अमरावती

युवावस्था में अवॉर्ड मिलने से प्रेरणा

पद्मश्री डॉ. कोल्हे के उद्गार

पहला डॉ. विजय बंग समााजिक संपत्ति निर्माता पुरस्कार अमृत बंग को
अमरावती – /दि.12  युवावस्था में पुरस्कार मिलने से असाधारण प्रोत्साहन प्राप्त होता हैं. व्यक्ति और अधिक उत्साह से काम में जुट जाता हैं. अमृत बंग को समाज सेवा का मंत्र विरासत में मिला हैं. उनके माता-पिता डॉ. अभय और राणी बंग अनूठे समाजसेवी हैं. उनके दादाजी डॉ. ठाकुरदास जी बंग भी अमरावती के वलगांव के निवासी थे. स्वाधीनता सेनानी और अनोखे समाजसेवी रहे हैं. अमृत बंग उन पर दर्शाये गये दायित्व पर निश्चित ही खरे उतरेंगे. इस आशय का प्रतिपादन पद्मश्री डॉ. रवींद्र कोल्हे ने शनिवार शाम किया. वे पहले डॉ. विजय बंग सामाजिक संपत्ति निर्माता पुरस्कार से अमृत बंग को सम्मानित कर रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता संगाबा अमरावती विवि के उपकुलपति डॉ. दिलीप मालखेडे ने की. मंच पर माहेश्वरी अखिर भारतीय सभा के उपाध्यक्ष अशोक बंग और कार्यक्रम के आयोजक डॉ. विजय बंग के सुपुत्र वसंत बंग भी विराजमान थे.
मेलघाट के हालात में बडा सुधार
डॉ. कोल्हे ने डॉ. विजय बंग की समाज सेवा का गौरवपूर्ण उल्लेख किया. यह भी कहा कि, अमरावती की माटी में बिरले समाजसेवी पैदा और प्रतिष्ठित होते आये हैं. दादीसाहब पटवर्धन ने भी अमरावती की इसी विशेषता के कारण कुष्ठरोगियों का सबसे बडा सेवा केंद्र तपोवन यहां स्थापित किया. उन्होंने कहा कि, मेलघाट में अब परिस्थिति काफी बदल गई हैं. उन्होंने अमरावती के लोगोें से अपनी कर्मभूमि बैरागड आने की अपील की. डॉ. कोल्हे ने इस बात का गौरवपूर्ण उल्लेख किया कि, डॉ. अभय और राणी बंग दम्पत्ति से मिलने वे गडचिरोली गये थे. उस समय अमृत बंग मात्र 1 वर्ष के थे. आज उनके जीवन की यह बडी उपलब्धि है कि, उसी अमृत को वे यह अनोखा अवॉर्ड प्रदान कर रहे हैं.
पश्चिम विदर्भ में मानव संसाधन
सामाजिक संपत्ति निर्माता पुरस्कार प्राप्त युवा कार्यकर्ता अमृत बंग ने कहा कि, पश्चिम विदर्भ का मानव संसाधन यहां की मुख्य संपत्ति हैं. इस संपत्ति का प्रभावशाली उपयोग करने पर हमारा ध्यान रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि, देश में 30 करोड की जनसंख्या 18 से 28 आयु वर्ग की हैं. यह शक्ति सही दिशा में उपयोगी हो, तो अगले 10 वर्षों में भारत की तस्वीर बदल जाएगी. युवा वर्ग को घटनात्मक कार्य में लगाने पर कार्य करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि, भारत की संपत्ति में से 50 प्रतिशत संपत्ति केवल 2 लोगों के पास हैं. यह ठीक बात नहीं हैं. इसमें बदलाव आवश्यक हैं.
दिव्यांगों को संभालना बडी बात
कुलगुरु डॉ. मालखेडे ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि, मतीमंद और दिव्यांग बच्चों की सेवा की डॉ. विजय बंग की सीख सही हैं. उन्होंने बैंगलोर और अन्य जगहों पर ऐसे दिव्यांग सुश्रृषा केंद्र देखे हैं. मांएं भी अपने बच्चों को छोड देती हैं, ऐसे बच्चों की देखभाल और उन्हें जीवन जीने के लिए कुछ सिखाने वाले सचमुच बहुत बडे हैं. कुलगुरु ने संगाबा अमरावती विवि के नये सिलैबस बनाने के बारे में महत्वपूर्ण मीटींग होने का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, अमरावती विवि पहली बार ऐसे कोर्सेस ला रही हैं. जो युवाओं को बेरोजगार नहीं रहने देंगे. बल्कि पाठ्यक्रम पूरा करते ही युवाओं को काम मिल जाएगा. इससे समाज में आवश्यक बदलाव आएगा.
51 हजार का धनादेश
पुरस्कार के रुप में अमृत बंग को सुंदर मानचिन्ह और 51 हजार रुपए का धनादेश श्रीमती मनोरमा विजय बंग के हस्ते दिया गया. अमृत बंग ने यह राशि अपनी संस्था निर्माण को देने की विनयपूर्वक घोषणा अपने संबोधन में कर दी. उनकी संस्था गडचिरोली के जनजातिय लोगों के लिए कार्य कर रही हैं. अमृत बंग एक बडी मल्टीनैशनल कंपनी में करोडों की जॉब छोडकर माता-पिता के नक्शे कदम पर चलकर सामाजिक सेवा कर रहे हैं. उनके परिवार में पत्नी आरती और 2 पुत्र हैं.
डॉ. वसंत बंग की प्रेरक प्रस्तावना
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए डॉ. वसंत बंग ने अपने पिता तथा मनपा के वैद्यकीय अधिकारी रहे डॉ. विजय बंग के अर्थपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला. उन्हें बहुत बढीया उद्यमशील बताया. जिन्होंने 80 के दशक में पोलिओ ग्रस्त बच्चों के ऑपरेशन हेतु अथक प्रयास किये. पूना से डॉ. संचेती के दल को अमरावती आमंत्रित कर शिविर लेने और कालांतर में मतिमंद बच्चों के लिए दौलतभाई देसाई शाला स्थापित करने का उल्लेख किया. अशोक बंग ने भी समयोचित विचार रखे. सुंदर संचालन राजू डांगे ने किया. आभार कमल बागडी ने व्यक्त किया. समारोह में अनेक गणमान्य उपस्थित थे. उनमें पूर्व लेडी गव्हर्नर कमलताई गवई, प्राचार्य विजयकुमार भांगडिया, एड. आर.बी. अटल, सीए आर.आर. खंडेलवाल, माहेश्वरी पंचायत के सरपंच प्रा. जगदीश कलंत्री, उपाध्यक्ष सुरेश साबू, प्राचार्य सिकची, डॉ. रामगोपाल तापडिया, डॉ. गोविंद कासट, सुदर्शन गांग, प्रदीप जैन, विनोद कलंत्री, अनुपम झंवर, ओमप्रकाश इंदानी, पूर्व नगर सेवक प्रशांत वानखडे, एड. विजय लढ्ढा, एड. ब्रजेश तिवारी, डॉ. निंभोरकर, ओमप्रकाश हेडा, कैलाश खंडेलवाल, बालकिसन चांडक, नारायणदास लाहोटी, डॉ. पारेकर, संजय खरैया, पप्पू भाई गगलानी, डॉ. नंदकिशोर भुतडा, नितिन सारडा, डॉ. प्रवीण राठी, अनील राठी, डॉ. भोयर, डॉ. बुरखंडे, एड. नीलेश खंडेलवाल, लक्ष्मीकांत खंडेलवाल, श्रीलेखा खंडेलवाल, नीता मूंधडा, जीवन मूंधडा, एड. विनोद लखोटीया, एड. कठाले, एड. छांगानी, एड. महेश बंग, मंजू बंग, आरती बंग, कमल बागडी, ममता बागडी, डॉ. स्मिता कोल्हे, सुरेख राठी, नंदकुमार कुलकर्णी, ओमप्रकाश जाजू, राधेश्याम राठी, अन्ना जी दीवे, रमेश बंग, रेखा बंग, हरिकिसन बंग, मुकूंदराव बार्गी, अरुणाताई वोरा, विक्रम झंवर, संजय हेडा, डॉ. सुधीर काबरा, संजीवनी वाठ, वैशाली मायानी, भवरीलाल भंसाली, जीवन गोरे, शालिग्राम राठोड, राजेंद्र यावले, डॉ. एस. के. पुन्शी, डॉ. श्याम सोनी, डॉ. कोलमकर, डॉ. गोकुलदास सारडा, नंदलाल बंग, मनमोहन बंग, नवल बंग, विनोद बंग, हरि जी बंग आदि अनेक का समावेश रहा. सभागार भरा हुआ था.

Related Articles

Back to top button