राज्य की कृषि उपज मंडियों में किसानों की लूट
शेतकरी संगठन के प्रदेशाध्यक्ष ललित वाघाडे का आरोप
* पत्रवार्ता में किसानों के लिए आंदोलन करने की घोषणा
अमरावती/दि.28 – किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए कृषि उपज मंडी की व्यवस्था को अमल में लाया गया. लेकिन राज्य की सभी कृषि उपज मंडियां अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है और लगभग सभी कृषि उपज मंडियों में किसानों की लूट चल रही है. जिसके खिलाफ शेतकरी संगठन द्बारा बहुत जल्द पूरे राज्य में काफी बडा आंदोलन खडा किया जाएगा. इस आशय का प्रतिपादन शेतकरी संगठन के प्रदेशाध्यक्ष ललित वाघाडे द्बारा किया गया.
गत रोज अमरावती जिले के दौरे पर पहुंचे शेतकरी संगठन के प्रदेशाध्यक्ष ललित वाघाडे ने जिला मराठी पत्रकार संघ के मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रवार्ता में कहा कि, फसल मंडियों में एक तरह से किसानों के साथ खुलेआम लूट-खसोट की जा रही है. इसकी वजह से किसान धीरे-धीरे आर्थिक तौर पर खत्म होते जा रहे है. इस मामले में तेलंगणा को एक आदर्श राज्य कहा जा सकता है. जहां पर खुद तेलंगणा के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर द्बारा किसानों की समृद्धि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. वहीं महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं की ओर सरकार एवं सहकार विभाग का कोई ध्यान नहीं है. इस समय नाशिक में किसानों को परेशान करते हुए उनकी जमीनों को हडपने की साजिश की जा रही है और कर्ज वसूली के मामले को लेकर दुय्यम निबंधक के आदेश पर किसानों की जमीनों को संस्था के नाम करने का षडयंत्र रचा जा रहा है. साथ ही कई किसानों की जमीनें गैरकानूनी तरीके से विविध संस्थाओं को बेचने का काम चल रहा है. यहीं स्थिति आने वाले समय में अमरावती सहित राज्य के अन्य जिलों में भी दिखाई दे सकती है. इसके अलावा राज्य की कृषि उपज मंडियों में अपने कृषिउपज लेकर पहुंचने वाले किसानों के माल को उचित दाम नहीं मिलने और उन्हें आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने जैसी समस्याओं की ओर भी गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया जाता.
इस पत्रकार परिषद में ललित वाघाडे ने कहा कि, किसानों का अनाज पूरी तरह से किसानों की संपत्ति है और पर्यापरणपूरक नीति से ऐसी संपत्ति का निर्माण होता है. जिसकी ऐवज में अदा की जाने वाली रकम नाममात्र की होती है, क्योंकि किसानों की मेहनत का कोई मोल नहीं लगाया जा सकता, लेकिन 254 तरह के अलग-अलग कानूनों पर अमल करते हुए कृषि उपज मंडियों के जरिए किसानों को खत्म करने का काम हो रहा है. जिसकी ओर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए. क्योंकि अगर किसान ही नहीं रहा, तो आगे चलकर खाने के लिए अनाज और पहनने के लिए कपडे भी नहीं मिलेगी.
इस पत्रवार्ता में जगदीश नाना बोंडे, विजय विल्हेकर, दिलीप भोयर, संदीप देशमुख व राजेंद्र आगरकर आदि उपस्थित थे.