डॉ. बी. आर. आंबेडकर : दलित-बहुजन समाज के मसीहा
डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू छावणी (जि. इंदौर, मध्य प्रदेश) में हुआ. उनके पिता का नाम सुबेदार रामजी तथा माता का नाम भीमाबाई था. वर्ष 1906 में उनका रमाबाई के साथ विवाह संपन्न हुआ. महाराजा बडौदा द्वारा मिलिटरी सेकंडरी के पद पर वर्ष 1917 में नियुक्त किये गये. अपमानित होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड दी. अपने विचारों को दलित शोषित एवं उपेक्षित लोगों तक पहुंचाने के लिए वर्ष 1920 में ‘मूकनायक’ मराठी साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरु किया.
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने चवदार तालाब से अछूतों को पानी लेने का अधिकार दिलाने के लिए वर्ष 1927 में ‘महाड’ में सत्याग्रह किया. मंदिर में दलितों को प्रवेश के लिए कालाराम मंदिर नासिक तथा अमरावती के अंबा मंदिर प्रवेश के लिए सत्याग्रह किया. गोलमेज कॉन्फ्रेन्स लंदन में वर्ष 1932 में डेलीगेट बने. वर्ष 1947 में पं. नेहरु मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बने तथा 1948 में ड्राफ्टींग कमेटी के अध्यक्ष के रुप में संविधान असंम्बली में मसौदा प्रस्तुत किया और भारत के संविधान निर्माता बने. शिक्षा के प्रसार-प्रचार के लिए वर्ष 1950 में औरंगाबाद में मिलिंद महाविद्यालय की स्थापना की.
उन्होंने दलित-शोषित एवं उपेक्षित समाज के उद्धार के लिए आजीवन संघर्ष किया. 26 जनवरी 1950 को देश में लोकतंत्रालक शासन प्रणाली बनाकर तथा बालिग मताधिकार का प्रावधान कर वे दलितों के मसीहा बन गये. डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान बनाते समय अन्य पिछडा वर्ग के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा और अनुच्छेद 340 के तहत उनके पिछडेपन को दूर करने की व्यवस्था की. आज मंडल कमिशन के तहत पिछडे वर्ग के लोगों को जो आरक्षण एवं अन्य सुविधाएं मिल रही है, यह सब संविधान के अनुच्छेद 340 देन है. वर्ष 1951 में हिंदू कोड बिल पास न होने के कारण मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया. 14 अक्तूबर 1956 को नागपुर में बौद्ध धम्म की दीक्षा ली. उनका सारा जीवन मानवाधिकारों के प्रति समर्पित और चिन्हान पूर्णत: मानवीय मूल्यों पर आधारित रहा.
संविधान उनकी साधना का प्रतीक है. इस अप्रतिम योगदान के लिए देश सदैव उनका नमन करेगा.
– प्रा. श्रीकृष्ण बनसोड,
किशोर नगर, अमरावती.
मो.- 9763403748