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आमजनों की सेवा हेतु समर्पित बच्चु कडू

]मैं विगत करीब पांच-छह वर्ष से राज्यमंत्री बच्चु कडू को बेहद नजदिक से देख रहा हूं. उनके साथ काम करते समय अन्य कई बडे-बडे नेताओं और लोगों को देखने का भी मौका मिला. किंतु जनता की समस्याओं और मसलों को लेकर भुख-प्यास भूलते हुए काम करनेवाले और लडनेवाले बच्चुभाउ अपने आप में अकेले ही है. सेवा को ही धर्म माननेवाले बच्चुभाउ ने अपनी जनसेवा के लिए कभी भी स्थान, समय जैसे बंधन नहीं रखे. जिसकी वजह से बेहद सामान्य व्यक्ति भी कभी भी और कहीं भी उन तक अपनी समस्या लेकर पहुंच सकता है. दौरे पर रहते समय जनता की समस्याओं को सुनते-सुनते रात 2-3 बजे भोजन करके सोने के बाद सुबह 7 बजे एक बार फिर जनसेवा के लिए तैयार रहनेवाले बच्चु कडू को मैने देखा है. जिससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, वे कितने अधिक कार्यतत्पर है.
दो आसूड यात्राओं के दौरान कार्यकर्ताओं के साथ रास्ते पर ही मुक्काम करनेवाले, बाईक पर 1600 किमी की दिल्ली यात्रा करनेवाले, नांगरमोर्चा पर हुए लाठीचार्ज की वजह से दो दिनों तक रास्ते पर ठिय्या लगानेवाले किसान आंदोलन के दौरान सीधे संबंधित मंत्री पर झपट्टा मारनेवाले, सर्वसामान्य जनता को प्रताडित करनेवाले अधिकारियों को सही राह पर लानेवाले और राज्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले अपने निर्वाचन क्षेत्र में राहुटी का कार्यक्रम लेकर लोगों की समस्याओं को हल करनेवाले बच्चुभाउ कडू को मैने बेहद नजदिक से देखा है. इस बात का मुझे हमेशा गर्व रहेगा.
ऐसे ही पिछले सप्ताह का एक प्रसंग. अपने यहां की सरकारी व्यवस्था कैसे काम करती है और सामान्य जनता के साथ उनका व्यवहार कैसे होता है, यह देखने के लिए बच्चुभाउ वेश बदलकर अकोला में आये. सुबह 7 बजे मैं और दीपक ठाकरे उनके यहां पहुंचे. हमारे पहुंचने से पहले ही बच्चुभाउ नये वेश में पूरी तरह तैयार होकर बदकों को दाना चुगाते बैठे थे. जिसके बाद हम सभी घर से बाहर निकले और पूरा दिन विविध सरकारी कार्यालयों के कामकाज, परिसर में चलनेवाले अवैध धंधे आदि बातों को देखा. पूरा दिन बिना खाना खाये बीत गया और रात 8 बजे पत्रकार परिषद हुई. जिसके बाद भोजन करते हुए हम सभी रात 11 बजे दवाखाने में पहुंचे.
बच्चुभाउ की आंखों पर सफेद दाग बन गये थे. जिसकी लेजर शल्यक्रिया करना आवश्यक था. किंतु रोज के कामों की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा था. चूंकि उस दिन कोई अधिकृत दौरा नहीं था. ऐसे में रात के समय यह ऑपरेशन निपटाने का निर्णय बच्चुभाउ ने लिया और यह ऑपरेशन करीब एक से डेढ घंटे तक चला. पश्चात रात 2 से 3 बजे के बीच हम सभी घर पहुंचे. किंतु इससे पहले रात करीब 2.30 बजे एक किसान ने बच्चुभाउ को फोन करते हुए बताया कि, पुलिस द्वारा उसकी गाडी को रोक लिया गया है. आंखों पर लेजर शल्यक्रिया होने के बावजूद बच्चुभाउ ने यह फोन उठाया और पुलिस से बात करते हुए उस किसान की गाडी को छोडने हेतु कहा. आंख जैसे नाजूक अंग पर शल्यक्रिया होने के बाद बच्चुभाउ संभवत: अगले दिन आराम करेंगे, ऐसा हम में से अधिकांश लोगों को लगा था. लेकिन अगली सुबह 6.30 बजे ही बच्चुभाउ का एक काम के लिए फोन आया और जब मैं सुबह 8 बजे कुरल स्थित भाउ के घर पहुंचा, तो वहां पर बच्चुभाउ 30-40 लोगों की भीड में बैठे हुए थे. रात में आंख के जिस हिस्से पर लेजर शल्यक्रिया हुई थी, वह हिस्सा पूरी तरह से लाल हो चुका था. किंतु उसकी ओर अनदेखी करते हुए बच्चुभाउ का अपना नित्यक्रम जारी था. विगत कुछ समय के दौरान घटित ऐसे अनेकों उदाहरण है. जिनमें बच्चुभाउ ने किसी भी बात की परवाह किये बिना लोगों के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने की तैयारी दर्शायी. इन्हीं सब बातों के चलते अन्य नेताओं की तुलना में लोगों को बच्चुभाउ बेहद अपने और नजदिकी लगते है और लोगबाग उन्हें प्यार से ‘अपना भिडू – बच्चु कडू’ कहते है.
-अमित वानखडे पाटील
स्वीय सहायक, राज्यमंत्री बच्चु कडू

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