लेख

संकट में व्यापार

महाराष्ट्र में १ जून तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है. विगत ५ अप्रैल से जीवनावश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी दुकानें बंद पड़ी है. जिससे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो गया है. अनेक प्रतिष्ठान बंद रहने के कारण वहां पर कार्यरत कर्मचारियों का भी रोजगार छीन गया है. आर्थिक आय न होने के कारण उनके सामने फाके की नौबत आ गई है. इस हालत में व्यापार को आरंभ करने की अनुमति दिए जाने की मांग महाराष्ट्र चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ने मांग की है कि राज्य में रूग्ण की संख्या में कमी आयी है इस हालत में व्यापारियों को व्यापार की अनुमति दी जानी चाहिए. ८ से १५ मई तक कडक लॉकडाउन लगाया गया था. इसमें केवल मेडिकल व दूध डेरी को सुबह ७ से ११ बजे तक प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति दी गई थी. परिणामस्वरूप जो वर्ग रोज कमाकर रोज खाता है. उन्हें भारी संकट का आगमन हो गया है. अब तक किसी तरह तकलीफ बर्दाश्त कर रहे लोगों को अब नया लॉकडाउन अखर रहा है. क्योंकि एक ओर सरकार दावा कर रही है कि कोरोना का संक्रमण धीरे-धीरे कम हो रहा है. इस हालत में व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति दी जाए. क्योंकि जीवनावश्यक वस्तुओं की दुकानें बंद रहने से न केवल दुकानदार प्रभावित हो रहे बल्कि अनेक ग्राहको को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.राज्यभर में अनेक परिवार ऐसे है जो रोज मेहनत मजदूरी कर आजीविका चलाते है. इस हालत में वे घर में सभी जीवनावश्यक वस्तुओं का संग्रह नहीं कर सकते. इससे लॉकडाउन उन्हें आवश्यक वस्तुएं खरीदने में भी कठिनाई होती है. इससे कई परिवारों में भोजन मिलना भी कठिन हो गया है. जिला प्रशासन द्वारा जीवनावश्यक वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगाई गई है. इससे लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन को चाहिए कि वह भले ही सीमित समय के लिए दुकाने खोलने की अनुमति दे जिससे व्यापारियों को राहत मिल सके. हालाकि इतने दिन व्यापार बंद रहने से सभी को परेशानी हो रही है. दुकान में कार्यरत कर्मचारियों का रोजगार भी मार खा रहा है. ५ अप्रैल से जारी यह लॉकडाउन का सिलसिला यदि और लंबा चलता है तो अनेक लोगों पर भूखमरी की नौबत तीव्र हो जायेगी. इसलिए जरूरी है कि सरकार लॉकडाउन के प्रति लचीला रवैया अपनाए. जो लोग अनावश्यक रूप से घूमते है उनके ऊपर कार्रवाई भी होना जरूरी है.
जिलाधीश द्वारा जिस तरह कडे निर्बंध लागू किए जा रहे है. सरकार चाहे जितने भी कडक कानून लगा दे पर लोगों के पास धनसंग्रह न होने के कारण वे जीवनावश्यक वस्तुएं नहीं खरीद पा रहे है. इससे घर की व्यवस्था भी प्रभावित होने लगी है. इस बीच डीजल पेट्रोल की दरों में भी बढोतरी हो रही है. एक ओर सामान्य व्यक्ति के पास आर्थिक संसाधन नहीं है. वहीं पर लॉकडाउन के कारण वह न तो कहीं से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है और न ही सरकार की ओर से कोई सहायता की जा रही है. स्पष्ट रूप से जब शहरवासियों को आवश्यक आहार नहीं मिलेगा तो वह बीमारी का आसानी से संक्रमण हो जायेगा. क्योंकि इस बीमारी में स्वास्थ्य बचाए रखने के लिए आंतरिक शक्ति का होना भी अत्यंत आवश्यक है. यदि प्रशासन बीमारी दूर करने के नाम पर लगातार लॉकडाउन लगा रहा है इससे राज्य का अर्थचक्र बिगड़ जायेगा. सरकार की ओर से इस समस्या को गंभीरता से समझना आवश्यक है. इसलिए नये लॉकडाउन के प्रति लोगों में नाराजी देखी जा रही है.
आनेवाले दिनों में बरसात भी आरंभ हो सकती है. इस हालत में बरसात पूर्व प्रबंधन का कार्य तेजी से होना आवश्यक है. लेकिन अभी तक अनेक स्थानों पर कार्य आरंभ नहीं हुआ है न तो नालों को गहरा किया गया है और न ही नालियों की सफाई हो पायी है. इसलिए जरूरी है कि सरकार बरसात पूर्व प्रबंधन की दृष्टि से सभी कार्य आरंभ करे.
कुल मिलाकर लगातार लॉकडाउन से लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. ऐसे में या तो सरकार को जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए आगे आना चाहिए. खासकर विगत डेढ़ माह से जो व्यवसाय बंद पड़े है उन्हें आरंभ करना आवश्यक है. यदि ऐसा नहीं होता है तो व्यापार में संंकट और बढ़ जायेगा. जरूरी है कि सरकार सारी स्थिति का समीक्षण करे व योग्य निर्णय ले. लॉकडाउन की प्रक्रिया को अनलॉक की ओर ले जाना जरूरी है तभी लोगों की समस्या दूर हो सकेगी.

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