अनिलकुमार अग्रवाल की 8 राज्यों की रोमांचक यात्रा
अमरावती जिले के सबसे सफल उद्योजक के रुप में अनिलकुमार अग्रवाल की ख्याति है. अनिलकुमार अग्रवाल पुनम फर्निचर एवं पुनम इलेक्ट्रॉनिक्स के संस्थापक होकर उनकी धर्मपत्नी किरण अग्रवाल संचालक हैं. साथ ही अनिलकुमार अग्रवाल व किरण अग्रवाल सामाजिक क्षेत्र में भी जरुरतमंदों को मदद करने हमेशा अग्रसर रहते हैं. विगत दो वर्षों में कोरोना महामारी के समय व्यापार बंद रहने के बावजूद भी अनिलकुमार ने उनके प्रतिष्ठान के सभी कर्मचारियों को सभी प्रकार से मदद की है. परिस्थिति कितनी भी गंभीर क्यों न हो, इसमें से मार्ग निकालने की कला से अनिलकुमार अच्छी तरह से अवगत हैं. उनके अनुसार प्रयत्न वहां परमेश्वर और इच्छा वहां मार्ग होता है. सिर्फ मनुष्य के विचार पॉजीटीव सकारात्मक होने चाहिए. प्रत्येक परिस्थिति में अनिलकुमार की पत्नी उनके साथ रहती हैं.
अनिलकुमार अग्रवाल को व्यक्तिगत जीवन में वाचन व यात्रा करना ये दो बातें बचपन से ही पसंद है. खाली समय में वाचन करना और साल में दो बार पत्नी किरण अग्रवाल के साथ दूर की यात्रा करना उन्हें पसंद है. उन्होंने भारत से बाहर करीबन सभी देशों की यात्रा की है.इनमें अमेरिका,चीन,मॉरीशस,थाइलैंड,दुबई, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया,पॅरीस,नेदरलैंड, बेलजीयम, प्रोग, अरमेनिया, हाँगकाँग, मकाऊ, नेपाल, कोरिया इन देशों का प्रमुख रुप से समावेश हैं. लेकिन विगत दो वर्षों से अनिलकुमार अग्रवाल को कही जाने नहीं मिला. परन्तु वैक्सीन आने के बाद अनिलकुमार ने पत्नी के साथ नियोजन शुरु किया. सर्वप्रथम उन्होंने किरण अग्रवाल के साथ वैक्सीन का डोज पूरा करते ही देश के कुछ राज्यों की यात्रा करना तय किया. तारीख व समय निश्चित कर कहां-कहां जाना है, इस बारे में लेखाजोखा तैयार किया. संपूर्ण यात्रा स्वयं की चार पहिया गाड़ी से करना तय किया. लेकिन कोई भी होटल बुक नहीं किया. साथ में भोजन का सभी साहित्य यानि तैयार करने के लिए लगने वाले बर्तन व अनाज की लिस्ट तैयार कर साथ में ली. वहीं बिस्तर भी साथ में लिया. सिर्फ गैस या स्टोव्ह नहीं लिया. क्योंकि अनिल कुमार को संपूर्ण नैसर्गिक अनुभव लेना था. जाने की तारीख तय हुई, लेकिन दिक्कत एक नहीं सैकड़ों थी. सर्वप्रथम दिक्कत भाषा, भारत में प्रत्येक दस किलोमीटर पर भाषा बदलती है. यहां तो आठ राज्य बदलने थे. दूसरी दिक्कत यानि रास्ते व तीसरी परेशानी यानि खाना-पीना. लेकिन दिक्कतों से न घबराने वालों में अनिलकुमार थे. अनेक बार तय किए काम पूर्ण करने का ध्येय अनिलकुमार का रहा.
अनिलकुमार ने 14 मार्च 2021 को पत्नी किरण अग्रवाल के साथ फोर विलर गाड़ी एमजी ग्लोस्टर सहित अमरावती से यात्रा की शुरुआत की. सर्वप्रथम वे मध्यप्रदेश के कटनी पहुंचे. वहां से उत्तर प्रदेश के बनारस पहुंचने के बाद भारतीय संस्कृति के दर्शन होने समान लगा, ऐसा अनिलकुमार का कहना है. वहां से अनिलकुमार ने बिहार के बोधगया के दर्शन किये. बोधगया भी खुब नयनरम्य है. वहां से पटना आने के बाद संपूर्ण बिहार देखने समान लगा. कुल मिलाकर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अत्यंत सांस्कृतिक एवं प्रामाणिक होने की पहचान अनिलकुमार को हुई. प्रत्येक स्थान पर भाषा अलग होने पर भी मनुष्य में की इंसानियत वाली आदरता व मदद करने की निष्ठा समान ही है. वे पटना के बाद वेस्ट बंगाल के दार्जिलिंग पहुंचे. वहां का नैसर्गिक सौंदर्य स्वर्ग समान है. कुछ स्थानों पर पहाड़ी मार्ग पर यहां पर पत्थर पर सावधान ऐसा फलक दिखाई देता है. क्योंकि पहाड़ पर से कभी कौन सा पत्थर अपने ऊपर आकर गिरेगा, इसका अंदाज नहीं होता. दार्जिलिंग के मुकाम के बाद अनिलकुमार गुवाहाटी पहुंचे. गुवाहाटी यानि संपूर्ण हरियाली, वहां से मेघालय का शिलांग शहर तय करने के बाद अपने महाराष्ट्र की याद आने की बात अनिलकुमार ने बताई. स्वच्छ एवं अत्यंत साफ शहर नैसर्गिक संपत्ति अत्यंत अधिक होने वाला शहर वहां का ही डाऊकी इस शहर के साथ जब चेरापुंजी शहर पहुंचने पर अनिलकुमार को ज्ञात हुआ कि भारत में सबसे अधिक बारिश चेरापुंजी में होती है. चेरापुंजी के बाद राज्य के अगरतला शहर को अनिलकुमार ने भेंट दी. त्रिपुरा, बाद में फिर से आसाम आकर काझीरंगा इस भारत के सबसे बड़े नेशनल पार्क को भेंट देने पश्चात अनिलकुमार का कहना है कि विदेश में कितना भी घुमने के बाद भी विविधता से सजे अपने भारत देश को भी हमने भेंट देनी चाहिए. काझीरंगा के बाद आसाम के माजुली में अनिलकुमार पत्नी के साथ पहुंचे. माजुली यह विश्व की सबसे बड़ी नदियों के राज्य के रुप में प्रसिद्ध है. आसाम के बाद अरुणाचल प्रदेश की ओर जाते समय सर्वप्रथम झीरो, इटानगर, भालुपकांला दिरांग और तवांग में पहुंचे. अरुणाचल प्रदेश राज्य राज्य का तवांग यह विश्व का दूसरे नंबर का बड़ा मोनेस्ट्री शहर है जो समुद्र किनारे होकर 10,000 ऊंचाई पर है. तवांग अरुणाचल प्रदेश से फिर से आसाम के उदगलगुरी शहर को भेंट देने के बाद अनिलकुमार ने वेस्ट बंगाल की ओर अपनी यात्रा शुरु की. वेस्ट बंगाल के कुचबहर, रायगंज, मायापुर, कलकत्ता के बाद सुंदरबन पहुंचे. सुंदरबन यह देश का सबसे प्रसिद्ध नेशनल पार्क है. वहां से उड़ीसा राज्य के दिधा बीच में अनिलकुमार पहुंचे. पश्चात जस्सीपुर, संबलपुर मार्ग से वे छत्तीसगढ़ के रायपुर पहुंचे. रायपुर से अमरावती 28 अप्रैल 2021 यानि पूरे 46 दिनों में कुल 10,200 किलोमीटर की यात्रा कर अनिलकुमार अग्रवाल पत्नी किरण के साथ अमरावती पहुंचे. इन 46 दिनों में अनिलकुमार अग्रवाल ने मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, वेस्ट बंगाल,आसाम, मेघालय, त्रिपुरा और अरुणाचल इन 8 राज्यों की यात्रा कर भेंट दें यहां के जनजीवन का करीब से अभ्यास किया. इस संपूर्ण यात्रा के अनुभव बताते हुए अनिलकुमार का कहना है- विविधता में एकता ही अपने देश की महती है और निसर्ग सौंदर्य भारत सरीखे दूसरे किसी देश में दिखाई नहीं देता. अनिलकुमार का सभी से कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को एक बार ही सही, ऐसी रोड ट्रीप निकालकर सभी के साथ विविध भाषाओं, रोमांचकारी निसर्ग, भोजन का आनंद लेना चाहिए.
– अनिल कुमार अग्रवाल
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