एक दिलदार समाजसेवी व्यक्तित्व कुलदीप पाटील गावंडे कालवश…
जीवन जीते समय समाज में अलग-अलग स्वभाव के पहलू वाले व्यक्तियों की पहचान होती है. कुछ लोग जन्म से ही बड़े होते हैं, वे अपने अमीरी के कारण अपने घराने का वारसा हक से तो कुछ संपन्न होते हैं. वहीं कुछ व्यक्ति संपत्ति के बल पर अमीर होते हैं. लेकिन समाज में कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो अपने स्वभाव से समाज सेवा से समाजमन को जीत लेते हैं. किसी के भी संकट के समय मदद के लिए दौड़कर जाना यह उनका स्वभाव होता है. प्रत्येक का विधायक काम करना, उसे उचित मार्ग दिखाना, यह उनका नित्य व्यवहार होता है. ऐसे ही एक समाजशील,दिलदार, सहकारी व्यक्तित्व का 17 जनवरी 2022 को देहावसान हो गया. वे यानि हंसमुख दिलदार व्यक्तित्व के धनी स्व. कुलदीप पाटिल गावंडे.
काटोल गांव से अपने जीवन की शुरुआत करते हुए वाणिज्य शाखा के पदवीधर के रुप में कुलदीप दादा नागपुर में पढ़ने आये. इस उमदे व्यक्तित्व का परिचय हुआ दर्यापुर की पूर्व विधायक दादी उपाख्य कोकीलाबाई गावंडे के साथ. उनके सहवास में उन्हें त्याग का परिचय हुआ. कार्यों से प्रभावित हुए दादा उन्हें अपना आदर्श मानने लगे. इससे ही विदर्भ का एक दातृत्व संपन्न दंपत्ति स्व. बाबासाहब सांगलूदकर व दादीजी हैं. इसकी अनुभूती उनके कार्यों से उन्हें आयी. विदर्भ के महात्मा ज्योतिराव फुले व सावित्रीबाई फुले यह उपाधि उन्हें शोभनीय ऐसे ही शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र के एक अग्रगण्य दंपत्ति के रुप में स्व. बाबासाहब व स्व. कोकीलाबाई सभी को ज्ञात थे. दोनों अलग-अलग पार्टी से विधायक बने. अपने गांव की, अपने समाज की सेवा यह उनका व्रत. जिसमें से प्रत्येक के कठिन समय में दौड़कर जाना यह उनका ब्रीद था. उन बाबासाहब के विचारों का वारसा एवं दादीजी के सहवास का वारसा कुलदीप दादा को मिला. सांगलूदकर परिवार के विचारों का व संस्कार का वारसा कुलदीप संभाल सकते हैं, इस जिम्मेदारी से उनके दत्तक पुत्र के रुप में 15 फरवरी 1982 को मान्यता प्राप्त हुई.
उन्होेंने परिवार का नामाभिधान स्वीकार कर अपने कार्य की शुरुआत दर्यापुर पंचक्रोशी में की. काम में तेजी, लोगों को करीब लाने की कला एवं जनसंपर्क इससे ही कृषि उपज बाजार समिति सभापति पद पर विराजमान होने के बाद उनके द्वारा लिए गए नियोजनात्मक निर्णय, विकासात्मक दृष्टि व किसानों के प्रति दिल में जगह इन तत्वों के बल पर वे शीघ्र ही सभी के प्रिय नेता बने. उस समय पांच लोगों से गपशप करने वाले दादा आज भी हमें याद आते हैं. हर रोज व्यक्ति यों के दर में घर बनाने वाले स्व. बाबासाहब एवं दाजी के समय में था वह आज तक कुलदीप दादा के साथ भी काम था. कोई भी दुखी, भूखा देखकर वहां पहुंचकर उनका समाधान एवं उनके पेट में सुख के दो निवाले खिलाये बगैर उसे वापस न जाने देने की रीत इस घराने की. वह प्रेम की रीत एवं विचारों का वारसा जीवित रहते जरुरतमंद लोगों को दिखाकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भाव दादा में आज भी देखने मिलता है. तत्पश्चात सौ. कांचनमाला एक उच्च विद्याविभूषित व साथ में राजनीति में लगन वाले व्यक्ति का उनकेजीवन में सहचारिणी के रुप में 23 अप्रैल 1985 को प्रवेश हुआ. कांचनमाला कुलदीप पाटील गावंडे राजनीति में सक्रिय होने के साथ ही कांग्रेस में महासचिव पद तक अलग-अलग विभूषित किये. दो बार विधानसभा पदवीधर एवं अलग-अलग चुनाव जिला बैंक की अध्यक्षा इस पद तक मजल मारते एक अलग छाप छोड़ी. जब अपनी पत्नी कर्तबगारी कर रही हैं, तो मुझे भी थोड़ा अलिप्त रहना चाहिए. हमें अपना परिवार संभालना चाहिए. इसके लिए दादा स्वयं राजनीति से कुछ वर्षों में अलग रहे. गत दस वर्ष से उन्होंने स्वयं को अलिप्त रखा. सिर्फ समाजसेवा करने का कार्य किया. यह उनके दिल का बड़प्पन कहना होगा. उनके परिवार में तीन बच्चे पुर्णिमा आज लंदन में एक उच्च पदस्थ दंपत्ति के रुप में नामलौकिक प्राप्त है. साथ ही कुलभूषण निर्माणकार्य व्यवसाय व संगलूडकर स्मृति केंद्र के माध्यम से दर्यापुर पंचक्रोशी में सुपरिचित हैं. साथ ही काजल यह अभियांत्रिकी की शिक्षा ले रही है. ऐसा आनंददायी परिवार स्व. दादीजी व स्व. बाबासाहब के विचारों का वारसा चलाने वाला है. शनिवार की दोपहर तबियत बिगड़ ने से अस्वस्थता निर्माण हुई. रविवार को दादाजी की तबियत ठीक हुई और सोमवार को हृदय विकार का तीव्र झटका आकर दादा हमें छोड़ कर चले गए. नियती का यह खेल कभी भी कोई पहचान नहीं सकता. आज उनके जाने से श्रीमती कोकीलाबाई गावंडे महिला महाविद्यालय दर्यापुर, ज्ञानपीठ कॉन्वेंट दर्यापुर, कृषि विद्यालय संगलुड, लक्ष्मीनारायण नलकांडे विद्यालय धामोडी, अभ्यासा इंग्लिश स्कूल अमरावती ये सभी शिक्षण संस्थाएं अनाथ हो गई है. उनसे जुड़े प्रत्येक लोग दुख में डूब गए हैं. जैसे ही उनके निधन का समाचार दर्यापुर नगरी में व अमरावती में तथा पंचक्रोशी में पहुंचा उसी तेजी से लोगों की उनके दर्यापुर व अमरावती के निवास स्थान पर भीड़ होने लगी. यह उनके प्रेम का परिवार यह उनकी संपत्ति हैं. उनके जाने से एक समाजशील नेता, कांग्रेस का सच्चा कार्यकर्ता एवं कृषि उपज बाजार समिति का एक उत्कृष्ट प्रशासक गुम हो गया है. ऐसी शोकसंवेदना सभी स्तर से प्रगट होते दिखाई दे रही है. यही उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि…!
– डॉ. हरिदास आखरे
श्रीमती कोकिलाबाई गावंडे महिला महाविद्यालय, दर्यापुर
मो. – 7588566400