लेख

इंसान के रूप में फरिश्ता “डॉ विजय बख्तार”

डॉ. विजय कुमार बख्तार किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उनका कार्य ही उनका परिचय है. डॉ. विजय कुमार बख्तार और उनके ज्येष्ठ भ्राता हसमतभाई बख्तार की पुत्रियों को पढाने और उन्हें संस्कार देने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है. इस दिनों कोरोना काल में डॉ.बख्तार की सजगता और कर्तव्यदक्षता की खबरे पढ-सुनकर मैं भी फूला नहीं समाता रहा. डॉ. गोविंद कासट मित्र मंडली द्बारा हाल ही में उनका सम्मान किया गया.
इस अवसर पर हमारी मां कनकनेश्वरी देवी सदगुरू परिवार के सुदर्शन गांग, प्रदीप जैन, प्राचार्य डॉ. गवई उपस्थित थे. लेकिन मैं नहीं जा पाया पर घर बैठे-बैठे डॉ.बख्तार के बारे में सुन-सुन कर प्रसन्न होता रहा. संयोग कहिए या दुर्योग मैं भी कोरोना पॉजिटीव निकला. मेरी धर्म पत्नी विजया राउत भी पॉजिटीव है. मैं वहां इलाज कर घर पर ही अलग हूॅ. लेकिन मेरी पत्नी विजया राउत डॉ. बख्तार हॉस्पिटल में भर्ती है. दोनों की तबियत एकदम ठीक है चिंता की कोई बात नहीं है. यहां डॉ.बख्तार की सक्रियता,अपनापन और कोरोना से दो-दो हाथ करने की जिद बस देखते ही बनती है. मरीज की थोडी बैचेनी का उन्हें पता चलते ही दौडें चले आते है और मरीज का समाधान हो जाता है. यहां किसी मरीज में कोई भेदभाव नही. अमीर-गरीब छोटे बडे सभी बराबर है. सभी संतुष्ट और प्रसन्न है. पहले दिन मुझे सलाईन लगाते समय थोडी कपकपाहट हुई थी. हमारी बिटिया डॉ. अंजली राउत ने नर्स को बताया. नर्स के कहने पर डॉ.साहब स्वयं दौडकर आए और समाधान कर दिया. डॉ. विजयकुमार बख्तार की असिस्टंट डॉक्टर भी बेहद मिलनसार, मददगार और गुण संपन्न है. डॉ. साहब के साथ जब ये सभी विजिट के लिए निकलते है तो ऐसा लगता है कि जैसे फौज कोरोना का नायनाट करने निकली है, मुस्तैदी के साथ यहां की परिचारिका परिवार बडी प्रसन्नता और मनप्राण से पेशेंट की सेवाओं में जुटा रहता है. अनायास ही मन कह उठता है परिचारिकाए हो तो ऐसी, ना किसी पेशेंट के साथ तकरार, ना ही चिड-चिड. इन्हें तो सिस्टर की जगह मदर कहने को मन करता है.
भगवान, डॉ. विजयकुमार बख्तार और उनकी टीम के हाथों को सुयश प्रदान करे. निश्चित ही हम कामयाब होंगे. कोरोना हदपार होगा. डॉ. विजय बख्तार जैसे डॉक्टर है. हमारा सभी से निवेदन है कि अपना ख्याल रखे. मास्क पहने, दूरी बनाए रखे व सैनिटायजर का उपयोग करें.
प्रा. बाबा राउत

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