जन्मभूमि खरीदी विवाद
अयोध्या मेें भगवान राम के भव्य मंदिर जो कि, भगवान राम की जन्मभूमि भी है, के निर्माण के लिए जो जमीन खरीदी गई है, वह बाजार मूल्य से कई अधिक कीमत में खरीदी गई है. यह आरोप लगाते हुए अनेक राजनीतिक दल इसे भूमि खरीदी घोटाला का नाम दे रहे है. साथ ही इस खरीदी मामले की जांच किये जाने की मांग भी कर रहे है. जबकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव चंपतराय का कहना है कि, न्यास जो जमीन खरीदी है वह बाजार मूल्य से अत्यंत कम है. इस मामले में अनेक राजनीतिक दलों का तर्क है कि, इस जमीन का निर्णय केवल 2 करोड रुपए है. जबकि न्यास द्बारा इसे 18 करोड रुपए में खरीदा गया है. यह रकम बाजारमूल्य से कई अधिक है. श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान का मंदिर निर्मित हो, इसके लिए देशवासियों ने स्वयं की इच्छा से लाखों रुपए दान किये. यदि जमीन खरीदी में घोटाला हुआ है, तो यह भक्तों की आस्था से खिलवाड होगा. इस जमीन खरीदी में जहां लाखों रुपए का दान देने वाले दानदाता सामने आये वहीं पर मुफलीसी की हालत में गुजारा करने वाले लोगों ने भी अपनी श्रद्धा के अनुरुप दान दिया. निश्चित रुप से यह प्रश्न भक्तों के आस्था से जुडा हुआ है. इसलिए इस मामले की व्यापक जांच होना समय की मांग है. क्योंकि यदि घोटाला हुआ है, तो व्यापक जांच के जरिए दूध का दूध पानी का पानी अलग किया जा सकता है. यदि न्यास की ओर से जो बात कहीं जा रही है वह सच है, तो यह सच भी सामने आना चाहिए. क्योंकि आस्था के विषय अत्यंत नाजूक होते है. लोगों ने स्वेच्छा से दान दिया है. उनका लक्ष केवल यहीं है कि, भगवान राम का मंदिर बने. इसके लिए वर्षों से संघर्ष भी जारी था. अब कार्य की शुरुआत हो चुकी है. जिसके चलते पारदर्शिता अतिआवश्यक है.
बेशक अयोध्या में जमीन का मूल्य पहले कुछ कम रहा हो, लेकिन अब अयोध्या विश्वस्तर का धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रुप में विख्यात हो रहा है. इस हालत में यहां पर भविष्य की दृष्टि से भूमि खरीदने वालों की संख्या बढ गई है. मांग एवं आपूर्ति के सिद्धांत के अनुसार जब किसी की मांग बढ जाती है, तो उसकी दरों में भी भारी इजाफा हो जाता है. इसके चलते यह माना जा सकता है कि, कुछ माहपूर्व तक जो जमीन सामान्य दरों में उपलब्ध थी, वह अब महंगी होने लगी है. हालांकि इन दिनों सभी क्षेत्रों में महंगाई का असर देखा जा रहा है. ऐसे में अयोध्या जैसे क्षेत्र में यदि भूमि की दरों में बढोत्तरी होती है, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. भगवान राम के मंदिर के निर्माण के बाद हर रोज हजारों की संख्या में भक्तों का आगमन होगा. कौनसा ऐसा भक्त है जो भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन से स्वयं को वंचित रखना चाहेगा. बेशक कुछ आर्थिक मजबूरी के कारण सामान्य व्यक्ति अयोध्या न पहुंच पाये, लेकिन उसका सारा प्रयास हर तीर्थक्षेत्र के दर्शन का रहेगा. वैसे भी भगवान राम जन्मभूमि होने के कारण अयोध्या की महिमा धर्मग्रंथों में भी उल्लेखित है. रामचरितमानस में यहा तक कहा गया है कि, रामजन्म के अवसर पर सभी तीर्थ अयोध्या में आते है. ऐसे में निश्चित रुप से भविष्य मेें अयोध्या क्षेत्र धार्मिक भावनाओं के लिए महत्वपूर्ण तो रहेगा ही. साथ ही अयोध्या के उत्तर में बहती सरयू नदी, हनुमानगढी का मंदिर, सीता की रसोई, कंचन भवन सहित अनेक धार्मिक भावना से जुडे स्थल होने के कारण न केवल देश के विदेश से भी हजारों भक्त रोज यहां आएंगे. ऐसे में इस तीर्थक्षेत्र की भूमि को महत्व मिलना स्वाभाविक है. अयोध्या में हर परिसर में अनेक मंदिर बने हुए है. वहां लोगों की आबादी भी है. निश्चित रुप से जन्मभूमि के पास भूमि खरीदी के लिए न्यास को वहां बसे लोगों के पुनर्वास के लिए अलग से जगह देनी पडी है. जिसके कारण भूमि का खर्च बढ सकता है. ऐसे कई कारणों से माना जा सकता है कि, भूमि की दर पहले की अपेक्षा अब बहुत बढ गई होगी. बावजूद इसके यदि कुछ राजनीतिक दलों को अशंकाएं है, तो उनके लिए खरीदी व्यवहार की पूरी जांच अवश्य की जानी चाहिए, ताकि लोगों में उत्पन्न होता भ्रम भी दूर हो सके.
कुलमिलाकर भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर के लिए खरीदी गई भूमि के विषय में विवाद यह भक्तों के लिए भी चिंता का विषय है, इसलिए इसकी सर्वांगिण जांच होना आवश्यक है.