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भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व

97वें जन्मिदवस निमित्त

श्री अटल जी ने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म पाचजन्य और वीर अर्जुन जैसे राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. अटल जी एक सच्चे इंसान और लोकप्रिय जननायक है.
राष्ट्रीय क्षितिज पर सुशासन के पक्षधर, विकास पुरुष और स्वच्छ छवि के साथ अजातशत्रु कहे जाने वाले कवि एवं पत्रकार, सरस्वती पुत्र पं.अटल बिहारी वाजपेयी एक व्यक्ति का नाम नहीं, वरन राष्ट्रपति विचारधारा का नाम है. राष्ट्रहित, जनहित एवं राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल पक्षधर अटल जी राजनेताओं के बीच राष्ट्रीयता और नैतिकता के प्रतीक है.
अपनी कविता के माध्यम से अटल जी कहते है-
‘गूंजी हिंदी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार
राष्ट्रसंघ के मंच से, हिंदी का जयकार
हिंदी का जयकार, हिंद हिंदी में बोला
देख स्वभाषा प्रेम, विश्व अचरज से डोला’
अटल जी ने इस अवसर पर भगवान श्री राम का उध्दरण ‘न भीतो मरणातस्मि केवलम् दूषितो यश:’- का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए कहा था ‘मैं मृत्यु से नहीं डरता, यदि डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं, लोकापवाद से डरता हूं, मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि पार्टी तोडकर सत्ता के लिए नया सिध्दान्तहीन गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है, तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करुगा.’
अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर में ही हुई. सन् 1939 में जब वे ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे, तभी से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाने लगे थे. सन् 1942 में लखनऊ शिविर में अटल जी ने जिसे ओजस्वी शैली में अपनी कविता ‘हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन’ का पाठ कर जनमानस पर अमिट छाप छोडी थी, उसकी चर्चा आज तक होती है. श्री अटल जी ने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म पांचजन्य और वीर अर्जुन जैेसे राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. अटल जी एक सच्चे इंसान और लोकप्रिय जननायक है. वसुदैव कुटुंबकम की भावना से परिपूर्ण और सत्यम-शिवम-सुंदरम के पक्षधर श्री अटल जी का सक्रिय राजनीति में पदार्पण 1955 में हुआ. उन्हें 1994 में ‘सर्वश्रेष्ठ संवाद’ एवं 1998 में ‘सबसे ईमानदार व्यक्ति’ के रुप में सम्मानित किया गया. 1992 में पद्मविभूषण से अलंकृत अटल जी को उसी साल हिन्दी गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया गया. वर्ष 2014 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरत्न’ से अलंकृत किया गया. अटल जी ही देश के ऐसे पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया और अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर राष्ट्रभाषा हिंदी का मान बढाया.
श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक है. वे 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष भी रहे. वे मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने पूरी विश्व में भारत की छवि निखारने में अहम भूमिका निभाई.
लोकतंत्र के सजग एवं निष्ठावान प्रहरी अटल जी ने 16 मई, 1996 को प्रधानमंत्री के रुप में देश की बागडोर संभाली. अटल जी ने सर्वपंथ समभाव के मार्ग पर चलते हुए देश को गरीबी व बेरोजगारी से उबारने के लिए उनके ठोस कार्यक्रम कार्यान्वित करते और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए कठोर उपाय करने का आश्वासन दिया. हालांकि 161 सीटें प्राप्त कर सबसे बडे दल के रुप में उभरने के बावजूद भाजपा को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं था. परिणामस्वरुप 28 मई 1996 को अटल जी ने विश्वासमत पर चर्चा के बाद संख्याबल न होने के कारण प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके पश्चात 1998 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने अटल जी को प्रधानमंत्री बनने का संकल्प लेकर लडा और पार्टी सबसे अधिक 177 सीटें लेकर सबसे बडे दल के रुप में सामने आयी.
प्रधानमंत्री का पद संभालते ही वाजपेयी जी ने देश में सुशासन आर्थिक एवं ढांचागत सुधारों, निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन, विदेशी निवेश को आकृष्ट करने, सरकारी खर्च में मितव्ययिता बरतने, अनुसंधान एवं विकास को बढावा देने और सरकारी स्वामित्व के कुछ नियमित उपक्रमों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढना शुरु किया.
अटल जी की दृढ इच्छा शक्ति और अदम्य साहस का पता इसी से चल जाता है कि, पाकिस्तान की ‘इस्लामी बम’, ‘गौरी’ और ‘गजनी’ मिसाइलों की चुनौती का मुंहतोड जवाब देने के लिए अटल जी ने महान वैज्ञानिक ‘भारत रत्न’ डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में 11 मई और 13 मई 1998 को पोखरण में परमाणु-परीक्षण कराए, जिससे संपूर्ण विश्व स्तब्ध रह गया. अटल बिहारी वाजपेयी जी सभी को एक साथ लेकर चलने में विश्वास रखते रहे है. उन्होंने स्वाधीनता दिवस पर अपने एक भाषण में कहा था ‘हम ऐसे राष्ट्र निर्माण की कल्पना लेकर चलते हैं, जिसमें धर्म, जाति, वर्ग, रंग, भाषा, प्रांत या क्षेत्र’ के आधार पर अंतर नहीं किया जाएगा. अटल जी की आस्था भारत और भारतीयता के प्रति रही है.
अटल जी ने भारत के पडोसी देशों के साथ संबंध और अधिक मित्रतापूर्ण बनाने का संकल्प लिया. इसे पूरा करने के लिए उन्होंने पाकिस्तान के साथ सार्थक वार्ता की भरपूर कोशिशें की. उनके इस प्रयास के फलस्वरुप 20 फरवरी 1990 को लाहौर तक की बस यात्रा का आयोजन किया गया. 21 फरवरी को लाहौर में आपका नागरिक अभिनंदन हुआ. दुनिया भर के नेताओं और बुध्दिजीवियों ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी की इस सद्भाव यात्रा का जमकर स्वागत किया. मई 2014 से केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री पद पर आसीन श्री नरेंद्र मोदी को अगर श्री अटल बिहारी वाजपेयी का वास्तविक उत्तराधिकारी कहा जाए, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. राजनीतिक आकाश के प्रकाश पुंज श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को अंतिम सांस ली. मैं उनके पावन जन्म दिवस पर देश के सभी लोगों को शुभकामनाएं देता हूं.
– सदूभाई ओमप्रकाश पुन्सी
संयोजक भाजपा सिंधी सेल
सोच अडवानी अटल – वोट कमल

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