अमरावती/प्रतिनिधि दि.९ – भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी शुक्रवार, 10 सितंबर को गणेशोत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. शास्त्र के अनुसार गणेश जी के पूजन का समय वृश्चिक लग्न सहित मध्यान्ह काल में करना चाहिए. वृश्चिक लग्न और मध्यान्ह काल (दिवा) दोपहर 11.41 से 01.48 बजे तक प्राण प्रतिष्ठा श्रेष्ठ मानी गई है. गणेश जी की स्थापना के लिए मध्यकाल सर्वश्रेष्ठ रहता है. इस दिन चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होता है. तुला राशि का चंद्रमा है. भद्रा पाताल लोक में है. भद्रा के विषय में अनेक भ्रांंतियां है लेकिन विद्वान लोग जो ज्योतिष की पूर्ण विद्या ग्रहण किए हैं वे लोग सभी बातों को जानते हैं. भद्रा पूरे वर्ष भी राशिओं पर सभी तीन लोगों में विचरण करती है. परन्तु भद्रा जिस तिथि में जिस समय प्रारंभ होती है, उसी समय (4) घड़ी का दोष मान्य है. इससे ज्यादा कोई दोष मान्य नहीं है. कारण मृत्यु लोक की भद्रा का ही विशेष दोष है. स्वर्ग लोक,पाताल लोक की भद्रा का दोष मान्य नहीं है. शुक्ल पक्ष हो या कृष्ण पक्ष में कर्क, सिंह, कुंभ, मीन राशि के चंद्रमा रहते हो तब भद्रा मृत्यु लोक में रहती है. इसका दोष प्रारंभ में ही 4 घडी का दोष रहता है. जिसके पश्चात सभी कार्य कर सकते हैं. देवी, देवताओं के जन्मोत्सव मनाते हैं. इसका भद्रा से संबंध नहीं रहता. गणेशजी के जन्म का उत्सव है. इसमें श्रेष्ठ समय में मूर्ति की स्थापना करना ही श्रेष्ठ है.
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गणेशजी की स्थापना
चंचल बेला – प्रातः 6.13 से 7.43 बजे तक
लाभ बेला दिवा – 7.46 से 9.18 बजे तक
अमृत बेला – 9.18 से 10.51 बजे तक
अभिजीत बेला दिवा – 11.59 से 12.48 बजे तक
शुभ बेला दिवा – 12.24 से 1.56 बजे तक
चंचल बेला श्याम – 5.02 से 6.34 बजे तक