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मंत्रिमंडल में सक्षम फेरबदल

केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मेंं सत्तारूढ एनडीए सरकार ने बुधवार की शाम मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए १५ नये कैबिनेट मंत्री व २८ राज्यमंत्री को पद एवं गोपनीयता की शपथ दी. इस भारी फेरबदल को आगामी समय में होनेवाले विधानसभा व अन्य चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कोरोना महामारी व आर्थिक मोर्चे पर सवालों का सामना कर रही केन्द्र सरकार के लिए कुछ ठोस कदम उठाना आवश्यक था. जिसके चलते उन्होंने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है. इसमें ३६ नये चेहरों को शामिल किया गया है. १५ कैबिनेट मंत्री व २८ राज्यमंत्रियों ने शपथ ली. अब मोदी की टीम में ७७ मंत्री हो गये है. उत्तरप्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होनेवाले है. इसी तरह गुजरात में भी चुनाव होना है. जिसके चलते इन राज्यों को मंत्रिमंडल में ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया गया है. इसके अलावा महाराष्ट्र और बंगाल से चार-चार व कर्नाटक से तीन मंत्री शामिल किए गये है.
बीते लगभग दो वर्षो से केन्द्रीय मंत्रिमंडल का कोई ऐसा विशेष कार्य नही हो पाया. क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण सरकार का पूरा ध्यान इस बीमारी से निपटने में लगा रहा. इस बीच तूफान के कारण हुई बरबादी पर भी सरकार को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा. जिसके चलते सरकार की प्राथमिकता रही कि आपदा को नियंत्रण में लाए. लॉकडाउन के कारण लोगों को भारी कठिनाईयां झेलनी पडी. इससे कई परिवारों का अर्थतंत्र भी बिगड गया है जरूरतमंदों की सहायता का कुछ सेवाभावी संस्था ने प्रयास भी किया. लेकिन बार-बार लॉकडाउन की स्थिति से हर कोई परेशान हो गया है. बीच में ऐसा लग रहा था कि भविष्य में स्थिति सामान्य होगी या नही. अनेक लोगों के रोजगार छिन गये है. जिसका असर सरकार को भूगतना पड रहा है. वर्तमान में बैठे मंत्रियों की ओर से अर्थ व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से कदम नहीं उठाए गये. जिसके चलते कुछ नये चेहरों को स्थान दिया गया है. मंत्रिमंडल में नये मंत्रियों को शामिल करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि वे अपने कार्यक्षेत्र में सक्षम रहे. जिन मंत्रियों के पद छिने गये है उसमें से अनेक लोगों को संगठन मजबूत करने का काम सौंपा जा रहा है. इसमें मुख्य रूप से रविशंकर के साथ संतोष गंगवार, रमेश कोकरीयाल, निषंक, सदानंद गोडा आदि को पार्टी की मजबूती की जिम्मेदारी दी जा सकती है. आनेवाले कुछ वर्षो में संसदीय चुनाव व कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होनेवाले है. जिसके परिप्रेक्ष्य में मंत्रिमंडल में हर क्षेत्र के नेताओं को मंत्रालय में स्थान दिया गया है. यह उनका दायित्व है.
सरकार की ओर से बीते कुछ वर्षाे में कडे निर्णय लिए गये है. यह निर्णयावली हर किसी के लिए योग्य मानी जा रही है. लेकिन केवल कडे प्रतिबंधों से कार्य पूर्ण नहीं हो सकते. यही कारण है कि नेताओं से चर्चा कर योग्य रूपरेखा देखी जा सकती है. लगातार दो वर्षो से व्यापार क्षेत्र बंद रहने के कारण अथवा अनलॉक प्रक्रिया मेें कुछ देर के लिए संचारबंदी में भी शिथिलता दी गई. लेकिन बाद में बीमारी का संक्रमण फिर से तीव्र हो जाने के कारण कुछ प्रतिबंध अवश्य लगाये जायेंगे. यदि संबंधित क्षेत्रों के नेताओं की सहायता लेकर लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सकता है. इस बात को ध्यान में रखकर जिन क्षेत्रों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला उन्हें मंत्री बनाया गया है. कुल मिलाकर इस मंत्रिमंडल के फेरबदल में अनेक युवाओं को ज्यादा ज्यादा स्थान दिया गया है नये चेहरे होने के कारण सभी नवनियुक्त मंत्री अपने अपने क्षेत्रों में योग्य कदम उठा सकते है. जिससे विकास प्रक्रिया में लाभ पहुंचे. सरकार के सामने मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ साथ विकास को भी प्राथमिकता देना है. इस दृष्टि से संगठन मजबूती का काम भी होगा. मुख्य बात तो यह है कि इस मंत्रिमंडल में जिन लोगों को चयनियत किया गया उनमें उच्च शिक्षित मंत्रियों का समावेश है. केन्द्र में शामिल मंत्रियों में ७ पीएसडी, ३ एमबीए, १३ वकील, ६ डॉक्टर्स, ५ इंजीनियर, ७ पूर्व नौकरशाह के अलावा ६८ स्नातक मंत्रियों को स्थान मिला है. निश्चित रूप से उच्चशिक्षित मंत्रियों द्वारा जो निर्णय लिए जायेंगे वे योग्य ही रहेंगे.
विशेषकर केन्द्र सरकार ने पहलीबार सहकार मंत्रालय का भी गठन किया गया है. इस मंत्रालय की जिम्मेदारी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शहा को सौंपी गई है. सहकारिता का तत्व कुछ प्रांतों में अमल में लाया गया है. जिसके सार्थक परिणाम सामने आए है. इस बात को ध्यान में रख केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भी सहकार मंत्रालय नियमित किया गया है. इससे सहकारिता तत्व को बढावा मिलेगा. खासकर इस मंत्रालय का नेतृत्व अमित शहा जैसे कद्दावर नेता को सौंपा गया है. निश्चित रूप से इस मंत्रालय का सर्वागीण विकास संभव है. अभिप्राय यह कि मंत्रिमंडल का विस्तार भले ही देर से हुआ है लेकिन यह एक योग्य विस्तार माना जा सकता है. फेरबदल में जिन चेहरों को स्थान दिया गया है. निश्चित रूप से वे सरकार को अधिकाधिक लोकाभिमुख कर सकेंगे.े

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