किराना दुकानों में वाइन बेचने का फैसला निंदनीय
राज्य सरकार ने शराब की प्राप्ती को आसान बनाते हुए किराना दुकानों और सुपर मार्केट में बेचने की अनुमति दे दी है. जबकि हम जानते हैं कि शराब के हानिकारक प्रभाव सारे समाज को प्रभावित करते हैं. शराबी ना केवल अपने परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी बोझ बन जाता है. उसका स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है. यह लत ना केवल उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उसे नैतिक रूप से भी कमजोर कर देती है. समाज नैतिक मूल्यों से वंचित हो जाता है. शराब पीने से शराबी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यदि एक मध्यम वर्ग का व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है, तो उसका आर्थिक जीवन बर्बाद हो जाता है. वह अपनी सारी कमाई शराब पर ना सिर्फ खर्च कर देता है, बल्कि कर्ज के बोझ तले दब जाता है. शराब का सेवन ना केवल पीने वाले को, बल्कि उसके परिवार को भी किसी ना किसी प्रकार से प्रभावित करता है. नशे में वह अपने परिवारवालों पर अत्याचार करता है. कितनी ही महिलाओं को शराबी पति के अत्याचार का निशाना बनना पड़ता है और आर्थिक परिस्थिति का भी सामना करना पड़ता है. बच्चों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं. कितने ही मासूम बच्चे ऐसे हैं जो ना केवल पिता के प्यार से वंचित हो जाते हैं बल्कि वे अपने ही पिता से भयभीत रहते हैं और मानसिक रुप से बीमार हो जाते हैं. नशे की लत ने ना जाने कितने ही हंसते-खेलते घर उजाड़ दिए हैं, जिसकी खबरें हम आए दिन अखबारों में पढ़ते रहते हैं. शराब का सेवन करनेवालों को समाज में ना कोई महत्व दिया जाता है और ना ही कोई सम्मान. वह रिश्तों की पवित्रता को भी भूल जाता है. ऐसे अपराध और घटनाएं उससे घटित हो जाती हैं कि जिस का विचार करके हमारी आत्मा काँप उठती है. शराबी ना अच्छा पिता बन सकता है, ना अच्छा बेटा, ना अच्छा पति और ना ही समाज का अच्छा व्यक्ती. वास्तविकता यह है कि यदि एक सदाचारी और शुद्ध समाज का निर्माण करना है और मानवता को नैतिकता, सभ्यता से अलंकृत करना है तो राज्य सरकार के इस निर्णय का निषेध आवश्यक है. इसके बिना विकसित एवं शुद्ध समाज का सपना साकार नहीं हो पाएगा.
– यासमीन बानो
अचलपूर