लाख में मंजूर किए. जबकि प्रशासन व्दारा तकनीकी मंजूरी नहीं ली गई. ठेके की खर्च का विवरण भी नहीं दिया गया. श्री गोविंदा नागरीक सेवा संस्था और श्री नागरिक सेवा संस्था को दो वर्षो की पीटीआरसी मांगने पर दोनों संस्थाओं ने एक ही वर्ष के क्लियरंस सर्टिफिकेट दिए. आरोप किया गया कि निविदा की शर्तो के अनुसार दोनों संस्थाएं अपात्र होती है.

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