लेख

25वां स्व. दादासाहब कालमेघ स्मृति दिन समारोह

अत्यंत प्रभावी सेवा कार्य से परिपूर्ण संपूर्ण मानवी जीवन यह सदैव स्मरण में रहता है. महाराष्ट्र में जिन महानुभावों ने ऐसा तृप्त व कर्तुत्वशील जीवन जिकर स्वयं को कृतज्ञ किया. उनमें अग्रेसर एक नाम है. शिक्षातज्ञ, बहुजन कैवारी, स्व. प्रा. वा. मो. उपाख्य दादासाहब कालमेघ. बाल्यवस्था से ही संघर्ष कर स्वयं को उचे मुकाम तक पहुंचाने वाले दादासाहब ने एक नामांकित विद्यापीठ के कुलगुरु पद समेत प्रसिद्ध शिवाजी शिक्षा संस्था का अध्यक्ष पद पर काम किया. यशस्वी व बहुचर्चित कार्यकाल उनका रहा. उनका संपूर्ण जीवनपट यह अन्यों को प्रेरणा देने वाला है. उनका स्मृतिदिन समारोह वर्ष 1997 से लगातार मनाया जाता है. दादासाहब की कर्मभूमि अंबानगरी में आयोजित यह स्मृतिदिन समारोह उनके सभी चहेतों के लिए एक शुभपर्वनी रहता है. उनके स्मृतिदिन आयोजन प्रक्रिया में प्रथम वर्ष से आज 25वें स्मृतिदिन समारोह के आयोजन तक मैं एक घटक के रुप में शामिल रहा. अब तक के आयोजनों पर प्रकाश डालने का यह एक प्रयास है.
दादासाहब के स्मृतिदिन आयोजन समारोह के पहले 3 वर्ष दादासाहब के अचानक चले जाने के दुख में अत्यंत भावनिक माहौल में बीते. दादासाहब का महाराष्ट्र भर में फैला चहेता वर्ग, परिचित, परिजन तथा संपूर्ण शिव परिवार के स्नेहीजन इस दिन एकत्रित आकर स्वयं को धन्य करते है. यह बात मैंने स्वयं अनुभव की वे सभी लोग प्रत्येक स्मृतिदिन समारोह में शामिल होते मैंने देखे है. समाज को यशस्वी जीवन निर्मिति के प्रबोधन के लिए जरुरी मार्गदर्शक इस कार्यक्रम में आमंत्रित किये जाते है. उन सभी आमंत्रित मार्गदर्शकों ने हर बार पुरे उत्साह व आनंद से अपनी सहमती देकर आयोजन समिति का उत्साह बढाया है. जिससे दादासाहब के सर्वदूर फैले कीर्ति की प्रचिती आती है. कार्यक्रम मंच पर उपस्थित तथा प्रेक्षकों में बैठे मान्यवर जब दादासाहब के जीवनकार्य के प्रसंगों की यादें ताजा करते है, दादासाहब के साथ काम करने के अनुभव बताते है, तब सभी उपस्थित तल्लीन होकर यह वार्तालाप ग्रहण कर आयोजकों के आभार व्यक्त करते है. इतना लोकसंग्रह यह एक व्यक्ति कैसे इकट्ठा कर पाया. इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है. विगत 25 वर्ष से लगातार स्मृतिदिन आयोजन करना आसान नहीं, इस कार्यकाल में प्रतिकुल व अनुकूल ऐसे दोनों स्थितियों का सामना आयोजक व प्रतिष्ठान को करना पडा. लेकिन नागपुर व अमरावती में इस कार्यकाल में एक ही दिन एक ही समय पर यशस्वी कार्यक्रम आयोजित करने का दिव्य कार्य प्रतिष्ठान ने कर दिखाया है. यहीं दादासाहब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. 25 वर्ष के प्रत्येक स्मृतिदिन समारोह का सूत्रबद्ध नियोजन अप्रतिम रहता है. जिससे प्रतिष्ठान प्रमुख तथा सभी आयोजन समिति सदस्यों के मेहनत व कार्यतत्परता का प्रत्यय आता है. कार्यक्रम स्थल पर दादासाहब के विचारों को व समाजकार्यों को प्रमाण मानकर उसी पद्धति से कार्यक्रम का नियोजन किया जाता है. जिसके तहत गरीब व जरुरतमंद तथा विविध क्षेत्रों के उत्कृष्ट छात्र, खिलाडियों को गौरव कर उन्हें पुरस्कार के रुप में आर्थिक सहाय्य किया जाता है. दादासाहब के नाम से नागपुर में कार्यरत स्व. दादासाहब कालमेघ स्मृति दंत महाविद्यालय व अस्पताल इस संस्था की सर्वांगिण प्रगती, शिक्षा का दर्जा तथा नासिक वैद्यकीय विद्यापीठ में हर वर्ष मेधावी सुची में विद्यालय के छात्रों ने स्थान प्राप्त किया है. इससे महाविद्यालय के व्यवस्थापन समिति के निष्ठसिद्ध कर्तव्य की प्रचिती आती है. संस्था प्रमुख को इसके लिए प्राप्त आईसीटी एल्यूमिनी अचिवमेंट अवॉर्ड इसका जिता जागता उदाहरण है. इस स्मृतिदिन आयोजक समारोह कार्यक्रम स्थल की शुरुआत मोर्शी रोड पर स्थित गुरुदेव प्रार्थना मंदिर में हुई. आज भी उसी स्थल पर यह आयोजन किया जाता है. यह वास्तुस्थिति समाज के घटकों के लिए विचार कक्षा को प्रश्नांकित करने वाली है. कारण आज प्रतिष्ठान यह समारोह किसी भी भव्य जगह पर आयोजित कर सकता है. लेकिन जिन लोगों ने जिन ठिकानों ने व जिन कार्यकर्ताओं ने प्रतिकूल व अनुकूल स्थिति में यह पवित्र पालकी अबाधित रखने के लिए प्रतिष्ठान को अनमोल सहकार्य किया उन सभी का प्रतिष्ठान द्बारा रखा गया. यह सम्मानपूर्वक आदरभाव है. समाज के सभी स्तर के अनेक नामवंत, कीर्तिवंतों ने कार्यक्रम का प्रभावी संचालन, प्रास्तावित, आभार प्रदर्शन की जिम्मेदारी निभाई. हर वर्ष स्मृतिदिन पर कई मान्यवर दादासाहब के अष्टपैलू जीवन पर अपने शब्दरुपी किरणों से प्रकाश डालते है. इस 25वें स्मृति दिन पर मैं व मेरे सभी स्मृतिदिन आयोजन समिति द्बारा दादासाहब के पावन स्मृति में विनम्र अभिवादन समर्पित करते है, यह कार्य अंत तक अबाधित तथा अखंड शुरु रहे, यहीं ईश्वर चरण में प्रार्थना.
– प्रा. गजानन भारसाकले,
अध्यक्ष, गाडगे बाबा मंडल, दर्यापुर.
मो. 9552226925.

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