अमरावती

जिप को मार्च एंडिंग के बाद भी मिला करोडों का निधि

बैक डेट में खर्च दिखाकर निधि का नियोजन शुरु

अमरावती/दि.3– जिला परिषद में मार्च एंडिंग 31 मार्च की रात को ही खत्म हो गया. लेकिन उसके बाद भी शासन से जिला परिषद को करोडों का निधि मिला है. उसका नियोजन जिला परिषद प्रशासन द्बारा किया जा रहा है. जिला परिषद में 31 मार्च तक जो निधि खर्च नहीं हुआ वह निधि शासन के पास वापिस चला गया. वह निधि वापिस प्राप्त करने के लिए जिला परिषद द्बारा प्रयास किये जा रहे.
जिला परिषद को मार्च एंडिंग की रात 300 करोड का निधि अलग-अलग हेड अंतर्गत प्राप्त हुआ. उस निधि का विभाग निहाय नियोजन किया गया. लेकिन मार्च एंडिंग बंद होने के बाद भी शासन से जिला परिषद को करोडों रुपयों का निधि प्राप्त हुआ है. उस निधि से अधिक से अधिक निधि खर्च करने का नियोजन सीईओ अविश्यांत पंडा द्बारा किया जा रहा है. जिला परिषद के निर्माण विभाग, शिक्षा समाजकल्याण, महिला बालकल्याण, जलवितरण, सिंचाई, कृषि व पशु संवर्धन विभाग ने भी बडी संख्या में निधि मिला है. यह निधि 2 वर्ष के भीतर खर्च करना पडता है. जिला परिषद में अब तक 150 करोड रुपए खर्च किये है. 43 करोड रुपए खर्च होना अभी भी बाकी है. जिला परिषद में मार्च एंडिंग बंद होने के बाद भी अखर्चित निधि खर्च करने के लिए बैक डेट में खर्च करना शुरु है. स्वास्थ्य, म्हाडा, मिनी म्हाडा, तीर्थस्थलों का विकास, क्षेत्र में निधि खर्च नहीं होने से यह निधि शासन को वापिस चला जाएंगा. जिला परिषद ने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से करोडों रुपए खर्च किये है. समाज कल्याण विभाग को आंतरजातिय विवाह करने वालों के लिए 50 हजार रुपए मानधन दिया जाता है. इसके लिए जिला परिषद को मिला 3 करोड रुपए का निधि भी वापिस गया है. जिससे जिले के 500 से अधिक लाभार्थी इस अनुदान से वंचित है. इसलिए समाज कल्याण द्बारा संबंधित निधि वापिस लाने के प्रयास किये जा रहे है. वर्ष 2021-22 के लिए जो निधि मिला था, वह पूर्ण रुप से खर्च नहीं होने से शासन को वापिस चला गया है. दुसरी ओर जिले में स्कूलों की मरम्मत के काम लंबित है. इसके बाद भी स्कूलों के लिए आया निधि वापस चला गया है. जिससे जिप के कार्य तत्परता की झलक दिखती है. जलवितरण के लिए भी जिला परिषद को मिला निधि वापिस गया है. इस विभाग की अनदेखी इसके लिए जिम्मेदार है. जिले में जलकिल्लत की समस्या गंभीर है. 200 से अधिक गांवों में पानी की समस्या है, शासन से इस समस्या पर समाधान के लिए 63 करोड रुपए दिये गये थे. लेकिन जलवितरण विभाग के अधिकारियों ने केवल कार्यालयों में ही बैठने का काम किया. जिससे मिला हुआ निधि वापिस चला गया और जलसमस्या और गहराते जा रही है. जिला परिषद में अधिकारियों की मनमानी भी बडी समस्या है. वरिष्ठ अधिकारियों की भी यह अधिकारी नहीं सुनते.

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