व्यापार की समय सीमा
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने लॉकडाउन की पाबंदिया बढा दी है. अनलॉक प्रक्रिया के तहत दो सप्ताह पूर्व दुकाने व बाजार का समय सुबह ७ से रात ७ बजे तक रखा गया था. लेकिन उसके बाद मे सुबह ७ से दोपहर ४ बजे तक कर दिया गया. इसी तरह सप्ताहंत लॉकडाउन के रूप में जीवनावश्यक वस्तुओं की दुकाने छोड़कर अन्य सभी दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है. इसी के चलते व्यापारियों को भारी कठिनाई का सामना करना पड रहा है. इस संबंध में महानगर चेंबर के अध्यक्ष सुरेश जैन के नेतृत्व में विधायक सुलभा खोडके को निवेदन देकर दुकानों का समय सुबह ७ से शाम ७ बजे तक करने का अनुरोध किया गया है. निश्चित रूप से व्यापार के लिए वर्तमान में तय की गई समय सीमा किसी भी दृष्टि से व्यापार के लिए उपयुक्त नहीं है. कहने को तो शहर के महत्वपूर्ण चौराहो की दुकानों को दोपहर ४ बजे अपने शटर गिरा देने पडते है. लेकिन शहर के रिहायशी इलाको की अनेक दुकाने रात १० बजे तक खुली रहती है. वहां कोई रोक टोक नहीं है. यदि यह कहा जाए कि रिहायशी इलाको के दुकानों का समय सुबह ७ से पुलिस की गाडी आने तक है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. विशेष यह कि पूरे सप्ताह भर रिहायशी इलाको की अनेक दुकाने बंद कराने के लिए पुलिस या मनपा प्रशासन की ओर से कोई प्रयत्न नहीं किए गये. महत्वपूर्ण यह नहीं कि रिहायशी इलाको की दुकानों को बंद क्यों नहीं कराया गया. बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि केवल बाजार पेठ में स्थित दुकानों के लिए ही सारे कडे प्रतिबंध लागू है? वैसे भी शहर में सुबह ७ से दोपहर ४ बजे तक लोगों की भीड हर जगह देखी जा सकती है. अमरावती शहर मेें रोजगार के अवसर सीमित रहने के कारण अनेक परिवारों में रोज कमाना, रोज खाने की स्थिति है. ऐसे में सप्ताह में दो दिन दुकाने बंद रहने से सीमित साधनों में घर चलाने वाले परिवारों की आवश्यक वस्तुएं समाप्त हो जाती है. जिसके कारण बाजार खुलने के दिन सोमवार को भरपूर गर्दी सड़को पर दिखाई देती है. क्योंकि हर कोई घर में समाप्त हुई वस्तुओं की खरीदी दोपहर ४ बजे से पूर्व कर लेना चाहता है. जिसके कारण सडको पर आवाजाई बढ जाती है. लोगों की इस मजबूरी को प्रशासन समझना नहीं चाहता है. ऐसे में अनेक नौकरी पेशा लोग जो सुबह ७ बजे से काम पर निकल जाते है तथा जब काम से वापस आते है सारी दुकाने बंद हो चुकी रहती है. जिसके चलते उन्हें आवश्यक वस्तुएं खरीदने में कठिनाई होती है. यही समय यदि शाम ७ बजे तक किया जाता है तो सडको पर जो भीड उमड पडती है. उसमें काफी कमी देखी जा सकती है.
अमरावती का व्यवसाय विगत डेढ़ वर्षो से अनेक संकटों का सामना कर रहा है. इतने दिनों में उसने अनेक लॉकडाउन का सामना किया. इतना ही नहीं अनेक कडे प्रतिबंधों का पालन भी किया है. लेकिन उसे उभरने का अवसर नहीं मिल पा रहा है. अब तक कोरोना की पहली-दूसरी लहर का सामना करते हुए व्यापारियों का व्यवसाय प्रभावित हुआ. अब तीसरी लहर व्यापार पर क्या कहर ढाती है, इसका अनुमान अभी लगाया नहीं जा सकता. बेशक बीमारी का संक्रमण कम हुआ है तथा भविष्य में यह संक्रमण न बढे इसलिए आवश्यक उपाय योजना भी जरूरी है. उपाय योजना जारी करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रतिबंध पूरे शहर में समान रूप से लागू हो. एक क्षेत्र में प्रतिबंध के भय से दोपहर ४ बजे ही दुकाने बंद हो जाना तथा कुछ क्षेत्रों में देर रात तक दुकाने खुली रहना प्रशासन द्वारा जारी प्रतिबंधों के लक्ष्य को साध्य नहीं होने दे रहे है. अलबत्ता व्यापारियों का नुकसान अवश्य होता जा रहा है. इस समस्या के निराकरण के लिए प्रशासन को नीति लागू करते समय व्यापारी संगठनों से भी योग्य विचार विमर्श करना चाहिए. ताकि बीच का मार्ग निकल सकता है.
कुल मिलाकर व्यापार पर प्रतिबंधों का ग्रहण अब शिथिल किया जाना चाहिए. जिससे शहर का व्यवसाय फिर से सुचारू हो सके. इस बारे में व्यापारी संगठनों द्वारा विधायक को दिया गया निवेदन काफी मायने रखता है. व्यापारिक समस्याओं पर विचार विमर्श कर योग्य निर्णय लिया जाना चाहिए. यदि ऐसा किया जाता है तो प्रतिबंधों का लक्ष्य भी साध्य हो सकता है. जरूरी है कि प्रशासन लॉकडाउन की इस नीति पर योग्य विचार करे.