अमरावती

चाय कैंटीन पर काम करनेवाले व्यक्ति का बेटा पढने जाएगा कोलंबिया यूनिवर्सिटी

प्रा. डॉ. सुनील अवचार ने किया विकास तातड का सत्कार

अमरावती/दि.२६ – विश्वरत्न डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने पढो-लिखो, संघर्ष करों और संगठित बनने का संदेश दिया है. इसी संदेश का अनुकरण करते हुए आंबेडकरी समाज के छात्रों ने विदेशी सरजमीं की नामचीन विद्यापीठों में अपना नाम रोशन किया है. अब इस कड़ी में अमरावती शहर के भीमनगर में रहनेवाले विकास तातड का भी नाम जुड़ गया है.
बता दें कि शहर के भीमनगर में रहनेवाले विकास तातड के पिता कृष्णा तातड चाय की कैँटीन पर काम करते है. इस चाय कैँटीन के भरोसे ही कृष्णा तातड ने अपने परिवार का भरणपोषण करने के साथ ही बच्चों की पढाई करने का जिम्मा उठाया है. आज उनका बेटा विकास तातड कोलंबिया विद्यापीठ में पढाई करने के लिए जा रहा है यह आंबेडकरी समाज के लिए गौरवशाली बात है.
हाल ही में विकास तातड का कोलंबिया विद्यापीठ में प्रवेश और राज्य सरकार की ओर से विदेशों में पढाई के लिए दी जानेवाली राजर्षी शाहु महाराज छात्रवृत्ति के लिए चयन किए जाने पर मुंबई विद्यापीठ के प्रा. डॉ. सुनील अवचार के हाथों सत्कार किया गया. इस समय प्रा. अवचार ने कहा कि सामान्य परिवार और आंबेडकरी विचारधारा रखनेवाले परिवारों के बेटे विदेशों की नामचीन विद्यापीठ में पढाई करने के लिए जा रहे है. यह काफी गौरवास्पद बात है.
उन्होंने कहा कि कोलंबिया विद्यापीठ, लंदन स्कूल, हार्वर्ड विद्यापीठ जैसे विश्वविख्यात विद्यापीठों के नाम आंबेडकरी बस्ती के घर-घर में पहुंचना चाहिए और प्रत्येक घर के छात्र इन नामचीन विद्यापीठों में पढाई करने के लिए जाना चाहिए ताकि समाज में परिवर्तन लाया जा सके. इस समय विकास तातड ने अपने संघर्षपूर्ण शैक्षणिक सफर के बारे में बतलाया. विकास तातड का कहना रहा कि छात्रों ने केवल बड़ सपनों को देखना ही नहीं चाहिए, बल्कि उन सपनों को साकार करने के लिए प्रयास करने चाहिए. कोलंबितया विद्यापीठ में देश की उच्च शिक्षा और पिछडावर्गीय समाज को लेकर संशोधन करने की भी जानकारी विकास तातड ने दी. विकास तातड ने इस बात का उल्लेख किया कि उसकी सफलता में माता-पिता और शिक्षकों का अमूल्य योगदान है. उनके समर्थन से ही वह इतनी बड़ी उडान भर रहा है.
इस समय प्रा. अवचार ने बताया कि विदेश में पढाई करने जानेवाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन छात्रवृत्ति की संख्या केवल ७५ फीसद है. आंबेडकरी विचारधारावाले युवाओं की बढती शैक्षणिक महत्वकांक्षा को देखने हुए यह संख्या ५०० तक करने की जरूरत है और इसके लिए वे सामाजिक न्यायमंत्री को निवेदन भी देंगे.

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