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सावधान! काम का तनाव बढ़ा सकता है स्ट्रोक होने का खतरा

विश्व स्ट्रोक दिवस

जीवन इन दिनों तेजी से तनावपूर्ण हो गया है और काम करने वाले लोगों के लिए, कार्य-जीवन का सही संतुलन खोजना आवश्यक हो गया है. कई लोगों को ओवरटाइम भी करना पड़ रहा है. इस तनावपूर्ण समय में संतुलन बनाना आवश्यक है, ऐसा करने में विफल रहने से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
विश्व स्ट्रोक दिवस हर साल 29 अक्टूबर को होता है. वैश्विक जागरुकता दिवस ुीे (ुेीश्रव ीीीेंज्ञश ेीसरपळूरींळेप) द्बारा स्थापित किया गया था और स्ट्रोक के लिए जागरुकता बढाने और दुनिया भर में स्ट्रोक पर कार्रवाई करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है.
इस विश्व स्ट्रोक दिवस पर, झेनिथ अस्पताल के डॉ. रुपेश माकोडे (न्यूरो सर्जन) और डॉ. स्वप्निल कोथलकर (न्यूरो सर्जन) बताते हैं कि, एक व्यक्ति जितना अधिक तनाव लेता है, उसका जोखिम उतना ही अधिक होता है. स्ट्रोक एक व्यक्ति को शारीरिक रुप से अक्षम बना सकता है, जिससे दैनिक कार्य के लिए दूसरों पर पूर्ण निर्भरता हो सकती है, एक बाधित संचार से अधिक तनाव, चिंता और यहां तक कि अवसाद भी हो सकता है.

स्ट्रोक में क्या होता है?

मस्तिष्क में स्ट्रोक तब होता है जब उसे ऑक्सीजन की बहुत कम या बिल्कुल आपूर्ति नहीं होती है. तब मस्तिष्क में रक्त वाहिका टूट जाती है और खून बहता है, या जब मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण में रुकावट होती है. ब्लॉकेज रक्त और ऑक्सीजन को मस्तिष्क के उतकों तक पहुंचने से रोकता है.
मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाती है, जिससे मस्तिष्क के उतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं. मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरने लगती हैं. स्ट्रोक एक चिकित्सा आपात स्थिति है और शीघ्र उपचार महत्वपूर्ण है. प्रारंभिक कार्रवाई मस्तिष्क क्षति और अन्य जटिलताओं को कम कर सकती है.
स्ट्रोक कहीं भी, कभी भी और किसी को भी हो सकता है. जोखिम को कम करने के लिए तनाव का प्रबंधन आवश्यक है. तनाव के कारण व्यक्तिगत या पेशेवर हो सकते हैें. हर व्यक्ति को तनाव का सामना करना और उसका प्रबंधन करना सीखना चाहिए.

जब आप तनाव में होते हैं तो आपके शरीर में क्या होता है?

– तंत्रिका तंत्र अधिक एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल छोडता है, जो रक्तचाप और शर्करा के स्तर को बढाता है.
– मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम मांसपेशियों को सिकोडता है, जिससे सिरदर्द, माइग्रेन और शरीर में दर्द होता है.
– श्वसन तंत्र सांस लेने की दर को बढाता है, जिससे हाइपरवेंटिलेशन और पैनिक अटैक होता है.
– कार्डियोवस्कुलर सिस्टम कोरोनरी धमनियों में सूजन और हृदय गति में वृद्धि के साथ-साथ दिल का दौरा पडने की संभावना का कारण बनता है.
– जठरांत्र प्रणाली आपको अधिक भोजन, शराब, तंबाकू का सेवन करने के लिए मजबूर करती है, जिससे नाराजगी, एसिड रिफ्लक्स, मतली, उल्टी, कब्ज, दस्त और इसी तरह की अन्य समस्याएं होती हैं.
इन संकेतों को पहचानना और तनाव को दूर करने के लिए सचेत प्रयास करना ही एकमात्र रास्ता है. मानसिक स्तर पर, निम्नलिखित युक्तियां व्यक्ति के सर्वोत्तम हित के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखने में मदद करते हैं.
– स्वयं पर अधिक ध्यान दें. अपने मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के बार में खुद से सवाल करें. उन्हें सर्वोत्तम संभव तरीके से सुधारने के तरीके और समाधान खोजें.
– आंतरिक आवाज को सुनें और शरीर के संकेतों पर ध्यान दें.
– गहरी सांस लेने और ध्यान करने की दिनचर्या निर्धारित करें.
– अपने जीवन में सभी अच्छी चीजों के लिए आभार और आशीर्वाद व्यक्त करें, खासकर अपने परिवार, दोस्तों और प्रकृति के लिए.
– परिस्थितियों को स्वीकार करना और खुश रहना सीखें.
– जो बीत गया उसे जाने दो.
– मौजूदा परिस्थितियों में सकारात्मक रहने के लिए बजट बनाना जरुरी है. प्राथमिकताओं और जरुरतों के अनुसार पैसा खर्च करें और बचाएं.
– मन को शांत करने वाली चीजों और गतिविधियों पर ध्यान केंद्रीत करें और उसमें शामिल हों.
शारीरिक स्वास्थ्य पर काम करें और स्वस्थ, पौष्टिक आहार पर स्विच करें. ताजा भोजन, फल खाएं और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें.
आज दूनिया एक स्ट्रोक महामारी का सामना कर रही है. यह संभावना है कि, 25 वर्ष से अधिक आयु के 4 वयस्कों मेें से 1 को स्ट्रोक होगा. यदि व्यक्ति उचित और समय पर कार्रवाई करे तो इसे रोका जा सकता है. यदि प्रत्येक व्यक्ति सचेत रुप से स्वस्थ जीवन और व्यायाम, पौष्टिक आहार और मानसिक दृष्टिकोण के सही संतुलन के साथ कार्य-जीवन के तनाव को कम करने पर ध्यान केंद्रीत करता है, तो जोखिम 90 प्रतिशत तक कम हो जाता है.
पैरालिसिस (लकवा) के लक्षण दिखने मरीज को पर तुरंत हॉस्पिटल ले जाने पर खतरा बहोत कम हो जाता है. अगर लकवा के मरीज को साढे चार घंटे के अंदर इंजेक्शन देकर थ्रोम्बोलिसिस (ढहीेालेश्रूीळी) किया जाता है, तो मरीज बहोत जल्दी ठीक हो जाता है और थ्रोम्बोलिसिस के सुविधा झेनिथ हॉस्पिटल में 24 बाय 7 उपलब्ध है.
झेनिथ हॉस्पिटल में 24 बाय 7 न्यूरोलॉजी और न्यूरो सर्जरी की सुविधा शुरु है. झेनिथ हॉस्पिटल में डॉ. रुपेश माकोडे (न्यूरो फिजिशियन), डॉ. अभिजीत बेले (न्यूरो सर्जन), डॉ. स्वप्निल कोथलकर (न्यूरो सर्जन) अपनी सेवाएं दे रहे है.
इस 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे के उपलक्ष में झेनिथ हॉस्पिटल में स्ट्रोक अवेयरनेस वीक का आयोजन किया गया है. यह सप्ताह 25 अक्टूबर से लेकर 30 अक्टूबर तक चलेगा. इस स्ट्रोक अवेयरनेस वीक में सप्ताह के हर दिन झेनिथ हॉस्पिटल के डॉक्टर्स द्बारा फ्री कंसल्टेशन किया जाएगा. साथ ही हीमोग्लोबिन और शुगर भी फ्री में चेक किया जाएगा और रेडियोलॉजी इन्वेस्टीगेशन (सिटी स्कैन और एम.आर.आय.) पर 40 फीसदी डिस्काउंट दिया जाएगा. झेनिथ हॉस्पिटल द्बारा आयोजित इस स्ट्रोक सप्ताह का लाभ लेने के लिए आप 8551 914 914 इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

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