दुष्कर्मियों की कानून व्यवस्था को चुनौति
मुंबई के साकीनामा में हुए दुष्कर्म एवं हत्या के मामले की जांच में गति आयी है. राष्ट्रीय महिला आयोग के दल ने मुंबई में आकर इस मामले के सभी पहलुओं का पता लगाने का कार्य आरंभ कर दिया है. खास कर महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखीदेवी ने कहा है कि, इस मामले में पुलिस आयुक्त का यह बयान कि, पुलिस हर जगह नहीं पहुंच सकती, की भारी निंदा की है. राज्य महिला आयोग के मुताबिक राज्य में इन दिनों कानून व्यवस्था लचर हो गई है. यहीं कारण है कि, यहा अपराधियों में भय नहीं रहा है. वे बेखौफ होकर संगीन अपराधों को अंजाम दे रहे है. साकीनाका में हुई घटना अपने आपमें शर्मनाक है. इस घटना अमानवीयता की सभी हदें पार कर दी गई है. यह मामला निर्भया कांड की तरह अपने आप में अत्यंत विभत्स कांड है.
महाराष्ट्र में इन दिनों दुष्कर्म की वारदातों में न केवल बढोत्तरी हुई है. बल्कि असामाजिक तत्वों द्बारा मानवीयता को भी कालीमा पोती जा रही है. पुणे दुष्कर्म की दो वारदातों ने पहले ही लोगों को चिंतीत कर दिया था. इसमें एक नाबालिग के साथ सामुहिक दुष्कर्म किया गया. उक्त नाबालिग पुणे आयी थी. अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए उसने रिक्षा चालक से जानकारी हासिल की. रिक्षा चालक ने उसे बहलाकर ले गया व उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. इसी तरह एक अन्य बालिका के साथ भी इस तरह का कृत्य हुआ है. अमरावती के अंजनगांव सुर्जी तहसील के बनोजाबाद में भी एक सात वर्षीय बालिका के साथ अत्याचार किये जाने की घटना 11 सितंबर को ही इसमें एक युवक ने सात वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म किया. पुलिस इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
राज्य में दुष्कर्म की बढती वारदातों को राष्ट्रीय महिला आयोग ने गंभीरता से लिया है. राज्य की यह शौकांतिका है कि, दो साल से राज्य महिला आयोग का गठन नहीं किया गया है. महिलाओं के साथ होने वाले अन्यायों की गंभीरता से दखल लेने वाले इस आयोग का गठन नहीं होना भी यह दर्शाता है कि, राज्य सरकार महिलाओं के प्रति कितनी संवेदनशील है. राज्य में बढती दुष्कर्म की वारदातों को देखते हुए यह जरुरी हो गया है कि, सभी मामलों की गंभीरतापूर्वक जांच कर मामलें फास्ट ट्रैक अदालत में चलाये जाये. दोषियों को यदि योग्य समय पर सजा मिल जाती है, तो निश्चित रुप से उसका असर अन्य लोगों पर भी पडता है.
राज्य महिला आयोग के अनुसार वह सभी घटनाओं का आकलन करेंगी तथा इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगी. अपराध होना यह स्वभाविक माना जा सकता है. लेकिन जहां पर पुलिस प्रशासन ही यह कहकर अपने आप को घटना से बचाने का प्रयास करता है कि, पुलिस हर जगह नहीं पहुंच सकती है. लेकिन पुलिस सभी स्थितियों पर निगरानी तो रख सकती है. साकीनाका में हुए दुष्कर्म कांड के मामले में इस बात का ध्यान रखना भी जरुरी है. यह घटना उस समय हुई जब गणेश उत्सव की तैयारियों को लेकर पुलिस विभाग पूरी तरह चौकन्ना था. बावजूद इसके इस तरह की शर्मनाक घटना हो गई है. राज्य में आये दिन दुष्कर्म की घटनाएं बढ रही है. जिसके चलते सरकार को चाहिए कि, वह पूरे मामले कि, गंभीरता पूर्वक जांच करें, दोषियों को न केवल गिरफ्तार किया जाये बल्कि, उनके खिलाफ फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमा चलाकर दोषियों को कडी से कडी सजा दी जाये.
कुलमिलाकर राज्य में दुष्कर्म की बढती वारदातें चिंता का विषय है. इस तरह की घटनाएं राज्य की गरिमा को धुमिल कर रही है. इसलिए जरुरी है कि, ऐसी घटनाओं को रोक लगाने के लिए जरुरी है कि, पुलिस प्रशासन मामले की पूरी समिक्षा करें. मामले की जानकारी लेकर दोषियों को हिरासत में लें. दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर आरंभ से ही लोगों में चिंता रही है. लेकिन जिस समय कानूनी व्यवस्था कडी रहती है, तब ऐसी घटनाएं सीमित रहती है, लेकिन इन दिनों घटनाओं में तेजी से बढोत्तरी हो रही है. ऐसी घटनाओं के प्रति यदि प्रशासन यह कहता कि, दोषियों से कडाई के साथ निपटाया जाएगा, तो कुछ उचित भी लगता, लेकिन राज्य में पुलिस की ओर से यह कहा जाना कि, पुलिस हर जगह मौजूद नहीं रह सकती. अपने आप में शर्मनाक है. पुलिस की जिम्मेदारी है कि, वह ऐसी घटनाओं के प्रति सजग रहें.
बहरहाल साकीनाका मामले में घटना को गंभीरता से लेना जरुरी है. इस घटना में मानवीयता को कलंकित किया है. आरोपियों ने पीडिता के साथ न केवल अत्याचार किया, बल्कि अमानवीय रुप से लोहे की छड उसके विशेष अंग में डालकर अतडियों को भी नुकसान पहुंचाया है. जिसके कारण पीडिता की मृत्यु हो गई. इस मामले की सभी आरोपियों को कडी सजा देना जरुरी हो गया है. यदि ऐसा किया जाता है, तो इन घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है. इसी तरह महिलाओं के उत्पीडन को कम करने के लिए सरकार की ओर से राज्य महिला आयोग का भी शीघ्र गठन किया जाना चाहिए, ताकि महिलाओं के मामलों को गति मिल सके.