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मंत्रालय में उधारी

व्यवहार में उधारी इस शब्द का अलग महत्व है. अनेक लोगों के पास समय पर पर्याप्त राशि न होने के कारण वे अपनी आवश्यक वस्तुए दुकानदार से खरीद तो लेते है. लेकिन बिल की अदायगी किसी निश्चित तिथि पर करने का वादा करते है. यदि उपभोक्ता का व्यवहार दुकानदार के साथ हर दम व्यवस्थित रहता है तो दुकानदार वस्तुए देने में जरा भी आनाकानी नहीं करता. लेकिन व्यवहार संदिग्ध है तो वह अपने विवेक के अनुरूप इस फैसले में जुट जाता है कि संबंधित व्यक्ति को उधार दिया जाए अथवा नहीं. क्योंकि कोई भी व्यवसायी अपनी राशि उधार के नाम पर अटकाने में भरोसा नहीं करता. लेकिन व्यापार में व्यवहार का भी महत्व है. इसलिए उधारी की कहीं कहीं आवश्यकता होती है. यह तो हुई सामान्य व्यक्ति की बात.सामान्य व्यक्ति के किस्से आए दिन सुनाई देते है. आमतौर पर होटलों या दुकान लेने की कहानियां सुनने मिलती है.व्यवहार के अनुरूप कुछ लोग समय पर उधार ली गई वस्तुओं का मूल्य चुका देते है. किंतु कुछ लोग ली गई वस्तुओं की राशि देेने में आनाकानी करते है. यही कारण है कि व्यापारी को ऐसे उपभोक्ताओं को या तो अल्टीमेटम देना पडता है. या फिर उधार दी गई वस्तुओं को भूल जाना पडता है. लेकिन इस तरह की प्रक्रिया की होटल में हो यह कल्पना कोई नहीं कर सकता है. लेकिन हकीकत यह है कि मंत्रालय ने मुख्यमंत्री, राज्यमंत्री के सचिव के कार्यालय में खान पान की इतनी उधारी बढ गई है कि सरकार को उधारी चुकाने के लिए एक सरकुलर जारी करना पडा है. इसके अनुसार अब केवल 8 दिन की उधारी मिलेगी. राज्य मंत्रालय के सरकारी रेस्त्ररा और विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी कर्ज में डुबे है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में परिपत्र जारी किया व स्पष्ट कहा है कि एक सप्ताह के भीतर उधारी न चुकाने पर चाय नाश्ता नहीं किया जायेगा.
उधारी के मामले में कई लोग औरों की राशि अटकाने में स्वयं गर्व महसूस करते है.एक व्यक्ति से यह पूछा गया कि आपका घर का खर्च कैसे चलता है तो उसने कहा वह पुरानी उधारी नहीं दिया करता. इस पर प्रति प्रश्न किया गया कि, नई उधारी का क्या किया जाता तो उसका कहना था कि इस उधारी को पुरानी बनने दिया जाता है. अभिप्राय यह कि कई लोगों का उधार वस्तुए लेना शगल बन गया है. लेकिन मंत्रालय में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी भी ऐसा करेंगे. यह मानना कठिन है. लेकिन इस कठिन बात को मंत्रालय के अधिकारी, कर्मचारी और मत्रियों ने सहजकर दिखाया है. यह शोकांतिका है कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी कर्मचारियों के अलावा कुछ मंत्रीगण भी उधारी की इस श्रृंखला में जुड गये है. मनमाना खर्च होने पर एवं उधारी बढने के बाद संबंंधित कर्मचारियो को नोटिस जारी करना पडा. निश्चित रूप से यह बात मंत्रालय की प्रतिष्ठा को आंच पहुंचानेवाली है. क्योंकि मंत्रालय से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि उनका व्यवहार बिल्कुल व्यवस्थित रहेगा. लेकिन यहां पर तफावत नजर आयी है. इस हालत में जरूरी था कि उधारी रोकने के लिए सर्कुलर जारी किया जाए.
व्यवहार की महत्ता जिस समय नोटबंदी हुई थी. उस समय प्रखर रूप से सामने आयी थी. अनेक दुकानों में नोट पुरानी होने के कारण लेन देन में बाधा आ रही थी. साथ ही धनादेश आदि स्वीकार करने में ही दुकानदार निर्णय नहीं ले पा रहे थे. ऐसे में जिन लोगों के व्यवहार अच्छे थे उन्हें वस्तुएं आसानी से मिल गई. दुकानदार ने उधार देकर उनका समय निकाल दिया. स्पष्ट है कि व्यवहार की गरिमा नोटबंदी के काल में काम आयी. व्यवहार सही रहता तो किसी व्यक्ति का काम समय पर अड नहीं सकता. उसे कहीं न कहीं सहायता मिल जाती है. लेकिन मंत्रालय में उधारी के मामले चरम चरम तक पहुंचने का प्रयास किया गया.इससे वहां के दुकानदारों को भी कठिनाई हो रही है. इसलिए जरूरी है कि प्रशासन संबंधित अधिकारियों के वेतन से राशि निकालकर जिनकी उधारी बाकी है उनकी राशि कटौती करे. इससे सारा व्यवहार व्यवस्थित हो जायेगा.
कुल मिलाकर उधारी का व्यवहार हर किसी के लिए कष्टदायक है. यही कारण है कि व्यवहार में यह कहावत प्रचलित है कि नौ नगद न तेरह उधार. ज्यादा की लालच में जो लोग उधार वस्तुएं देेते है उन्हें कभी कभी पछताना भी पडता है. इसलिए व्यवहार में नगद का उपयोग किया जाना चाहिए. सरकार ने रकम अदायगी के लिए अनेक विकल्प बनाए है. हर उपभोक्ता ऑनलाइन के जरिए भी अपना व्यवहार कर सकता है. ऐसे में उधारी की स्थिति नहीं निर्मित होना चाहिए. बहरहाल जिन अधिकारियों ने उधार वस्तुएं खरीदी है वे स्वयं स्फूर्त होकर उसे अदा करे. यह केवल अधिकारियों की प्रतिष्ठा का नहीं मंत्रालय की भी प्रतिष्ठा उससे जुडी है. इसलिए सभी संबंंधितों को योग्य कदम उठाना चाहिए. अव्वल व्यवहार में पारदर्शिता होना जरूरी है. आम तौर पर जब सरकारी पैसा वसूल करना होता है तो सामान्य व्यक्ति की संपत्ति जब्त कर ली जाती है, ऐसे में मंत्रालय से जुडे लोगों को भी अपने दायित्व का अहसास होना चाहिए. यदि मंत्रालय जैसे स्थान उधारी के लिए चर्चा में आते है तो यह उचित नहीं. इसके लिए सभी को योग्य रूप से सावधानी बरतना आवश्यक है.

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