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नामांतरण को लेकर विवाद

औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर किए जाने के मुद्दे को लेकर राज्य में सत्तारूढ महाआघाडी सरकार में मतभेद नजर आ रहे है. मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे का कहना है कि शिवसेना की ओर से औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर के रूप में उल्लेखित किया जाता रहा है. शासकीय स्तर पर भी इसी नाम से औरंगाबाद को संबोधित किया गया है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से अधिकृत तौर पर संभाजीनगर का उल्लेख है. वर्षो से शिवसेना औरंगाबाद को संभाजीनगर के रूप में उल्लेखित करती है. भविष्य में भी इसी नाम से उल्लेख किया जायेगा. बालासाहब ठाकरे ने भी यही उल्लेख किया था. लेकिन कांग्र्रेस का नामांतरण को लेकर विरोध है. जिसके चलते आघाडी सरकार में मतभेद उभरता आ रहा है. कांग्रेस ने नामांतरण का विरोध किया है. कांग्रेस नेता बालासाहब थोरात ने इस पर आपत्ति उठाई है. विशेष यह है कि जिस समय उध्दव ठाकरे ने महाराष्ट्र में सत्ता संभाली थी. उस समय से ही शिवसैनिको को उम्मीद है कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर हो जायेगा. स्वयं मुख्यमंत्री का मानना है कि औरंगजेब यह धर्मांध था. इसके चलते न्यूनतम सामान्य कार्यक्रम के एजेंडा में कोई फर्क नही पडेगा. आनेवाले दिनों में सरकार का लक्ष्य न्यूनतम सामान्य कार्यक्रम के साथ चलते हुए सरकार बनाना है लेकिन नामांतरण का मुद्दा काफी हद तक सरकार के लिए टेढी खीर साबित होगा. क्योंकि शिवसेना जहां नामांतरण के लिए अनुकूल है वही पर कांग्रेस को इस बात का भय है कि यदि नामांतरण होता है तो कांग्रेस के पास से मुस्लिम बहुल वोट बैंक को धक्का लगेगा. इसके लिए जरूरी है कि सरकार आपस में तय योग्य नीति का निर्धारण करे. इस बारें में बालासाहब थोरात ने भी कहा है कि संभाजी महाराज पूरे देश के आराध्य देवता है. उनके प्रति हर किसी को आदर है. लेकिन नामांतरण से मनुष्य में दूरिया बढ सकती है. इसलिए कांग्रेस नामांतरण के मुददे से दूर रहना चाहती है. बहरहाल इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की जानी चाहिए ताकि नाम परिवर्तन से होनेवाली स्थितिया निर्माण न हो. इस बारे में महाआघाडी सरकार को आपस में बैठकर चर्चा करनी चाहिए तो योग्य हल निकल सकता है. इसलिए जरूरी है कि सरकार इस बारे में चर्चा पश्चात निर्णय ले. क्योंकि ऐसा करने पर समस्या का निदान निकल सकता है.
कुल मिलाकर सत्ता संभालने के बाद सरकार से यह अपेक्षा लोगों की बढ गई है कि औरंगाबाद का नामांतरण कर उसे संभाजीनगर बनाया गया है. लेकिन यह इतना आसान नही. इसके लिए शिवसेना को भी योग्य चिंतन करना होगा. खासकर यह सरकार तीन घटकदलों से मिलकर बनी हुई है. ऐसे में किसी एक राजनीतिक दल के निर्णय को सर्वमान्य नहीं माना जा सकेगा. सहयोगी दलो की भी अनुकूलता इसमे आवश्यक है. बहरहाल शिवसेना जहा संभाजीनगर के लिए अनुकूल है वही पर अन्य घटक दलों को भी अनुकूल होना पडेगा. हालाकि वर्तमान महाआघाडी सरकार में सभी दल एकजुट होकर जब तक यह निर्णय नहीं लेते तब तक औरंगाबाद का नामांतरण संभव नहीं है. कुल मिलाकर नाम परिवर्तन का मुद्दा इस समय छाया हुआ है. माना जा रहा है कि औरंगाबाद के नाम परिवर्तन पर घटक दलों में नाराजी आ सकती है. इसलिए इस मुद्दे पर योग्य निर्णय लेना अभी संभव नहीं है.

  • अब बर्ड फ्लू से डर

विश्व महामारी कोरोना से संकट से धीरे-धीरे देश उबर रहा है. कोरोना वैक्सीन का निर्माण भी आरंभ हो गया है तथा यह वैक्सीन लोगों को देने की तैयारी जारी है. ऐसे में बर्ड फ्लू ने फिर से दहशत मचा दी है. देशभर में अनेक स्थानों पर बर्ड फ्लू के संक्रमण की आशंका व्यक्त की जा रही है. राजधानी दिल्ली में 100 से अधिक कौवें मृत पाए गये है. इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि इन पक्षियों की मौत बर्ड फ्ल्यू से हुई है. कोरोना के मामले में सरकार की ओर से अनेक एहतियाती कदम उठाए जा रहे है. लेकिन इस बीमारी की आशंका को लेकर चिंता कायम है. जिस तरह अनेक स्थानों पर पक्षियों की मृत्यु की खबर सामने आ रही है. जिसके चलते यह जरूरी हो गया कि इस बीमारी का पता लगाया जाए. यदि इसका सक्रमण आरंभ हो गया है तो तत्काल इसके प्रतिबंध के लिए योग्य कदम उठाना आरंभ कर देना चाहिए. क्योंकि एक बार महामारी फैल गई तो उसे रोकना कठिन हो जायेगा. इसके चलते जरूरी है कि सरकार अभी से इस ओर गंभीरतापूर्वक दें.

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