लेख

काम ऐसा करो की नाम हो जाए, या नाम ऐसा करो की काम हो जाए

सोमेश्वरभाऊ पुसतकर के प्रथम स्मृति दिन पर विशेष

उक्त वाक्य सोमेश्वर भाऊ पर शत प्रतिशत फिट बैठता है. क्योंकि भाऊ ने केवल अनेक काम ही नहीं बल्कि सत्कार्यों का पहाड़ ऐसा खड़ा किया है कि आज वें नहीं रहने के बाद भी उनका नाम लेने से सभी काम हो जाने का अनुभव पिछले एक साल से मुझे आ रहा है. एक फोटोग्राफर से शहर के सबसे बड़ेे टाउनशिप में भागीदार तक के सफर का पूरा श्रेय सोमेश्वर भाऊ को ही है. साधारणतः 18 साल पहले जब भाऊ के पास शिवसेना जिला प्रमुख पद की जिम्मेदारी थी, उस समय विभिन्न कार्यक्रमों में फोटोग्राफर के रुप में जाता था. वहीं भाऊ के साथ पहचान हुई. मुझे बचपन से ही सोमेश्वर भाऊ और दिनेशभाऊ की जोड़ी को लेकर भारी आकर्षण था. दोनों का कार्य भी वैसा ही था. लिया गया काम पूरा करने में सोमेश्वर भाऊ को महारत थी. यह अलग से बताने की जरुरत नहीं. उनके साथ काम करने वाली टीम भी उन्हें वैसा ही अपेक्षित थी. वे हमेशा कहते थे कि इधर से बॉल फेंकने के बाद वह उसी गति से लौटनी चाहिए. काम के मामले में भी यही सोच थी.
18 साल पहले उन्होंने कुछ देखा होगा, यही कारण है कि एक-एक जिम्मेदारी देने लगे. जाहिर है यह फोटोग्राफी से जुडी थी. माननीय बालासाहेब ठाकरे की सभा, उद्धव, राज ठाकरे की प्रचार सभा, आंदोलन में और कार्यक्रमों में मेरे काम करने के तरीके ने भाऊ को प्रभावित किया. यही कारण है कि, आगे भाऊ की टीम का अविभाज्य घटक बनने का मौका मुझे मिला. वर्ष 2006 में बी.टी. देशमुख एवं प्रभाकरराव वैद्य के मार्गदर्शन में एक प्रतिनिधि मंडल विदर्भ के किसानों की आत्महत्या के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मिलने वाला था. इसमें 15 लोगों का सहभाग था. इसकी पूरी जिम्मेदारी सोमेश्वरभाऊ एवं दिनेशभाऊ पर थी. मुलाकात का समय तत्काल मिलने के कारण विमान से जाने के सिवाय कोई पर्याय नहीं था. सोमेश्वर भाऊ को फोटो के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना था. मेरी आर्थिक स्थिति नहीं रहने के बाद भी एक ओर की टिकट का खर्च सोमेश्वरभाऊ और वापसी का खर्च दिनेशभाऊ ने उठाया. इसके बाद मुझे अलग-अलग कामों से कई बार विमान में सफर का मौका मिला. भाऊ के कारण जीवन में पहली बार हवाई जहाज से की गई यात्रा भूलना संभव ही नहीं है.
वर्ष 2007 में महामहिम प्रतिभाताई पाटिल राष्ट्रपति चुने जाने पर डॉ. देवीसिंग शेखावत साहब मुंबई में मातोश्री निवासस्थान पर बालासाहब ठाकरे का आभार जताने के लिए भेंट देने वाले थे. इस मुलाकात की जिम्मेदारी भी सोमेश्वरभाऊ एवं दिनेशभाऊ के पास थी. शेखावत साहेब, सोमेश्वरभाऊ, दिनेशभाऊ और बालासाहब के बीच यह मुलाकात होने वाली थी.
मैंने कभी तो भी सोमेश्वर भाऊ से बालासाहेब ठाकरे से मुलाकात करने की इच्छा जताई थी. बाद में मैं खुद भी यह भूल गया था. लेकिन मेरी यह इच्छा उन्हें याद रही. इसलिए वे फोटोग्राफी के लिए मुझे अपने साथ ले गए और इस क्षण की फोटोग्राफी का सौभाग्य मिला. यह मुलाकात मेरे जीवन में अविस्मरणीय रहेगी. सोमेश्वर भाऊ को फोटोग्राफी का महत्व पता था और फोटो एक समय और समय से पहले प्रेस में जाने पर उसके फायदे वे जानते थे. इसलिए निर्धारित समय पर फोटो प्रेस में पहुंचाने के मामले में वे आग्रही रहते थे.
इसी तरह का अनुभव महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल के अमरावती में प्रथम आगमन और भव्य सत्कार समारोह के आयोजन के दौरान आया. कार्यक्रम का समय शाम 6 बजे का और नागपुर के अखबारों की डेडलाइन 6.30 बजे की थी. इसके बाद भी सभी को मौके पर फोटो मिले, इसके लिए कार्यक्रम स्थल पर ही मीडिया सेंटर तैयार किया था. आयोजनस्थल पर मीडिया सेंटर उस समय का पहला प्रयोग था. इस तरह के सैकडों विचार तथा प्रयोग वे लगातार करते रहते थे. अमरावती का अभिनंदन समारोह अत्यंत हृदयस्पर्शी हुआ. इस कार्यक्रम की सराहना हुई. इसमें योगदान देने वाले हर व्यक्ति को राष्ट्रपति भवन ले जाकर राष्ट्रपति भवन देखने का मौका उनके कारण मिला. यही कारण है कि, उनके ऋण में हमेशा रहना पसंद है. राष्ट्रपति भवन में यह मुलाकात जितना हम सभी के लिए उत्सुकता की थी, उतनी ही प्रतिभाताई के लिए भी थी. क्योंकि ताई को इस ऐतिहासिक आयोजन के बारे में जानना था. इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति भवन में छोटा सा कार्यक्रम लिया. इस दौरान 28 मिनट तक ऐतिहासिक आयोजन की जानकारी भाऊ बताते रहे और राष्ट्रपति प्रतिभाताई के साथ ही डॉ. देवीसिंह शेखावत साहब ने सुना. सोेेमेश्वर भाउ की जान को खतरा रहने के बाद भी बी.टी. भाउ, वैद्य साहब के मार्गदर्शन में सिंचाई प्रकल्प की जिम्मेदारी निष्ठा से निभाई. उनके बी.टी. भाऊ, वैद्य साहब, गिरीशभाऊ गांधी, एड. कृष्णराव देशपांडे और मधुकरराव किमतकर जैसे दिग्गजों से करीबी और प्रेम संबंध थे, जो आसान नहीं था. लेकिन आसान काम करने वालों में सोमेश्वर भाऊ नहीं थे.
सोमेश्वर भाऊ ने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया. शून्य से साम्राज्य खडा, काम छोटा हो अथवा बडा, कभी पीछे नहीं हटते थे. जनता से लेकर दिग्गजों तक सभी को एक ही निगाह से देखते थे. भाऊ हमें छोड़कर जाने में आपने बहुत जल्दी की. भाऊ आप सदैव याद रहेंगे, आपके द्बारा दिखाए गए सन्मार्ग पर चलने का सदैव प्रयास करेंगे.
वी आलवेज मिस यू भाऊ.

Vaibhav-Jayantrao-Dalal-amravati-mandal
-वैभव जयंतराव दलाल
मो. 9823018768
जय फोटो स्टुडियो, अमरावती.

Related Articles

Back to top button