महाराष्ट्रलेख

भक्तीभाव व बारिश में डुबा शहर….

मुसाफिर है हम तो चले जा रहे है,

बडी ही कठीन नगर की डगर है…जी एक बार फिर आप की सेवा में मुसाफिर हाजिर उपस्थित है. सोमवार से शनिवार की बाते और कुछ घटनाओं को आपके सामने प्रस्तुत करने. सोमवार 27 नवंबर का दिन मुसाफिर के लिए बडा ही भक्तिभाव वाला निकला. अपनी पुरानी साईकिल से मुसाफिर बुटी प्लाट की ओर चल पडा यहां श्री गुरुव्दारा गुरुसिंघसभा में ‘श्री गुरुनानक देवजी’ के जन्मदिन अवसर पर ‘प्रकाश पर्व’ बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा था. जहां शहर की बडी-बडी दिग्गज हस्तियां मत्था टेकने पहुंची थी. वही श्री गुरुव्दारा गुरुसिंघसभा के सदस्यों व्दारा बडे ही आदर भाव से इन गणमान्यों का स्वागत सत्कार किया गया. गुरु का लंगर लुटने के बाद तृप्त भाव से मुसाफिर ने अपना अगला सफर तय किया.

रविवार से ही शुरु बारिश के कारण शहर का वातावरण थोडा चेंज हो चुका था. जगह जगह पानी के डोबरे जिला व मनपा प्रशासन को मुंह चिढा रहे थे. वैसे ही शहर की अधुरी निर्माणधीन सडके किसी ग्रामीण सडकों का दर्शन करा रही थी. जैसे तैस मुसाफिर गुनगुनाते हुए सडकों पर भटक ही रहा था. बारिश के कारण नागरिकों सहित दुकानदार एक ओर मुंह लटका कर बैठे हुए थे. मुसाफिर को कुछ नहीं मिला. तो अपने ‘आशियाने’ की ओर लौट पडा. खाना खाया और सो गया. वैसे भी किसी न किसी बात पर एक कहवात सामने आती है समाज सो रहा है. वैसे ही मुसाफिर भी दुनियां की खबरों से बेखबर होकर अपनी टुटी हुई छप्पर पर टपकते पानी से बचने के लिए एक जर्मन का बर्तन लगाकर ठंड से बचने के लिए कंबल ओढ कर सो गया. रात क्या हुई क्या नहीं कुछ पता नहीं जो होगा सुबह देखा जाएगा. कहते हुए निंद की आगोश में खो गया.सुबह उठते ही मुसाफिर फिर चल पडा शहरों की सडकों पर गुनगुनाते हुए. शहर की खबरों को बटोंरने के लिए दुसरे दिन भी बारिश अपनी रिमझीम अदाओं में शहरवासियों को भिखो रही थी.

मुसाफिर ने मंगलवार पश्चिम परिसर का दौरा किया शहर के आस्मा कॉलोनी परिसर में रुबनी जावेद जमदार की ओर से भव्य स्वास्थ शिवीर का आयोजन किया जा रहा था. जहां बडे बडे अतिथियों के साथ ही पूर्व महापौर विलास इंगोले ने इस शिवीर की काफी प्रशंसा की. हजारों लोगों ने इस भव्य स्वास्थ्य शिवीर का लाभ लिया. यहां से निकलकर मुसाफिर पैराडाईज कॉलोनी होते हुए न्यू कॉटन मार्केट पहुंचा.बारिश के कारण कई अडतियों व किसानों की फसलों से निकले अनाज को भीगते देखा. यहां पर अचानक बारिश के पानी से किसानों व्दारा बेचे गए अनाज को बचाने के लिए तो किसी तरह का पूर्व नियोजन दिखाई नहीं पडता है. बारिश आने के बाद ही कृषी उत्तपन्न बाजार समिती प्रशासन को होश आता है कि बारिश आ चुकी है. बडा अफसोस होता है जब अन्न दाता की कडी मेहनत के बाद कम दाम में भी वह बाजार में अपने व्दारा उगाए हुए अनाज को बेचता है मगर वह बारिश या किसी अन्य कारण से खराब हो जाता है. यहां का नजारा देख मुसाफिर फिर आगे बढा. चित्रा चौक पर पहुंच कर ज्ञान ज्योति महात्मा फुले को अभिवादन करने फुले विचारधारा के कई अनुयायी पहुंचे थे. मुसाफिर ने भी अभिवादन कर अपना पडाव आगे लिया.

मन में विचार करता चला कि महात्मा फुले ने स्त्रीयों को शिक्षा के माध्यम से कितनी शक्ती दी है. कि आज देश दुनिया के कई बडे व शानदार ओहदो पर महिला शक्ति अपने कामों का लोहा मनवा रही है. सच में क्रांति होनी चाहिए मगर वह समाज के हित में हो न कि व्यक्तिगत रुप से लाभ के लिए. यही सोचते हुए मुसाफिर शाम को हम सब की आराध्य मां अंबा-एकवीरा देवी मंदिर की ओर बढा. यहां कार्तिक मास की समाप्ती पर निकलने वाली मां अंबा व एकवीरा देवी की नगर प्रदिक्षमा निकली. शहर का भ्रमण करते हुए विभिन्न झांकियों, ढोल-ताशों के साथ यह प्रदिक्षणा लक्ष्मीनारायण मंदिर में समाप्त हुई. इसके बाद बुधवार को मुसाफिर वॉलकट कम्पाऊंड पहुंचा जहां पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख आगामी दिनों में शहर में किसानों के लिए होने वाले राष्ट्रवादी कॉग्रेस पार्टी की ओर से निकाले जाने वाले आक्रोश मोर्चा की जानकारी दे रहे थे. पत्रवार्ता के दौरान पूर्व मंत्री देशमुख ने भारतीय जनता पार्टी को खुब कोसा, किसानों की फसल बर्बादी, राज्य में कानून-कायदा व सुव्यवस्था को लेकर राज्य सरकार कि नितियों पर सवाल उठाए. मुसाफिर ने मन ही मन मुस्काते हुए मन में बडबडाया कि हर विरोधी पार्टी यही दुआई देती है.

शाम के समय मुसाफिर मोर्शी रोड स्थित सांस्कृतिक भवन में पहुंचा. जहां राज्य स्तरीय नाट्य स्पर्धा शुरू है. रोज एक से बढ कर एक नाटक व उसके कलाकारों व्दारा बेहतरीन एक्टींग से दर्शकों की तालियां बटोर रहे है. कई नाटक को मन को छुकर झकझोर करने वाले भी है. जिसमें समाज में फैली कुरितियों को कडा तमाचा इन कलाकारों व्दारा अपनी नाटकों के माध्यम से मारा जा रहा है. गुरुवार को मुसाफिर ने अपना पडाव कैंप स्थित ग्रामीण पुलिस अधिक्षक कार्यालय की ओर किया. यहां पिछले दिनों मोर्शी शहर में हुए एक स्वर्णकार की हत्या के बाद सबुतों की कमी के बावजुद भी ग्रामीण पुलिस ने बडी ही फुर्ती से हत्यारोपी को गिरफ्तार करने के चलते पुलिस अधिक्षक व्दारा उनका सत्कार किया जा रहा था. वैसे भी ग्रामीण पुलिस की हद में किसी घटना या अपराध को जल्द ही सुलझा लिए जाने का हमेशा ही रिकार्ड है. यहां से निकलते हुए मुसाफिर ने पुलिस आयुक्त कार्यालय की ओर भी चक्कर मारना लाजीम समझा. पुलिस आयुक्तालय पर पहुंच कर पता चला की आज सीपी साहब दोनों क्राईम युनिट की बैठक लेकर शहर में चल रहे गैर कानूनी कारोबार पर लगाम कसने की हिदायत दे रहे है. पुलिस आयुक्त नविनचंद्र रेड्डी वैसे भी हमेशा नशे व नशे के कारोबारियों की कमर तोडने में महारत हासील रखते है. गुरुवार की ही शाम को मुसाफिर अमरावती से शेगांव के लिए पैदलवारी में शामिल हुआ. जहां भक्तीमय वातावरण के बीच नाल-मंजीरा की ताल पर भक्तगण झुम रहे थे. शुक्रवार की सुबह मुसाफिर जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचा वही अपनी टुटी साईकिल के साथ, यहां पर अपनी मांगो को लेकर जिले के 2 हजार से अधिक राशन दुकानदार धरने पर बैठे नजर आए. इन राशन दुकानदारों की हमेशा ही प्रशासन से कुछ न कुछ शिकायते रहती ही है. वही भले आम नागरिकों को राशन समय पर मिले न मिले इससे किसी का कोई लेना देना नहीं. अगर जरा कुछ दिन देर हो गई तो हक्क का राशन भी गायब हो जाता है. शनिवार को शहर में विभिन्न ठिकानों पर छोटे बडे कार्यक्रम रक्तदान आदि खबरों को इकठ्ठा कर मुसाफिर फिर घुम रहा है. दोपहर तीन बजे अनिस के संस्थापक अध्यक्ष श्याम मानव पत्रकारों से चर्चा भी करते नजर आए. वे यहां 3 दिसंबर को अपने एक कार्यक्रम के चलते पधारे है. वही गुरुवार की शाम को ही श्याम मानव के विरोध में कई हिंदू संगठनों ने श्याम मानव के कार्यक्रम को रद्द करने के लिए गाडगे नगर में शिकायत भी की थी. इसी तरह घुमते हुए मुसाफिर दोबारा सांस्कृतिक भवन पहुंच कर राज्य स्तरीय नाटक देखने में मशगुल हो गया. जब तक आप मुसाफिर की बाते पढते रहेगें. तब तक मुसाफिर नाटक देख रहा होगा. वैसे बारिश के असार के चलते मुसाफिर ने अपनी सायकिल के कैरियर पर बरसाती बांध कर रखा हुआ है. जैसे ही बारिश आती है तो मुसाफिर उसे पहन लेगा. शायद आप भी बारिश को लेकर चिंतित होगे. तो चिंता किसी बात की उपर वाले की दया से ही हर मौसम आते जाते रहते है. तो हम क्या कर सकते है. जैसे दुनियादारी में हर वस्तु से लेकर आज के इंसान की बातों में भी मिलावट होती है, वैसे ही अब मौसमों में भी मिलावट होती है. घर में जाकर मच्छरों और गरमी से बचने के लिए पंखा- कुलर शुरु करे या उससे लगने वाली ठंड से बचने के लिए कंबल ओढे कुछ समझ नही आता. जैसे हम हर चीज में कम्प्रोमाईज कर लेते है वैसे ही मुसाफिर ने हर स्थिती में कम्प्रोमाईज करना शुरु कर दिया है. वैसे शायद इस बार आप को मुसाफिर ने ज्यादा बोर नहीं किया होगा. तो मुसाफिर को इजाजत दिजीए. वैसे भी आप के आने वाले पत्र मुसाफिर की हौसला अफजाई कर रहे है. फिर भी आपकों मुसाफिर की बातें कैसी लगी. यह जरुर बताए अपनी प्रतिक्रिया के पत्र संपादक दैनिक अमरावती मंडल कार्यालय खापर्डे बगीचा अमरावती में भेज कर फिर मिलते है. अगले सप्ताह शनिवार को. क्योंकि-
बरसात में हम से मिले तुम सजन,
तुम से मिले हम बरसात में……..

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